सागर: मध्य प्रदेश में सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6 हजार रूपए प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर तमाम किसान संगठन मोर्चा बनाकर आंदोलन कर रहे हैं. दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने एमपी सरकार को सोयाबीन की समर्थन मूल्य की खरीदी की अनुमति दे दी है. सरकार ने सोयाबीन की एमएसपी 4800 रुपए तय की है. किसानों का कहना है कि 'सरकार एमएसपी पर बोनस दे और 6 हजार रुपए में सोयाबीन खरीदे. प्रदेश के किसान संगठनों ने मोर्चा बनाकर 1 सितंबर से प्रदेश व्यापी आंदोलन की शुरुआत कर दी है.'
किसानों की मांग न मानकर एमएसपी पर सोयाबीन खरीदी की अनुमति के बाद आंदोलन में राकेश टिकैत की एंट्री हो गई है. उन्होंने प्रदेश में चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि 'सरकार को किसानों की मांग सुनना चाहिए. देश के कृषि मंत्री मध्य प्रदेश से ही हैं. उनको किसानों की मदद करना चाहिए. अगर सरकार प्रदेश के किसानों की समस्या का समाधान नहीं करती है, तो फिर हम वहां की किसानों की मदद करेंगे.'
क्यों 6 हजार रुपए MSP चाहते हैं किसान
सोयाबीन राज्य मध्य प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसान अपनी फसल के उचित दाम को लेकर पिछले कई सालों से परेशान हैं. उनको फसल की इतनी भी कीमत नहीं मिल रही कि फसल की लागत भी निकल सके. किसान संगठनों का कहना है कि 'उनकी सोयाबीन की फसल का आज भी वहीं दाम मिल रहा है, जो 2013-2014 में मिलता था. जबकि 10 सालों में लागत करीब 4 गुना बढ़ चुकी है. ऐसी हालत में किसान को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है.
फसल की बोवनी से लेकर खाद,बीज और डीजल के अलावा निंदाई और कटाई तक काफी पैसा खर्च हो जाता है और फसल आने पर सोयाबीन के दाम गिरने लगते हैं. बाजार में इस साल सोयाबीन के दाम 3500 रुपए है. जबकि सरकार ने 4800 रुपए एमएसपी तय की है. किसान संगठनों का कहना है कि प्रदेश सरकार 1108 रुपए का बोनस देकर सोयाबीन 6 हजार प्रति क्विंटल की दर से खरीदें.
1 सिंंतबर से संयुक्त मोर्चा का आंदोलन
इस एक सूत्रीय मांग को लेकर प्रदेश के अलग-अलग किसान संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर 1 सिंंतबर से आंदोलन का आगाज कर दिया. आंदोलन की शुरुआत ग्राम पंचायत स्तर से की गई और किसान संगठनों ने ग्राम पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर समर्थन मूल्य 6 हजार रुपए किए जाने की मांग दोहराई है. 1 सितंबर से 7 सितंबर तक पहले चरण के आंदोलन के बाद संयुक्त मोर्चा अगले चरण के आंदोलन की तैयारी में जुट गया है, क्योंकि सरकार ने किसानों की मांग को लेकर अब तक किसान संगठनों को बुलाया है और ना ही बातचीत की पेशकश की. दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने एमपी सरकार के 4800 रुपए के समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी की अनुमति दे दी है.
अब भोपाल कूच की तैयारी
किसान संगठनों की मांग को लेकर सरकार की बेरुखी को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की नाराजगी बढ़ती जा रही है. भारतीय किसान यूनियन मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि 'किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा का जो आंदोलन चल रहा है, वह गांव-गांव तक चल रहा है, लेकिन सरकार की आंखें नहीं खुल रही है. अगले चरण में हम जिला मुख्यालय पर ज्ञापन सौंपने जा रहे हैं. 18 से 23 सितंबर तक हर जिला मुख्यालय पर ज्ञापन सौंपेंगे. इसके बावजूद सरकार हमारी मांग को लेकर गंभीर नहीं होती है, तो हम भोपाल के लिए कूच करेंगे.