पटनाःआनेवाले 2 अक्टूबर यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर बिहार के सियासी पंडितों की नजर टिकी हुई है. दरअसल पूरे बिहार में घूम-घूम कर नये सियासी जागरण का दावा करनेवाले जन सुराज पदयात्रा के संयोजक प्रशांत किशोर2 अक्टूबर को ही अपनी पार्टी की विधिवत घोषणा करेंगे. दावा तो ये भी है कि पार्टी की घोषणा से पहले ही प्रशांत किशोर ने 2025 में होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने का फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है.
'जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी': चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि बिहार की सियासत पर जातियों का गहरा प्रभाव रहा है.लगता है कि बिहार के गांव-गांव घूम कर प्रशांत किशोर ने इस बात को अच्छी तरह जान-समझ लिया है. तभी तो उन्होंने जो अपना फॉर्मूला तैयार किया है वो जाति पर ही आधारित है. यानी जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी के आधार पर प्रशांत किशोर की पार्टी जातियों की जनसंख्या के अनुपात में ही अपने प्रत्याशी उतारेगी.
महिलाओं पर भी रहेगा खास फोकसः सियासत में महिलाओं की तरक्की को लेकर सियासी दल बड़ी-बड़ी बात जरूर करते हैं लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है तो महिलाओं की अनदेखी की जाती है. इस बात को भी प्रशांत किशोर ने समझा है और तय किया है कि एक लोकसभा क्षेत्र में एक महिला कैंडिडेट उतारेंगे. इस तरह बिहार की 40 लोकसभा क्षेत्रों के अनुसार कुल 40 महिला कैंडिडेट इस विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी उतारेगी.
"मान्यवर प्रशांत किशोर जी ने ये घोषणा कर रखी है कि संगठन में, टिकट में, शासन में, जहां भी आवश्यकता है, जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी दी जाएगी.आनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार की सभी 243 सीटों पर जन सुराज पार्टी चुनाव लड़ेगी और जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के आधार पर टिकट देगी."-संजय ठाकुर, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जन सुराज
बिहार में जातिगत समीकरणः अब बात करें बिहार में जातिगत समीकरण की तो बिहार सरकार की ओर से करवाई गई जातिगत जनगणना के आधार पर फिलहाल पूरे बिहार की आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार से ज्यादा है. बिहार सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है जो 36 फीसदी से ज्यादा है. वहीं दूसरे नंबर पर 27.12 फीसदी के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग है.
तीसरे नंबर पर अनुसूचित जाति, चौथे पर मुस्लिमः इसके अलावा 19.65 फीसदी की भागीदारी के साथ अनुसूचित जाति तीसरे नंबर पर है और 17.7 फीसदी की भागीदारी के साथ मुस्लिम चौथे नंबर पर हैं. बात सामान्य वर्ग यानी सवर्णों की करें तो उनकी कुल आबादी 15.52 फीसदी है और अनुसूचित जाति की आबादी 1.68 फीसदी है.
47 सीटों पर मुस्लिमों का दबदबाः बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में 47 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का खासा दबदबा है या यूं कहें कि मुस्लिम मतदाता ही इन 47 सीटों पर हार जीत तय करते हैं. इनमें सीमांचल के 4 जिले कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज के अलावा दरभंगा जिले में मुस्लिम आबादी ही राजनीति की दिशा तय करती है, क्योंकि इन जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक है.
28 फीसदी सीटों पर अति पिछड़ों का प्रभावः वहीं अति पिछड़ों की बात करें तो बिहार की 28 फीसदी सीटों पर इनका खासा प्रभाव है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सुपौल, मधेपुरा, झंझारपुर, भागलपुर, बांका, खगड़िया, पूर्णिया, जहानाबाद, काराकाट, उजियारपुर लोकसभा सीटों पर अति पिछड़ों के वोट ने ही निर्णायक भूमिका निभाई.
जन सुराज की रणनीतिःटिकट बंटवारे को लेकर जन सुराज की रणनीतियों का खुलासा करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय ठाकुर ने बताया कि "बिहार में सबसे ज्यादा 35 % अति पिछड़ा समाज है तो उन्हें 243 के 35 फीसदी सीटों पर यानी 75 से अधिक सीटें दी जाएंगी. उसी फॉर्मूले के तहत करीब 50 टिकट मुस्लिमों को दिए जाएंगे. सवर्णों को भी 15 फीसदी के हिसाब से हिस्सेदारी दी जाएगी. इसके अलावा 40 लोकसभा सीटों पर एक-एक महिला के हिसाब से कुल 40 महिलाओं को टिकट दिया जाएगा."