प्रशांत किशोर का अल्पसंख्यक सम्मेलन. (ETV Bharat) पटनाः बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होना है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी इस चुनाव में हाथ आजमाने की तैयारी में हैं. करीब दो साल तक उन्होंने पदयात्रा की. अब दो अक्टूबर को पार्टी बनाने जा रहे हैं. इससे पहले वो पटना में लगातार सम्मेलन कर रहे हैं. 28 जुलाई को पटना के बापू सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा समेत कई नेता जनसुराज अभियान में शामिल हुए. 25 अगस्त को आधी आबादी को साधने के लिए महिलाओं के लिए कार्यक्रम किया. अब एक सितंबर को पटना के बापू सभागार में अल्पसंख्यक सम्मेलन किया.
प्रशांत किशोर. (ETV Bharat) "हमें आपका वोट नहीं चाहिए. हमें सिर्फ आपकी दुआ की जरूरत है. आप अपने एक बच्चे को हमारे पास भेजिए. हम हर पंचायत में चार या पांच मुसलमान नेता को खड़ा करना चाहते हैं जो वार्ड सदस्य, मुखिया या फिर विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम हो. उसके लिए पैसे भी मैं खर्च करूंगा."- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
दलित के बाद मुसलमानों की स्थिति खराबः राजनीति के जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर की नजर मुस्लिम वोट पर है. राज्य की लगभग 17% अल्पसंख्यक आबादी है. राजनीतिक दलों के लिए अल्पसंख्यक वोट बैंक काफी महत्वपूर्ण है. अल्पसंख्यक वोटो को अपने पक्ष में करने के लिए तमाम राजनीतिक दल चुनाव के मैदान में कसरत करते दिखते हैं. बापू सभागार में प्रशांत किशोर के अल्पसंख्यक सम्मेलन में बिहार भर से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पहुंचे थे. खचाखच भरे बापू सभागार में प्रशांत किशोर ने अल्पसंख्यकों को समझाने का प्रयास किया कि बिहार के मुसलमान दलित के बाद सबसे बुरी स्थिति में हैं और इसके लिए वह खुद जिम्मेदार हैं.
अल्पसंख्यकों को पर्याप्त हिस्सेदारी नहींः प्रशांत किशोर ने सभा में कहा कि बिहार में मुसलमान की प्रतिनिधित्व पिछले कुछ सालों से कम होती दिख रही है. फिलहाल 19 अल्पसंख्यक विधायक विधानसभा में हैं जबकि आबादी के अनुसार उनकी दावेदारी 40 की होती है. प्रशांत किशोर ने कहा कि देश में 80% हिंदू आबादी है लेकिन बीजेपी को 35 से 40% ही वोट मिलता है. बाकी के 35 से 40% वोट बीजेपी के विरोध में है. उसे वोट को हम अगर मुसलमान के वोट के साथ जोड़ देते हैं तो हमारी सफलता के रास्ते तय हो जाएंगे. हमारे हिस्से में 60% वोट आएगा.
जन सुराज का अल्पसंख्यक सम्मेलन. (ETV Bharat) तेजस्वी यादव को दी चुनौतीः प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 में हमने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया, लेकिन उसके बाद कई राज्यों में चुनाव हुए और किसी न किसी रूप में हमने बीजेपी को हराने में वहां अपनी भूमिका निभाई चाहे नेता या दल कोई भी रहा हो. प्रशांत किशोर ने कहा कि हम 25 लोगों की कमेटी बनाने जा रहे हैं, जिसमें चार से पांच नेता मुस्लिम समुदाय से होंगे. हमारी पार्टी से 40 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. अगर राष्ट्रीय जनता दल मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देता है तो मैं वहां से उम्मीदवार नहीं दूंगा. मेरे इस चुनौती को तेजस्वी यादव स्वीकार करें, अगर उनमें हिम्मत है.
जन सुराज का अल्पसंख्यक सम्मेलन. (ETV Bharat) बिहार के सभी जिले से पहुंचे थे लोगः सम्मेलन में शामिल होने आए अल्पसंख्यक नेता भी उत्साहित दिखे. भागलपुर से आए जन सुराज नेता अबरार अंसारी ने कहा कि अब तक तमाम राजनीतिक दलों ने बिहार के मुसलमान को इस्तेमाल करने का काम किया है. लेकिन अब प्रशांत किशोर उनका हक दिलाने के लिए आगे आ चुके हैं. अल्पसंख्यक किसी के बहकावे में आने वाले नहीं हैं. हम लोग प्रशांत किशोर के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं. बापू सभागार में बिहार के सभी हिस्से से लोग पहुंचे थे. उनलोगों ने प्रशांत किशोर की बातों को ध्यान से सुना. सम्मेलन से बाहर निकलते वक्त, प्रशांत किशोर की बातों पर चर्चा करते दिखे.
"प्रशांत किशोर धीरे-धीरे अल्पसंख्यक वोटरों को अपनी तरफ मोड़ रहे हैं. यह दूसरा सम्मेलन है, जिसमें कि बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया. मतलब साफ है कि प्रशांत किशोर की बातों पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भरोसा हो रहा है. आने वाले दिनों में प्रशांत किशोर अल्पसंख्यक वोट में सेंधमारी कर सकते हैं, यह तो भविष्य के गर्भ में है कि कितना प्रतिशत वोट उनके पक्ष में अल्पसंख्यकों का जाएगा."- प्रवीण बागी, राजनीतिक विश्लेषक
अल्पसंख्यक वोटरों पर कई दलों की नजरः बिहार में 17% अल्पसंख्यक आबादी है. इस वोट बैंक को साधने के लिए लालू प्रसाद यादव ने माय समीकरण बना रखा था. अल्पसंख्यक वोट का ज्यादातर हिस्सा राष्ट्रीय जनता दल के पक्ष में जाता रहा है. इसके बाद नीतीश कुमार ने भी अल्पसंख्यक वोट को अपने पक्ष में करने में कामयाबी हासिल की थी. इस वक्त नीतीश कुमार के साथ बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक वोटर हैं. असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिम वोट के सहारे राजनीति चमकाने में लगे हैं. सीमांचल इलाके में अल्पसंख्यक वोट पर अपनी दखल रखते हैं. पप्पू यादव ने भी अल्पसंख्यक वोट पर अपनी दावेदारी रखी है.
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