नई दिल्ली: नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) ने भारत रंग महोत्सव के अंतिम दिन ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. बुधवार को एनएसडी ने देशभर में एक साथ 1,500 के ज्यादा ऑनलाइन नाटकों का मंचन किया. इसे 'जन रंग महोत्सव' नाम दिया गया. इस मौके पर एनएसडी के चेयरमैन और अभिनेता परेश रावल ने 'ईटीवी भारत' से खास बातचीत में कहा कि, ये गर्व की बात है कि अमृतकाल के दौर में एनएसडी ने 25वां भारत रंग महोत्सव आयोजित किया. 21 दिनों में देशभर में 150 से ज्यादा नाटकों का मंचन किया गया. इसके अलावा 21 फरवरी को एनएसडी ने एक और नया इतिहास रचा. इसमें वसुधैव कुटुम्बकम की थीम के साथ देशभर में एक साथ और एक ही समय पर 1500 से ज्यादा नाटकों का लाइव प्रसारण किया गया. इन नाटकों के माध्यम से समाज की कुरीतियों और कुरिवाजों को दूर करने की बात कही गई, ये अपने आप में बेमिसाल है.
सोशल मीडिया आधारित अपराधों पर बने नाटक:परेश रावल ने कहा कि आज के दौर में साइबर क्राइम बड़ी संख्या में पैर पसार रहा है. उसको देखते हुए वर्तमान में नए नाटकों के मंचन की जरूरत है, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके कि साइबर क्राइम से किस तरह बचा जा सकता है. इसके लिए एक थीम तैयार करने की जरूरत है, जो मनोरंजन के साथ लोगों को जागरूक करे और बचाव के उपाय भी बताए. उन्होंने कहा, एनएसडी से मुझे बहुत लगाव है, लेकिन मेरा दिल्ली आना-जाना कम ही हो पाता है. अपने कार्यकाल में उन्होंने लगभग 35-40 मीटिंग ऑनलाइन माध्यम से ज्वाइन की हैं.
निराशा और हार जैसा शब्द नहीं:उन्होंने कहा कि, नाटक के क्षेत्र में जो भी विद्यार्थी आता है, उसको नाटक के साथ अच्छा इंसान बनने की तालीम दी जाती है. कोई भी विद्यार्थी अगर किसी नाटक का मंचन करता है, तो उसको हर नाटक से कुछ नया सीखने का मौका मिलता है. साथ ही रंगमंच के विद्यार्थियों को नाटक मंचन से यह सीखने का मौका भी मिलता है कि जीवन में आने वाली परेशानियों और कठिनाइयों का किस तरह सामना किया जाए. नाट्य क्षेत्र में प्रवेश करने वाले विद्याथियों के जीवन में निराशा और हार जैसा शब्द नहीं होता है. उन्हें केवल जीतना आना चाहिए.