नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के विवेक विहार इलाके में शनिवार रात एक बेबी केयर सेंटर में आग लगने से सात नवजात की जलकर मौत मामले में जांच चल रही है. अभी तक की जांच में यह खुलासा हुआ कि नर्सिंग होम का लाइसेंस 31 मार्च को ही खत्म हो गया था. इतना ही नहीं फायर एनओसी भी नहीं थी. इसके पूरे दिल्ली के बारे में जब पता किया गया तो ऐसे छोटे बड़े सरकारी व निजी 1000 अस्पताल हैं, जिनमें से सिर्फ 196 के पास ही फायर एनओसी है. बाकी अन्य अस्पताल बिना फायर एनओसी के ही संचालित हो रहे हैं.
अगर इन अस्पतालों में कोई आग लगने की घटना हो जाती है तो वहां से मरीज और कर्मचारियों का निकलना और बचना मुश्किल हो जाएगा. यह अस्पताल आपदा की स्थिति में भगवान भरोसे ही रहेंगे.
इतना ही नहीं, इन अस्पतालों को बिना फायर एनओसी के अस्पताल चलाने का लाइसेंस किस तरह मिला है यह भी जांच का विषय है. नियम के अनुसार, दिल्ली में किसी भी अस्पताल या नर्सिंग होम को लाइसेंस देने का अधिकार स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) को है. यह दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आता है. किसी भी नर्सिंग होम या अस्पताल को लाइसेंस देने से पहले उस बिल्डिंग के बारे में पूरी जानकारी, नक्शे की जानकारी और फायर एनओसी की पड़ताल की जाती है. उसके बाद ही उसको लाइसेंस देने का नियम है. लेकिन, इतनी बड़ी संख्या में बिना फायर एनओसी के अस्पताल और नर्सिंग होम का संचालन होना लोगों की जिंदगी के साथ जानबूझकर खिलवाड़ किया जाना है.
पहले जब भी इस तरह आग लगने की घटनाएं हुई हैं और फायर एनओसी का मुद्दा गरमाया है तो दिल्ली फायर सर्विस का हमेशा यही कहना रहा है कि उनके पास बिना फायर एनओसी के चल रही किसी भी कमर्शियल बिल्डिंग को सील करने का अधिकार नहीं है. जब उनके पास कोई भी संस्थान फायर एनओसी के लिए आवेदन करता है तब फायर एनओसी देने से पहले वह उस संस्थान की बिल्डिंग का निरीक्षण करते हैं. मानकों को देखने के बाद फायर एनओसी जारी करते हैं. अगर बिना फायर एनओसी के कोई संस्थान चल रहा है तो उसको सील करने का अधिकार दिल्ली नगर निगम के पास है.
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बेबी केयर सेंटर में अयोग्य डॉक्टर के भरोसे हो रहा था बच्चों का इलाज
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि बेबी केयर सेंटर में जिस डॉक्टर को बच्चों के इलाज के लिए रखा गया था, वह एमबीबीएस नहीं बल्कि बीएएमएस था, जबकि नियमों के अनुसार एनआईसीयू (निकू) में बच्चों का इलाज करने के लिए पीडियाट्रिशियन, न्यूनेटोलॉजी स्पेशलिस्ट एवं एनेस्थीसिया के स्पेशलिस्ट डॉक्टर की आवश्यकता होती है. इन तीन श्रेणी के डॉक्टर ही निकू में भर्ती बच्चों का इलाज कर सकते हैं या उनकी देख रेख के लिए उपयुक्त माने जाते हैं. जबकि नियमों को ताक पर रखकर दिल्ली एनसीआर में चार बेबी केयर सेंटर का संचालन करने वाले डॉक्टर नवीन खींची ने बीएएमएस (आयुर्वेदिक) डिग्री वाले डॉक्टर के भरोसे बच्चों को भर्ती कर रखा था. घटना के समय बीएएमएस डिग्री धारी डॉक्टर आकाश ही ड्यूटी पर था. आरोपी डॉक्टर नवीन कीची के चार बेबी केयर सेंटर एक सेंटर विवेक विहार में, दूसरा पंजाबी बाग, तीसरा फरीदाबाद और चौथा गुरुग्राम में संचालित हैं.
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