नई दिल्लीः पंजाब और हरियाणा में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. प्रणाली के धुएं से दिल्ली एनसीआर गैस का चैंबर बनता जा रहा है. वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2024 में 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में 2 से 89 प्रतिशत तक की कमी आई है, लेकिन उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने के मामले बढ़े हैं. दूसरी ओर डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) तकनीकी खामी के कारण पराली से दिल्ली-एनसीआर में कितना प्रदूषण हो रहा है, इसका पता नहीं लगा पा रहा है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से सेटेलाइट के जरिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 15 सितंबर से 15 नवंबर तक पराली जलाने के मामलों की सेटलाइट के जरिए निगरानी किया जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की इस साल 15 सितंबर से 25 अक्टूबर तक की रिपोर्ट के मुताबिक, उपरोक्त राज्यों में कुल 4609 स्थानों पर पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं.
आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में 1749, हरियाणा में 689, उत्तर प्रदेश में 849, दिल्ली में 11, राजस्थान में 442 और मध्यप्रदेश में 869 स्थानों पर पराली जलाई गई. 25 अक्टूबर 2024 की बात करें तो सबसे अधिक पंजाब में 71 स्थानों पर पराली जलाई गई. मध्य प्रदेश मे 94, राजस्थान में 49, उत्तर प्रदेश में 23 स्थानों पर और हरियाणा में 3 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं.
किस राज्य में किस वर्ष कितनी पराली जलाई गईः
राज्य
वर्ष (पराली जलाने की घटनाएं)
2024
2023
2022
2021
2020
पंजाब
1749
2704
5798
6134
16221
हरियाणा
689
871
1372
1835
1772
राजस्थान
442
557
102
58
452
मध्य प्रदेश
869
1261
210
291
1323
उत्तर प्रदेश
849
628
552
671
783
दिल्ली
11
02
05
00
08
वर्ष 2020 से 2024 में 25 अक्टूबर तक किस राज्य में पराली जलाने के मामले कितने प्रतिशत कम हुएः
राज्य
प्रतिशत (पराली जलाने की घटनाएं)
पंजाब
89.21
राजस्थान
2.26
हरियाणा
61.11
मध्य प्रदेश
52.24
उत्तर प्रदेश
7.77 (बढ़े)
दिल्ली
27.27 (बढ़े)
पराली से प्रदूषण का अनुमान नहीं लगा पा रहा सिस्टम:एक तरफ धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है. वहीं, डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) इन दिनों परली से होने वाले प्रदूषण का अनुमान नहीं लगा पा रहा है. ये सिस्टम प्रदूषण के सोर्स की जानकारी देने के साथ अगले पांच दिनों का पूर्वानुमान भी बताता है. सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण अब पराली के प्रदूषण का पूर्वानुमान नहीं बताया जा रहा है. यह सिस्टम यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के निर्देश पर तैयार किया गया था. एक्सपर्ट इस बात पर सवाल खड़े कर रहे है कि सिस्टम अन्य सभी सोर्स का पूर्वानुमान दे रहा है, लेकिन सिर्फ पराली के प्रदूषण का पूर्वानुमान क्यों नहीं दे रहा है.