नई दिल्ली: भारत में अंग प्रत्यारोपणों की कुल संख्या में वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2013 में 4,990 से बढ़कर 2023 में 18,378 हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार का यह जानकारी दी. हालांकि, मंत्रालय ने चिंता जताई कि भारत में अंग दान की दर अभी भी प्रति दस लाख आबादी पर एक से कम है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 में कहा गया है कि गैर-संचारी रोग और जीवनशैली संबंधी बीमारियों के बढ़ते बोझ के कारण अंगों की भारी जरूरत को पूरा करने के लिए मृत व्यक्तियों से अंग दान को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, क्योंकि इन बीमारियों के कारण अंतिम चरण के अंग विफलता रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या बहुत अधिक है. दिल की धड़कन रुकने से पहले मृत मस्तिष्क के अंगों से अंग दान करना सबसे अच्छा होता है. लेकिन अंग दान को लेकर कई मिथक और गलत धारणाएं हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
अंगदान कार्यक्रम की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने देश में अंग प्राप्ति और वितरण की एक कुशल और संगठित प्रणाली प्रदान करने और अंगों व ऊतकों के दाताओं और प्राप्तकर्ताओं की एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एनओटीटीओ और क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर इसी तरह के संगठनों की स्थापना की है.
एनओटीटीओ की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जनवरी से दिसंबर तक कुल 16,542 अंग दाताओं को पंजीकृत किया गया, जिनमें 15,436 जीवित दाता, 1,099 मृतक दाता और 7 डोमिनो दाता शामिल हैं. भारत में 2023 में कुल 18,378 प्रत्यारोपण पंजीकृत किए गए, जिनमें 13,426 किडनी प्रत्यारोपण, 4,491 लीवर प्रत्यारोपण, 221 हृदय प्रत्यारोपण, 197 फेफड़े प्रत्यारोपण, 27 अग्न्याशय प्रत्यारोपण और 16 छोटी आंत प्रत्यारोपण शामिल हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में कुल 18,336 अंग प्राप्तकर्ता थे. 2023 में किडनी प्रत्यारोपण की अधिकतम संख्या दर्ज करने वाले शीर्ष पांच राज्यों में दिल्ली 2,576, तमिलनाडु 1,633, महाराष्ट्र 1,305, केरल 1,065 और पश्चिम बंगाल 1,045 हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत अंग प्रत्यारोपण के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और कॉर्निया ट्रांसप्लांट के मामले में दूसरे स्थान पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने वर्ष 2023 में एक और उपलब्धि हासिल की है. पहली बार 1,000 से अधिक मृतक अंग दान के साथ, भारत ने पिछले वर्ष मृतक अंग दान की सबसे अधिक संख्या रिपोर्ट करते हुए अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
राष्ट्रीय मानव अंग एवं ऊतक निष्कासन एवं भंडारण नेटवर्क में नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल परिसर में स्थित एक NOTTO, 5 क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (ROTTO) और 22 राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) शामिल हैं, जिन्हें अब तक मंजूरी दी गई है, जो 857 अस्पतालों या संस्थानों के साथ नेटवर्क करते हैं, जिसमें 654 अंग प्रत्यारोपण केंद्र, 132 अंग पुनर्प्राप्ति केंद्र और शेष ऊतक केंद्र शामिल हैं.
18 वर्ष या उससे अधिक आयु के जीवित दाता केवल एक किडनी या लीवर का हिस्सा दान कर सकते हैं, जबकि किसी भी आयु का एक ब्रेन डेड दाता 8 महत्वपूर्ण अंगों जैसे हृदय, 2 फेफड़े, लीवर, 2 किडनी, अग्न्याशय और छोटी आंत तथा कॉर्निया, हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व आदि जैसे कई ऊतक (Tissue) दान कर सकता है. प्राकृतिक हृदय मृत्यु के बाद दाता केवल ऊतक (जैसे कॉर्निया, हड्डी, त्वचा, रक्त वाहिकाएं) आदि दान कर सकता है.
एक राष्ट्र एक नीति...
हालांकि, राज्यों के परामर्श से 'एक राष्ट्र एक नीति' की ओर बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने कुछ सुधार किए हैं. सुधारों में प्रत्यारोपण के लिए अंग प्राप्तकर्ताओं के पंजीकरण के लिए राज्य के निवासी की शर्त को हटा दिया गया है. साथ ही अंग प्राप्तकर्ताओं के पंजीकरण के लिए ऊपरी आयु सीमा को हटा दिया गया है, जिसका मतलब यह है कि अब किसी भी आयु का व्यक्ति अंग प्राप्त करने के लिए पंजीकरण कर सकता है और पंजीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा.
अंग परिवहन के लिए एसओपी जारी
वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को भविष्य में प्रत्यारोपण के लिए अंगों के परिवहन सुनिश्चित करने के लिए 44 पन्नों की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की. स्वास्थ्य मंत्रालय, नीति आयोग, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) और अन्य विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग से तैयार की गई एसओपी में छह अलग-अलग तरीकों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें हवाई, एम्बुलेंस, मेट्रो, रक्षा, सड़क एवं राजमार्ग, ट्रेन और जलमार्ग शामिल हैं. हालांकि इन विभिन्न तरीकों से अंगों के परिवहन में लगभग समान प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं, लेकिन इसमें कुछ क्षेत्र के हिसाब से भी निर्देश शामिल हैं.