बिहार

bihar

ETV Bharat / bharat

तीन विधायक क्यों नहीं गए हैदराबाद? कांग्रेस में बगावत की तैयारी तो नहीं.. क्या होगा बड़ा खेला? - Nitish Kumar Floor Test

Nitish Kumar Floor Test बिहार में 28 जनवरी को एनडीए की सरकार बनी. इसके बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि अभी खेला होना बाकी है. ऐसा उन्होंने जदयू में संभावित टूट को लेकर कहा था. लेकिन, चार फरवरी को कांग्रेस ने अचानक अपने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करा दिया. हालांकि उनके 19 में से 16 विधायक ही हैदराबाद गये. कांग्रेस विधायकों को जानिए, कौन हो सकता है कमजोर कड़ी, किस ने अपने लिए मंत्री पद की मांग की थी तो किसने कितनी पार्टीयों का चक्कर लगाकर विधायक बने.

तीन विधायक
तीन विधायक

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 5, 2024, 8:03 PM IST

पटनाः बिहार में राजनीति बदली है तो, ऐसे में आगे की राजनीति को लेकर अलग-अलग दलों के नेता अलग-अलग दावे कर रहे हैं. लेकिन, सबको एक अनदेखा डर सता रहा है. चाहे वह भारतीय जनता पार्टी हो, जदयू हो या फिर राजद- कांग्रेस हो, सबको अनदेखा डर सता रहा है कि आगे क्या होगा? इसी संभावित डर को लेकर तो कांग्रेस ने अपने विधायकों को एयरलिफ्ट करके हैदराबाद शिफ्ट करा दिया है.

कांग्रेस में टूट की आशंकाः कांग्रेस को सबसे ज्यादा डर इस बात का है कि उसके 19 विधायक कहीं उनसे छिटक ना जाएं. ऐसे में कांग्रेस ने सभी विधायकों को हैदराबाद के एक रिसॉर्ट में शिफ्ट कर दिया है और उन पर कड़ी निगाह रखी जा रही है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कांग्रेस को सबसे ज्यादा डर क्यों है? जाहिर सी बात है कि कांग्रेस को इस बात का डर है कि उनको आसानी से तोड़ा जा सकता है. आसान इसलिए है क्योंकि इनके 19 विधायकों में से 12 विधायक कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता हैं. बाकी 7 विधायक दूसरी पार्टियों से आए वह नेता हैं.

तीन विधायक नहीं गये हैदराबादः अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक हैदराबाद में 19 विधायकों में से 16 विधायक पहुंच चुके हैं और अभी तक तीन विधायक वहां नहीं पहुंचे हैं. जो तीन विधायक हैदराबाद नहीं गये हैं उनमें मनिहारी विधानसभा क्षेत्र के मनोहर प्रसाद, बिक्रम (पटना) विधानसभा क्षेत्र के विधायक सिद्धार्थ सौरभ और अररिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक आबिदुर रहमान शामिल हैं. विधायक सिद्धार्थ सौरभ ने तो इधर-उधर जाने के सवाल पर कहा था कि कोई किसी को रोक सकता है क्या?

बिहार के कांग्रेसी विधायकों को जानिएः

शकील अहमद खानःकटिहार जिले के रहने वाले शकील अहमद खान की राजनीति जेएनयू के छात्र संघ चुनाव से शुरू हुई उसे समय शकील अहमद खान स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के सदस्य थे वह जेएनयू में छात्र संघ की उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी बने थे बाद में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया 2015 में उन्होंने कटिहार के कदवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगातार दो बार से विधायक हैं अभी वह बिहार विधान सभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं

अजीत शर्माःभागलपुर के रहने वाले अजीत शर्मा की राजनीति कांग्रेस से शुरू हुई है. भागलपुर में व्यवसाय जगत के बड़े चेहरे के रूप में इन्होंने प्रसिद्धि पाई थी. उसके बाद 2015 में इन्होंने कांग्रेस से टिकट लेने में सफलता पाई. लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं. शकील अहमद खान से पहले अजीत शर्मा बिहार विधानसभा के कांग्रेस विधायक दल के नेता थे.

अजय कुमार सिंहःबिहार के जमालपुर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने हैं. वहां से लगातार विधायक रहे और बिहार सरकार में मंत्री रहे शैलेश कुमार को इन्होंने हराया है. कांग्रेस के लिए यह सीट काफी महत्वपूर्ण इसलिए थी क्योंकि 1962 के बाद 2020 में अजय कुमार ने जमालपुर से सफलता दिलाई. अजय कुमार सिंह पुराने कांग्रेसी हैं.

राजेश रामःगया के कुटुंब से लगातार दो बार से विधायक राजेश राम पुराने कांग्रेसी हैं. इन्होंने एक बार जीतनराम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को भी हराया है. दलित समुदाय से आने वाले राजेश राम पिछले सालों में अध्यक्ष पद के दौर में भी शामिल थे.

मोहम्मद अफाक आलमःयह पूर्णिया से कस्बा विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुके हैं. यह पुराने कांग्रेसी हैं. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार में यह पशुपालन मत्स्य पालन मंत्री थे.

मोहम्मद अबीदुर रहमानःबिहार के अररिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक अबीदुर रहमान पुराने कांग्रेसी हैं. यह चर्चा में तब आए थे जब बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय गान के समय यह खड़ा नहीं हुए थे. बीजेपी ने उस समय अबीदुर रहमान पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा करने की अपील बिहार विधानसभा के अध्यक्ष की थी.

मनोहर प्रसाद सिंहःकटिहार के मनिहारी विधानसभा से लगातार तीन बार से विधायक हैं. पुलिस ऑफिसर से सेवानिवृत होकर मनोहर प्रसाद सिंह ने कांग्रेस का दामन थामा. उसके बाद लगातार मनिहारी आरक्षित सीट से विधायक बनते रहे हैं.

छत्रपति यादवःखगड़िया सदर से पहली बार विधायक बने छत्रपति यादव के पिता राजेंद्र प्रसाद यादव भी विधायक और मंत्री थे. यह चर्चा में तब आए जब इन्होंने अपने लिए मंत्री पद की मांग की थी. कहा था मैं यादव हूं मुझे मंत्री बनाना चाहिए.

आनंद शंकर सिंहःबिहार के औरंगाबाद शहरी क्षेत्र से विधायक हैं. लगातार दो बार से कांग्रेस का नेतृत्व इस जगह से कर रहे हैं. कांग्रेस के युवा नेता के तौर पर उन्होंने भाजपा के मंत्री रहे रामाधार सिंह को दो बार चुनाव में हराया है.

संतोष मिश्राःरोहतास के करगहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने संतोष मिश्रा पुराने कांग्रेसी हैं.

मुरारी गौतमःपिछली सरकार में मुरारी गौतम पंचायती राज मंत्री थे. मुरारी गौतम पुराने कांग्रेसी हैं. उनके पिता भी कांग्रेस में थे. पिता के राजद में जाने के बावजूद मुरारी गौतम कांग्रेस में ही रहे. यह रोहतास के चेनारी विधानसभा से विधायक हैं.

नीतू सिंहःनवादा से हिसुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक नीतू सिंह कई पार्टी घूम चुकी है. 2015 में इन्होंने समाजवादी पार्टी से विधानसभा का चुनाव लड़ा था. उनके ससुर आदित्य सिंह राजद सरकार में मंत्री थे. यह चर्चा में तब आई जब उन्होंने राहुल गांधी के फ्लाइंग kiss को लेकर विवादित बयान दिया था.

प्रतिमा दासःपूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास की बहू प्रतिमा दास वैशाली के राजापाकर से विधायक हैं. उनके ससुर कांग्रेस से राजनीति करते थे. मुख्यमंत्री भी कांग्रेस कोटा से ही बने थे. लेकिन अंत में उन्होंने जदयू का दामन थामा था. हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से रामविलास पासवान को हराकर वह सांसद बने थे. प्रतिमा दास पहली बार कांग्रेस से विधायक बनी है.

इज़हारुल हुसैनः किशनगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते इज़हारुल हुसैन पुराने कांग्रेसी हैं. इन्होंने 2020 में ओवैसी की पार्टी से विधायक रहे कमरुल होदा को हराया था.

विश्वनाथ रामःबक्सर जिले के राजपुर से विधायक बने विश्वनाथ राम पहले भाजपा में थे. इनको बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्य समिति का सदस्य भी बनाया था. यह चर्चा में तब आए जब विधानसभा में इनके विधायक रहे चाचा के आश्रित के नाम पर अपनी पत्नी के का नाम देकर पेंशन उठाने का मामला सामने आया था.

विजय शंकर दुबेःपुराने कांग्रेसी हैं छपरा के महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. इन्होंने अपनी राजनीति कांग्रेस से ही शुरू की थी.

विजेंद्र चौधरीःमुजफ्फरपुर से विधायक विजेंद्र चौधरी पुराने कांग्रेसी नहीं है. लगातार मुजफ्फरपुर से 1995 तक कांग्रेस जीतती रही थी जिसे उस समय जनता दल में शामिल विजेंद्र चौधरी ने कांग्रेस उम्मीदवार रघुनाथ पांडे को हराकर मुजफ्फरपुर पर कब्जा किया था. विजेंद्र चौधरी जनता दल, राजद, लोजपा में भी रहे हैं.

सिद्धार्थ सौरभःपटना जिले के विक्रम से लगातार दो बार से विधायक रहे सिद्धार्थ सौरभ प्रसिद्ध डॉक्टर उत्पल कांत के पुत्र हैं. विधायक बनने से पहले सिद्धार्थ जेल में थे. उसके बाद अपनी राजनीति उन्होंने कांग्रेस के साथ शुरू की. अभी तक की सूचना है कि वह हैदराबाद नहीं पहुंचे हैं.

संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारीःयह बक्सर से लगातार दो बार से विधायक हैं. जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी के बेहद नजदीकी मुन्ना तिवारी की राजनीति कांग्रेस से ही शुरू हुई थी. यह चर्चा में तब आए थे जब उनकी गाड़ी से शराब बरामद हुआ था.

इसे भी पढ़ेंः 'सभी विधायक चाहते हैं कि डबल इंजन वाली सरकार में रहें...'- नीरज बबलू ने महागठबंधन को दी चेतावनी

इसे भी पढ़ेंः 'मांझी के साथ नहीं होना चाहिए अन्याय', जीतन राम मांझी के समर्थन में आए चिराग पासवान

इसे भी पढ़ेंः 'NDA के साथ HAM, मोदी जहां जाएंगे हम वहीं रहेंगे', विधायकों के साथ बैठक में मांझी का फैसला

इसे भी पढ़ेंः मोदी के साथ नीतीश, आंकड़ों से जानें बिहार में NDA को कैसे मिलेगा फायदा

ABOUT THE AUTHOR

...view details