गया: मंदिर और मस्जिदों में फूल चढ़ाने की सदियों पुरानी परंपरा है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि यही फूल सूखने के बाद किसी काम के नहीं रहते. कानपुर के अंकित अग्रवाल ने इन सुगंधित फूलों को अलग नजरिये से देखा और फूल.को के जरिए पूरे विश्व में इसकी सुगंध को फैला दिया. अंकित की अलग सोच के कारण ही मन की बात में पीएम मोदी इनसे संवाद करेंगे. आइये आपको बताते हैं कि आखिर पीएम अंकित से इतने क्यों प्रभावित हैं.
कानपुर के युवा उद्यमी का फूल.को: युवा उद्यमी अंकित अग्रवाल की लगन और अनोखे बिजनेस आइडिया ने उनके साथ-साथ कई लोगों के जीवन को बदल दिया. अंकित विभिन्न मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्ती तैयार कर देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में बेचते हैं. उनकी स्टार्टअप कंपनी फूल डॉट को आज कई युवाओं को रोजगार दे रही है.
ऐसे आया अंकित को आइडिया: साल 2017 में प्राइवेट नौकरी के दौरान अंकित अपने दोस्त के साथ घूम रहे थे. चेक रिपब्लिक के दोस्त कानपुर आए, तब अंकित उन्हें गंगा घाट ले गए. वहां उन्होंने अपने दोस्त को गंगा की पवित्रता और महत्व के बारे में बताया. इसी बीच दोस्त ने गंगा में कचरा को लेकर सवाल खड़े किए और कहा कि तुम कुछ क्यों नहीं करते हो. इसी बीच ऑटो से भरकर मंदिर का फूल गंगा जी में डाल दिया गया. तब मैंने फूलों से अगरबत्ती बनाने का सोचा.
"मैंने रिसर्च शुरू किया. मैंने जॉब छोड़ने का फैसला किया. खाद बनाना और बेचना मुश्किल हो रहा था. इसी बीच मैंने अगरबत्ती बनाने का सोचा.कोयलारहित अगरबत्ती बनाया और ऑनलाइन बेचना शुरू किया. 2017 में फूल.को बनाया."- अंकित अग्रवाल, युवा उद्यमी
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मन की बात में अंकित अग्रवाल से संवाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 फरवरी यानी की रविवार को को मन की बात करेंगे. इस कार्यक्रम के तहत वे आईआईटी कानपुर के फूल स्टार्टअप के संचालक अंकित अग्रवाल से बात करेंगे. पीएम मोदी देश के किसी भी हिस्से की खास शख्सियत से बात करते हैं. इस बार 23 फरवरी को मन की बात में वह फूलों से रीसाइक्लिंग के पश्चात बनने वाले विभिन्न प्रकार के सुगंधित सामग्रियों पर चर्चा करेंगे.
महाबोधि मंदिर के फूल से भी बनती हैं अगरबत्तियां : महाबोधि मंदिर में चढ़ने वाले फूल का आईआईटी कानपुर के कंपनी फूल डॉट को के साथ करार है. करार के तहत महाबोधि मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को प्रयोग में लाया जा रहा है. गया डीएम सह महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी कमेटी (बीटीएमसी) के अध्यक्ष का उस कंपनी के साथ यह करार है. ये फूल से बायोमैटेरियल्स स्टार्टअप है और उसे आईआईटी कानपुर द्वारा समर्थित किया गया है. यह महाबोधि मंदिर के फूल को रिसाइकल करने के लिए फ्लावर साइकलिंग तकनीक है. इसे फोब्र्स, फॉर्च्यून और स्टैन फोर्ड द्वारा फास्ट कंपनी वर्ल्ड के रूप में सम्मानित किया गया है.
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सशक्त बन रहीं महिलाएं: महाबोधि मंदिर में चढ़ने के बाद बेकार हुए फूलों को बायोडिग्रेडेबल अपसाइकिल किया जाता है और उससे चारकोल युक्त धूप और अगरबत्ती तैयार किया जाता है. नवंबर 2022 से इसका उत्पादन शुरू हो चुका है. इस कार्य में काम में महिलाओं को विशेष रोजगार भी मिला है.
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हर महीने प्रधानमंत्री करते हैं कार्यक्रम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने मन की बात को संबोधित करते हैं. इस बार 23 फरवरी को मन की बात कार्यक्रम के तहत आईआईटी कानपुर के फूल स्टार्टअप के संचालक अंकित अग्रवाल से वे बात करेंगे. प्रधानमंत्री हर माह के अंतिम रविवार को मन की बात कार्यक्रम करते हैं. इसमें विदेश के किसी भी हिस्से की खासियत से बात करते हैं. इस बार पीएम मोदी फूलों से रीसाइक्लिंग के पश्चात बनने वाले विभिन्न प्रकार की सुगंधित सामग्रियों पर चर्चा करेंगे.
2022 से है फूल डॉट को और बीटीएमसी का करार: गया के डीएम सह बीटीएमसी अध्यक्ष डॉक्टर त्याग राजन एसएम ने बताया कि आईआईटी कानपुर के अंकित अग्रवाल की कंपनी फूल डाॅट को से हमारा करार है. 2022 में महाबोधि मंदिर के वेस्ट फूलों को लेकर करार हुआ था. भगवान बुद्ध को चढ़ाए गए फूल को कन्वर्ट कर अगरबत्ती के रूप में बनाने का प्रोजेक्ट सामने आया था.
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"हमने इसे समझा और उसके बाद स्थानीय लगभग 500 महिलाओं के साथ यूनिट की शुरुआत हुई है. फूल डॉट को विदेशों में और देश में बासी फूलों से अगरबत्ती बनाकर बिक्री करता है. यह खुशी की बात है, कि वेस्ट फूलों से सुगंधित अगरबत्तियां बनाई जा रही है. महाबोधि मंदिर की पवित्रता के साथ यहां के फूलों से अगरबत्तियां बन रही है. इसका रेवेन्यू भी बीटीएमसी को मिल रहा है."- डॉ. त्यागराजन एसएम, गया डीएम सह बीटीएमसी अध्यक्ष
500 महिलाओं के साथ स्थापित की यूनिट: आईआईटी कानपुर के अंकित अग्रवाल की फूल डॉट को ने 500 महिलाओं के साथ यूनिट की शुरुआत की है. बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार दिया है. इस प्रोजेक्ट पर करोड़ में राशि खर्च हो रही है. इसे बोधगया के धनावा में स्थापित किया गया है. प्रतिदिन क्विंटल में महाबोधि मंदिर में चढ़ाए गए बासी फूल रिसायकल के लिए यहां ले जा रहे हैं. इस प्लांट की क्षमता काफी है.
अमेरिका, सिंगापुर, जर्मनी जाती हैं अगरबत्ती: जानकारी के अनुसार आईआईटी कानपुर अंकित अग्रवाल की फूल डॉट को कंपनी महाबोधि मंदिर ही नहीं, बल्कि देश भर के सभी बड़े धार्मिक स्थलों से फूल खरीदती है. केदारनाथ बोधगया बद्रीनाथ अयोध्या कानपुर और बनारस जैसे धार्मिक स्थलों से बड़े पैमाने पर वेस्ट फूल खरीदी जाती है और उससे सुगंधित अगरबत्तियां बनती है. खास बात यह है, कि यहां महाबोधि समेत देश के अन्य मंदिर के फूलों से बने अगरबत्तियां अमेरिका, सिंगापुर, जर्मनी समेत अन्य देशों तक जाते हैं.
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कैसे बासी फूल से बनती है अगरबत्ती: वहीं, महाबोधि मंदिर के बासी फूलों को चुनने में जुटी मोनी कुमारी बताती हैं, कि "इन बासी फूलों से अगरबत्ती बनाया जाता है. पहले हम लोग फूल को चुनकर छांट लेते हैं. इसके बाद पिसावट करते हैं और फिर सुखाते हैं. बोधगया और कानपुर में इससे अगरबत्ती बनाया जाता है. विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद यह सुगंधित अगरबत्ती के रूप में सामने होता है."
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