श्रीनगर:जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना) के पैनल में शामिल अस्पतालों को देरी से भुगतान और बीमा कंपनी व प्रशासन के बीच कानूनी विवाद के कारण बंद होने के कगार पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की स्वास्थ्य सेवा में 'क्रांतिकारी' योजना बताया था. इस साल मार्च के बाद से कोई प्रतिपूर्ति (रीइम्बर्स्मन्ट) नहीं होने की वजह से अस्पतालों के मालिकों ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लो को एक पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है. पत्र में अस्पताल के मालिकों ने मई के बाद मरीजों को अपनी सेवाएं देने में असमर्थता जताई है. इस योजना के तहत 239 सरकारी और निजी अस्पताल सूचीबद्ध हैं.
पत्र में सरकार को चेतावनी दी गई है कि सेहत (SEHAT) योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों और डायलिसिस केंद्रों को 15 मार्च, 2024 से कोई भुगतान नहीं मिला है. हम 1 जून, 2024 से आगे इस योजना को जारी रखने में असमर्थ होंगे. सूचीबद्ध अस्पतालों के मालिकों ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने 17 मई (शुक्रवार) को राज्य स्वास्थ्य एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव एम. गडकर के कार्यालय के माध्यम से मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि सूचीबद्ध अस्पतालों के पास अपने स्वास्थ्य केंद्रों को चलाने के लिए धनराशि नहीं बची है.
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी. इसे आमतौर पर 'गोल्डन कार्ड' योजना के रूप में जाना जाता है. यह योजना मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है जो उन्हें निजी अस्पतालों में मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा हासिल करने में सक्षम बनाती है. सेहत योजना को पहली बाधा का सामना करना पड़ा, जब इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने पिछले साल नवंबर में जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ अपने तीन साल के अनुबंध को एकतरफा समाप्त कर दिया. अनुबंध 10 मार्च, 2022 से शुरू होकर तीन वर्षों के लिए था और इसकी समाप्ति अवधि 14 मार्च, 2025 तक थी.
कंपनी को अनुबंध जारी रखने में दिलचस्पी नहीं...
ईटीवी भारत ने सबसे पहले इसी साल फरवरी में अनुबंध की समाप्ति के बारे में खबर प्रकाशित की थी. अनुबंध को जारी रखने के लिए स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) के अनुरोधों के बावजूद इफको-टोकियो ने कहा कि उसे अनुबंध को नवीनीकृत करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. एसएचए ने अनुबंध को जारी रखने के लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन जस्टिस वसीम सादिक नरगल की एकल पीठ ने इसी साल फरवरी में याचिका खारिज कर दी. जिससे सरकार को एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने के लिए खंडपीठ के पास जाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे यह मामला कानूनी पचड़े में फंस गया और अभी तक कोई राहत नहीं मिली है.