दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

पहले इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब था जितना बड़ा प्रोजेक्ट, उतनी बड़ी मलाई : पीएम मोदी - lok sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

PM Modi interview : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीटीवी को दिए विशेष साक्षात्कार में तमाम सवालों का विस्तार से जवाब दिया. एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने भारत के भविष्य की झलक दिखाई. पीएम मोदी ने तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी और अपनी सरकार की उपलब्धियों के साथ ही उन्होंने मोदी 3.0 में देश के विकास का रोडमैप कैसा होगा, इसके बारे में भी बताया.

PM Modi interview
पीएम मोदी (IANS)

By IANS

Published : May 19, 2024, 10:28 PM IST

नई दिल्ली : पीएम मोदी ने सरकार के विजन से लेकर चार जून के नतीजों के बाद भविष्य के भारत की भावी तस्वीर पर खुलकर बात की. इस लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने भाजपा के लिए '370 पार' और एनडीए के लिए '400 पार' का लक्ष्य रखा है. पीएम मोदी ने इस साक्षात्कार में बताया कि अपनी सरकार के तीसरे कार्यकाल में उनका किस मुद्दे पर मुख्य फोकस रहेगा. उन्होंने 125 दिन का एजेंडा, 2047 तक विकसित भारत की योजना, 100 साल की सोच और 1000 साल के ख्वाब का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बड़ा पाना है तो बड़ा सोचना होगा.

पीएम मोदी से जब पूछा गया कि आपके गवर्नेंस का एजेंडा क्या होगा?

जवाब में पीएम ने कहा कि आपने देखा होगा कि मैं टुकड़ों में नहीं सोचता हूं और मेरा बड़ा विस्तृत और एकीकृत दृष्टिकोण होता है. सिर्फ मीडिया अटेंशन के लिए काम करना, यह मेरी आदत में नहीं है और मुझे लगा कि किसी भी देश के जीवन में कुछ टर्निंग पॉइंट्स आते हैं. अगर उसको हम पकड़ लें तो बहुत बड़ा फायदा होता है.

जब आजादी के 75 साल हम मना रहे थे, तब मेरे मन में वह 75वें साल तक सीमित नहीं था. मेरे मन में आजादी के 100 साल थे. मैं जिस भी इंस्टीट्यूट में गया, उसमें मैंने कहा कि बाकी सब ठीक है, देश जब 100 साल का होगा, तब आप क्या करेंगे? अपनी संसद को कहां ले जाएंगे. जैसे अभी 90 साल का कार्यक्रम था तो आरबीआई में गया था. मैंने कहा ठीक है आरबीआई 100 साल का होगा, तब क्या करेंगे? और, देश जब 100 साल का होगा, तब आप क्या करेंगे? देश मतलब आजादी के 100 साल.

हमने 2047 को ध्यान में रखते हुए काफी मंथन किया. लाखों लोगों से इनपुट लिए और करीब 15-20 लाख तो यूथ की तरफ से सुझाव आए. एक महामंथन हुआ. बहुत बड़ी एक्सरसाइज हुई है. इस मंथन का हिस्सा रहे कुछ अफसर तो रिटायर भी हो गए हैं, इतने लंबे समय से मैं इस काम को कर रहा हूं. मंत्रियों, सचिवों, एक्सपर्ट्स सभी के सुझाव हमने लिए हैं और इसको भी मैंने बांटा है. 25 साल, फिर पांच साल, फिर एक साल, 100 दिन स्टेज वाइज मैंने उसका पूरा खाका तैयार किया है, चीजें जुड़ेंगी इसमें. हो सकता है, एक आधी चीजें छोड़नी भी पड़े, लेकिन, मोटा-मोटा हमें पता है, कैसे करना है. हमने इसमें अभी 25 दिन और जोड़े हैं.

मैंने देखा कि यूथ बहुत उत्साहित है, अगर उसको चैनेलाइज्ड कर देते हैं, तो एक्स्ट्रा बेनिफिट मिल जाता है और इसलिए मैं 100 दिन प्लस 25 दिन यानी 125 दिन काम करना चाहता हूं. हमने 'माई भारत' लॉन्च किया है. आने वाले दिनों में मैं 'माई भारत' के जरिए कैसे देश के युवा को जोड़ूं, देश की युवा शक्ति को बड़े सपने देखने की आदत डालूं, बड़े सपने साकार करने की उनकी हैबिट में चेंज कैसे लाऊं, पर मैं फोकस करना चाहता हूं और मैं मानता हूं कि इन सारे प्रयासों का परिणाम होगा.

मैंने लाल किले से भी कहा था और आज मैं दोबारा कह रहा हूं कि देश में कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिसने हमको बड़ी विचलित अवस्था में जीने को मजबूर कर दिया. अब वे घटनाएं घट रही हैं, जो हमें हजार साल के लिए उज्ज्वल भविष्य की तरफ ले जा रही हैं. तो, मेरे मन में साफ है कि यह समय हमारा है. यह भारत का समय है और अब हमको मौका छोड़ना नहीं चाहिए.

बुनियादी ढांचे के तेज विकास के क्षेत्र में आपका नया फोकस क्या होगा?

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद लोग तुलना करते हैं कि भाई हमारे साथ जो आजाद हुए देश, वे इतने आगे निकल गए, हम क्यों नहीं देखते हैं. दूसरा हमने गरीबी को 'वर्चू' बना लिया है. ठीक है यार चलता है, क्या है. एक बड़ा सोचना, दूर का सोचना, यह शायद गुलामी के दबाव में कहो या फिर, इसी मिजाज में हम चलते रहे और मैं मानता हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर का दुरुपयोग हमारे देश में बहुत हुआ. इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब ही यह हो गया था कि जितना बड़ा प्रोजेक्ट, उतनी बड़ी मलाई, तो यह मलाई फैक्टर से देश जुड़ गया था, उससे देश तबाह हो गया.

मैंने देखा कि सालों तक इन्फ्रास्ट्रकर या तो कागज पर है, या तो भाई पत्थर लगा है, शिलान्यास हुआ है. जब मैं यहां आया तो प्रगति नाम का मेरा एक रेग्युलर प्रोजेक्ट है. मैं रिव्यू करने लगा और रिव्यू कर-करके मैंने उसको गति दी. कुछ हमारा माइंडसेट है, हमारी ब्यूरोक्रेसी है. सरदार साहब ने कुछ कोशिश की थी, अगर वह लंबे समय रहते तो हमारी सरकार व्यवस्थाओं की जो मूलभूत खाका होता है, उसमें बदलाव आता. वह नहीं आया. सरकारी अफसर को पता होना चाहिए, आखिर उसकी लाइफ का उद्देश्य क्या है. यह तो नहीं है कि मेरा प्रमोशन कब होगा और अच्छा डिपार्टमेंट मुझे कब मिलेगा, वह यहां सीमित नहीं हो सकता है, तो, ह्यूमन रिसोर्स के लिए सरकार टेक्नोलॉजी कैसे लाई, इस पर हमारा काम है. इंफ्रास्ट्रकचर में भी, फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्टर, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर.

इंफ्रास्ट्रक्चर से भी एक बात है मेरे मन में, एक तो स्कोप बहुत बड़ा होना चाहिए, टुकड़ों में नहीं होना चाहिए, दूसरा स्केल बहुत बड़ा होना चाहिए और स्पीड भी उसके मुताबिक होनी चाहिए. यानी स्कोप, स्केल, स्पीड और उसके साथ स्किल होनी चाहिए. ये चारों चीजें अगर हम मिला लेते हैं, मैं समझता हूं, हम बहुत कुछ अचीव कर लेते हैं और मेरी कोशिश यही होती है कि स्किल भी, स्केल भी हो और स्पीड भी हो, और कोई स्कोप जाने नहीं देना चाहिए. यह मेरी कोशिश रहती है. पहले भी कैबिनेट के नोट बनते-बनते तीन महीने लगते थे. मैंने कहा मुझे बताइए, कहां रुकता है धीरे-धीरे करके मैं करीब 30 दिन ले आया, हो सकता है कि मैं आने वाले दिनों में और कम कर दूंगा. स्पीड का मतलब यह नहीं है कि कंस्ट्रक्शन की स्पीड बढ़े, निर्णय प्रक्रियाओं में भी गति आनी चाहिए. इसलिए हर चीज की तरफ मैं ध्यान केंद्रित करता हूं.

एक आपको ध्यान होगा गति शक्ति, जैसे दुनिया में हमारे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की चर्चा होती है, लेकिन, गति शक्ति की उतनी चर्चा नहीं है. टेक्नोलॉजी का एक अद्भुत उपयोग, स्पेस टेक्नॉलजी का अद्भुत उपयोग और पूरे भारत में कहीं पर भी कोई इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रोजेक्ट करना है, लॉजिस्टिक सपोर्ट बढ़ाना है, गति शक्ति ऐसा प्लेटफार्म है. मैंने देखा जब मैंने पहली बार इसे लॉन्च किया तो राज्यों के चीफ सेक्रेटरी इतने खुश हो गए. हमारे गति शक्ति प्लेटफॉर्म पर डेटा है, उसकी 1,600 लेयर्स हैं, आप कोई भी चीज डालोगे, उसे 1,600 लेयर्स में से वेरीफाई होकर आता है कि यहां कर सकते हैं. यह अपने आप में एक बड़ी यूनिक चीज है.

अब यूपीआई, फिनटेक की दुनिया में आज यह बहुत बड़ा काम हुआ है. मैं तो प्रगति में यह करता हूं कि इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूत के लिए करीब 11 या 12 लाख करोड़ रुपया, जो कई डेढ़ या दो लाख करोड़ रुपया रहता था, इतना बड़ा जंप है. अब रेलवे में भी, आधुनिक रेलवे बनाने की दिशा में काम हो रहा है. हमने अनमैन क्रॉसिंग, उस समस्या को पूरी तरह से जीरो कर दिया है. अब रेलवे स्टेशन की सफाई देखिए, हर चीज पर बारीकी से ध्यान दिया गया है. हमने इलेक्ट्रिफिकेशन पर बल दिया. करीब-करीब 100 परसेंट इलेक्ट्रिफिकेशन पर हम चले गए हैं. पहले हमारे यहां गुड्स ट्रेन थी या पैसेंजर ट्रेन थी, मैंने उसमें यात्री ट्रेन की परंपरा शुरू की. जैसे रामायण सर्किट की ट्रेन चलती है, एक बार पैसेंजर अंदर गया, पूरी 18-20 दिन की यात्रा पूरी करके, सारी सुविधाएं लेकर वह यात्रा पूरी करता है. सीनियर सीटिजन्स के लिए बहुत बड़ा काम हुआ है. जैन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा चल रही है. द्वादश ज्यार्तिर्लिंग की चल रही है. बुद्ध सर्किट की चल रही है. यानी सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाकर छोड़ देने से बात नहीं बनती है. हमें उसके अधिकतम इस्तेमाल का प्लान साथ-साथ करना चाहिए. उस दिशा में हम काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें

पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी ने कहा- नई सरकार बनने के बाद भ्रष्टारियों की जिंदगी जेल में गुजरेगी

ABOUT THE AUTHOR

...view details