बिहार

bihar

ETV Bharat / bharat

बिहार में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौतें..उठते सवाल, क्या शराबबंदी खत्म होगी? सरकार करने जा रही ये काम - Bihar Liquor Ban - BIHAR LIQUOR BAN

Liquor Ban Third Survey Report : बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के डिमांड पर 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी. अब 8 साल से अधिक हो चुके हैं 8 साल में नीतीश सरकार ने शराबबंदी कानून में कई संशोधन किया है साथ ही शराबबंदी का कितना असर हुआ दो-दो सर्वे रिपोर्ट भी तैयार कराया गया और अब तीसरा सर्वे रिपोर्ट भी तैयार हो रहा है..पढ़ें पूरी खबर-

Etv Bharat
शराबबंदी पर नीतीश का तीसरा वार (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 9, 2024, 10:13 PM IST

Updated : Sep 9, 2024, 10:43 PM IST

नीतीश सरकार शराबबंदी पर करा रही तीसरा सर्वे (ETV Bharat)

पटना: बिहार में शराबबंदी जरूर कर दी लेकिन बिहार में शराब की अवैध बिक्री चालू है. हाल के दिनों में कुछ संदिग्ध मौतें हुईं जो ये बताती हैं कि बिहार में कागजों पर शराबबंदी लागू है. हकीकत इन दावों से जुदा है. सीतामढ़ी में 3 लोगों की संदिग्ध मौत से सवाल उठने लगे. इसी बीच समस्तीपुर में भी 3 लोगों की संदिग्ध मौत हो गई. कटिहार और वैशाली में भी दो-2 लोगों की संदिग्ध मौतों ने सरकार के दावे पर सवाल खड़े कर दिए. इसी बीच सरकार अब शराबबंदी की सक्सेस को आकने के लिए तीसरा सर्वे करा रही है.

शराबबंदी पर नीतीश का तीसरा वार: रांची की एक संस्था को बिहार में शराबबंदी को लेकर रिपोर्ट तैयार करने के लिए दिया गया है. जीविका की मदद भी ली जा रही है. पहले दो रिपोर्ट में शराबबंदी को बिहार में सफल बताया गया. तीसरी रिपोर्ट में भी शराबबंदी के पक्ष में संकेत मिलने की बात मिल रही है, लेकिन इसके बावजूद प्रशांत किशोर से लेकर सहयोगी जीतराम मांझी और विरोधी आरजेडी तक सवाल किया जा रहा है.

5 अप्रैल 2016 से है पूर्ण शराबबंदी : 9 जुलाई 2015 को महिलाओं के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि चुनाव में जीत के बाद सरकार बनी तो शराबबंदी लागू करेंगे. सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने शराबबंदी लागू कर दी. 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. पिछले 8 सालों में नीतीश सरकार ने शराबबंदी के असर को लेकर तीन सर्वे रिपोर्ट तैयार कराने का फैसला लिया.

ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

नीतीश सरकार करा रही तीसरा सर्वे: बिहार में शराब बंदी को लेकर दो सर्वे हो चुका है. 2018 में पहली बार नीतीश सरकार ने सर्वे कराया है. जिसमें एक करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है, यह जानकारी रिपोर्ट से मिली. 2023 में चाणक्य लॉ विश्वविद्यालय और एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट के साथ सर्वे कराया जिसमें एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ने की जानकारी मिली. बिहार में 99% महिलाएं और 93% पुरुष शराबबंदी के पक्ष में है.

क्या कहती है अब तक की रिपोर्ट?: 2018 में सर्वे रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पूरे देश में 1 वर्ष में 30 लाख लोगों की मृत्यु हुई इसमें 5.3% मौत शराब पीने से हुई 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5% लोगों की मृत्यु शराब पीने के कारण होती है. आत्महत्या के जितने मामले आते हैं उनमें 18% आत्महत्या शराब पीने के कारण होती है. शराब पीकर गाड़ी चलाने से 27% सड़क दुर्घटनाएं होती है . शराब पीने से 200 प्रकार की गंभीर बीमारियां भी होती है.

10000 करोड़ रुपए दूसरी मदों में खर्च : रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की खानपान, शिक्षा और रहन-सहन में सुधार आया है लोग 10000 करोड़ रुपए शराब पर खर्च कर रहे थे. शराब बंदी लागू होने के बाद यह पैसा कई क्षेत्रों में लग रहा है सब्जी, फल, दूध की बिक्री बढ़ी है. इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ा है. विशेषज्ञों का कहना है कि शराबबंदी पर इसलिए सवाल खड़ा हो रहे हैं, क्योंकि बिहार को इससे बड़ा राजस्व का नुकसान हो रहा है. बिहार में शराबबंदी के बावजूद सच्चाई यही है कि शराब की अवैध बिक्री हो रही है.

बिहार में शराबबंदी (ETV Bharat)

अब तक हुई कार्रवाई: पिछले साल शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया और उसके बाद से शराब पीने वाले सिर्फ 5% को ही जेल भेजा गया. 127000 लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिसमें से 52% को जुर्माना देकर छोड़ दिया गया है. 2016 से अब तक 1522 अभियुक्तों को सजा दिलाई गई है. अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए बिहार के अलावे दूसरे राज्यों से भी बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की जा रही है.

शराबबंदी बिहार में खत्म होने वाला है?: झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब , पश्चिम बंगाल, राजस्थान, असम, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड से भी गिरफ्तारियां की गई. नीतीश सरकार की तरफ से शराबबंदी को लेकर कानून में भी बदलाव किए जा रहे हैं. कार्रवाई भी की जा रही है और सर्वे रिपोर्ट भी तैयार किया जा रहा है. सब कुछ शराबबंदी के पक्ष में है, लेकिन इसके बावजूद एनडीए के प्रमुख सहयोगी जीतन राम मांझी विरोधी राजद और प्रशांत किशोर जो 2 अक्टूबर को पार्टी लॉन्च करने वाले हैं, शराबबंदी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. प्रशांत किशोर तो सत्ता में आने के बाद शराबबंदी समाप्त करने की बात भी कर रहे हैं.

''बिहार में शराबबंदी के बाद 20000 करोड़ से अधिक का अवैध कारोबार पंप है. साथ ही बिहार को हर साल 10 से 15000 करोड़ का राजस्व का नुकसान हो रहा है. इसीलिए शराबबंदी को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है, क्योंकि बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए राजस्व विकास में मददगार हो सकते थे. दूसरे राज्य सरकारों ने भी बिहार शराबबंदी का अध्ययन करने के लिए टीम भेजा था लेकिन वहां की सरकार शराब बंदी को लागू नहीं कर सकीं, उसका भी बड़ा कारण राजस्व ही रहा है.''- अरुण पांडेय, राजनीतिक विशेषज्ञ

मद्य एवं निषेध विभाग बिहार (ETV Bharat)

शराबबंदी के खिलाफ 'अपने' और विपक्ष साथ : अरुण पांडेय का कहना है कि जीतन राम मांझी गरीबों को लेकर अपनी चिंता जताते रहते हैं और यहां तक कहते हैं की अधिकारी-मंत्री शराब पीते हैं. लेकिन गरीब की गिरफ्तारी होती है. वहीं प्रशांत किशोर भी शराबबंदी को पक्ष में इसलिए नहीं है. क्योंकि इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है. उनका यह भी दावा है कि महात्मा गांधी ने कभी भी शराबबंदी के पक्ष में बात नहीं कही है. लेकिन यह भी सही है कि नीतीश कुमार के रहते शराब बंदी समाप्त नहीं हो सकती है.

राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का भी कहना है कि ''बिहार में नीतीश सरकार ने जो सर्वे रिपोर्ट कराया है उसमें पॉजिटिव परिणाम शराबबंदी के पक्ष में आए हैं. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बिहार में शराबबंदी के कारण एक अलग अवैध आय का स्रोत डेवलप हुआ है. सच्चाई यही है कि पूर्ण शराबबंदी है फिर भी शराब मिल रही है.''

शराबबंदी पर आरोप-प्रत्यारोप: आरजेडी के नेता शराबबंदी को लेकर लगातार सवाल खड़ा करते रहे हैं. मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादवका कहना है कि ''बिहार में जिस मकसद से शराबबंदी किया गया था वह सफल नहीं रही है. शराब अच्छी चीज है यह कोई नहीं कह सकता है. सिर्फ जीतन राम मांझी कर सकते हैं. प्रशांत किशोर को लेकर मुझे कुछ कहना नहीं है.'' वहीं सत्ताधारी दल जदयू के नेताओं का कहना है शराब माफियाओं से हम लोगों का कोई लेना-देना नहीं है. जो लोग शराबबंदी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, आरजेडी जैसी पार्टी को शराब कारोबारी से ही चंदा मिलता है.

''बिहार में दो रिपोर्ट में पॉजिटिव परिणाम शराबबंदी के पक्ष में आए हैं. अब तीसरी रिपोर्ट में भी जो संकेत मिल रहे हैं वह शराबबंदी के पक्ष में है. शराब में जो राशि खर्च होती है वह बच रही है और उस राशि का सदुपयोग लोग खाने में शिक्षा और रहन-सहन में कर रहे हैं. समाज में बेहतर माहौल हुआ है और महिलाओं में शराबबंदी को लेकर खुशी है.'' - अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

राजस्व का नुकसान बड़ा अडंगा : बिहार में जब पूर्ण शराबबंदी हुई थी उस समय 4000 करोड़ शराब से राजस्व प्राप्त हो रहा था. मद्य निषेध उत्पाद विभाग के अधिकारियों के अनुसार शराबबंदी से हर साल 10000 करोड़ से अधिक राजस्व का अब नुकसान हो रहा है. इस दौरान राजस्थान छत्तीसगढ़ कर्नाटक मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से वहां की सरकार ने अध्ययन टीम भी बिहार भेजा है लेकिन वहां की राज सरकारों ने टीम की रिपोर्ट पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Sep 9, 2024, 10:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details