नई दिल्ली : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि एकनाथ शिंदे की “हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए” टिप्पणी किसके लिए थी. यहां 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए पवार ने सवाल किया कि क्या शिंदे यह कहना चाहते थे कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) या किसी और को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. सत्र में पवार के बाद बोलने वाले शिंदे ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया और केवल इतना कहा कि “मुझे हल्के में न लें” टिप्पणी दो साल पहले हुई एक घटना के संदर्भ में थी.
तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में पवार ने कहा, “हाल ही में, शिंदे ने एक वाक्यांश का इस्तेमाल किया था, “मुझे हल्के में मत लीजिए.” यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि यह टिप्पणी किसके लिए थी.” उन्होंने कहा, “यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि ‘मशाल’ को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए या किसी और को उन्हें (शिंदे) हल्के में नहीं लेना चाहिए.”
‘मशाल’ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) का चुनाव चिह्न है. पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और शिवसेना के सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के भीतर कोई दरार नहीं है.
शिंदे ने 2022 में उद्धव के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना से बगावत करते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए थे. 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए थे, जबकि शिंदे और पवार को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था.
कार्यक्रम में शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया था. शिंदे ने शिवसेना (उबाठा) पर कटाक्ष किया और कहा कि पार्टी उनके राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार के हाथों महादजी शिंदे पुरस्कार प्राप्त करने से नाराज थी.
उन्होंने सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दिखे तालमेल का भी जिक्र किया. शिंदे ने कहा, “हम चुनाव के बाद सब कुछ भूल जाते हैं और राजनीति से परे रिश्ते निभाते हैं.” पवार और शिंदे ने शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता भी जताई.
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