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राजौरी में 17 मौतों से परेशान सरकार ने दिए झरने के पानी का इस्तेमाल बंद करने के आदेश - RAJOURI MYSTERIOUS DEATHS

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में हुई रहस्यमयी मौतों पर सरकार ने एहतियात बरतने को कहा है. लोगों से केवल नल का पानी पीने को कहा है.

Omar Abdullah
जम्मू- कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 30, 2025, 10:28 AM IST

श्रीनगर: कश्मीर घाटी के निवासियों में पीलिया फैलने और राजौरी गांव में 17 लोगों की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने लोगों से झरने का पानी पीने से परहेज करने को कहा है. झरने में बैक्टीरिया से दूषित पानी पाया गया.

सरकार के जल शक्ति विभाग ने मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले और ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में 40 झरनों का परीक्षण किया है. जांच के दौरान इसमें बैक्टीरिया पाया गया. इस घटना ने सरकार को चिंतित कर दिया है. सरकार ने लोगों से पानी को अच्छी तरह उबालकर इस्तेमाल करने और केवल नल का पानी पीने को कहा है.

जल शक्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता समीउल्लाह बेग ने कहा, 'जल शक्ति विभाग के ग्रामीण जलापूर्ति प्रभाग ने गंदेरबल जिले में विभिन्न झरनों के नमूने और परीक्षण का एक व्यापक अभियान चलाया. इसमें एकत्र किए गए 40 नमूनों में से 37 पॉजिटिव पाए गए. विभाग ने लोगों को चेतावनी नोटिस जारी कर झरने के पानी का उपयोग बंद करने को कहा है, क्योंकि यह लोगों के इस्तेमाल के लिए अनुपयुक्त पाया गया है.

बेग ने कहा, 'गांदरबल और ग्रामीण श्रीनगर के लोग जो पीने के लिए झरने के पानी का इस्तेमाल करते हैं, उनसे अनुरोध है कि वे पीने के लिए झरने के पानी का इस्तेमाल न करें और इसके बजाय अगले निर्देश तक केवल नल के पानी का इस्तेमाल करें.

घाटी के अनंतनाग जिले के गुटलीगुंड गांव में 27 लोग पीलिया की चपेट में आ गए, जिनमें अधिकर बच्चे थे. अधिकारियों ने पीलिया फैलने का कारण स्थानीय लोगों द्वारा दूषित पानी पीने की आशंका जाहिर की. सरकार ने सामूहिक बीमारी के कारणों की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ दल का गठन किया है.

सरकार ने इस सप्ताह जारी आदेश में कहा, 'टीम को पानी की गड़बड़ी के संभावित स्रोत की पहचान करने, निवारक उपायों को लागू करने और आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेप प्रदान करने और इस महीने के अंत तक जीएमसी अनंतनाग के प्रिंसिपल को एक कार्य योजना प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है.'

जम्मू-कश्मीर में लोग नल के पानी की अनुपलब्धता के कारण बड़े पैमाने पर नदियों और झरनों जैसे खुले स्रोतों से पानी का सेवन कर रहे हैं. हालांकि जल शक्ति विभाग ने दावा किया है कि उसने 81 प्रतिशत आबादी को नल के पानी के कनेक्शन से कवर कर लिया है.

पिछले साल दिसंबर और जनवरी के पहले हफ्ते में जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले के बदहाल गांव में 17 लोगों की मौत हो गई थी. अधिकारियों को संदेह है कि ये मौतें ऑर्गनोफॉस्फोरस पदार्थ वाले भोजन और पानी के सेवन के कारण हुई.

हालांकि, सरकार को राजौरी के दूर-दराज और पहाड़ी गांव में बीमारी और मौतों का असली कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. आगे और मौतों और बीमारी को रोकने के लिए सरकार ने इसे कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कई चिकित्सा उपाय किए हैं.

ये भी पढ़ें- 'न कोई वायरस, न कोई बैक्टीरिया', जम्मू कश्मीर में रहस्यमयी बीमारी पर केंद्रीय मंत्री का रिएक्शन

श्रीनगर: कश्मीर घाटी के निवासियों में पीलिया फैलने और राजौरी गांव में 17 लोगों की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने लोगों से झरने का पानी पीने से परहेज करने को कहा है. झरने में बैक्टीरिया से दूषित पानी पाया गया.

सरकार के जल शक्ति विभाग ने मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले और ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में 40 झरनों का परीक्षण किया है. जांच के दौरान इसमें बैक्टीरिया पाया गया. इस घटना ने सरकार को चिंतित कर दिया है. सरकार ने लोगों से पानी को अच्छी तरह उबालकर इस्तेमाल करने और केवल नल का पानी पीने को कहा है.

जल शक्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता समीउल्लाह बेग ने कहा, 'जल शक्ति विभाग के ग्रामीण जलापूर्ति प्रभाग ने गंदेरबल जिले में विभिन्न झरनों के नमूने और परीक्षण का एक व्यापक अभियान चलाया. इसमें एकत्र किए गए 40 नमूनों में से 37 पॉजिटिव पाए गए. विभाग ने लोगों को चेतावनी नोटिस जारी कर झरने के पानी का उपयोग बंद करने को कहा है, क्योंकि यह लोगों के इस्तेमाल के लिए अनुपयुक्त पाया गया है.

बेग ने कहा, 'गांदरबल और ग्रामीण श्रीनगर के लोग जो पीने के लिए झरने के पानी का इस्तेमाल करते हैं, उनसे अनुरोध है कि वे पीने के लिए झरने के पानी का इस्तेमाल न करें और इसके बजाय अगले निर्देश तक केवल नल के पानी का इस्तेमाल करें.

घाटी के अनंतनाग जिले के गुटलीगुंड गांव में 27 लोग पीलिया की चपेट में आ गए, जिनमें अधिकर बच्चे थे. अधिकारियों ने पीलिया फैलने का कारण स्थानीय लोगों द्वारा दूषित पानी पीने की आशंका जाहिर की. सरकार ने सामूहिक बीमारी के कारणों की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ दल का गठन किया है.

सरकार ने इस सप्ताह जारी आदेश में कहा, 'टीम को पानी की गड़बड़ी के संभावित स्रोत की पहचान करने, निवारक उपायों को लागू करने और आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेप प्रदान करने और इस महीने के अंत तक जीएमसी अनंतनाग के प्रिंसिपल को एक कार्य योजना प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है.'

जम्मू-कश्मीर में लोग नल के पानी की अनुपलब्धता के कारण बड़े पैमाने पर नदियों और झरनों जैसे खुले स्रोतों से पानी का सेवन कर रहे हैं. हालांकि जल शक्ति विभाग ने दावा किया है कि उसने 81 प्रतिशत आबादी को नल के पानी के कनेक्शन से कवर कर लिया है.

पिछले साल दिसंबर और जनवरी के पहले हफ्ते में जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले के बदहाल गांव में 17 लोगों की मौत हो गई थी. अधिकारियों को संदेह है कि ये मौतें ऑर्गनोफॉस्फोरस पदार्थ वाले भोजन और पानी के सेवन के कारण हुई.

हालांकि, सरकार को राजौरी के दूर-दराज और पहाड़ी गांव में बीमारी और मौतों का असली कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. आगे और मौतों और बीमारी को रोकने के लिए सरकार ने इसे कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कई चिकित्सा उपाय किए हैं.

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