कुरुक्षेत्र: हरियाणा विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. हरियाणा में इस समय सबसे ज्यादा चर्चा मुख्यमंत्री नायब सैनी के चुनाव लड़ने को लेकर है. नायब सैनी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे इसको लेकर बीजेपी के अंदर ही मतभेद खुलकर सामने आ गये हैं. नायब सैनी दावा कर रहे हैं कि वो करनाल से ही चुनाव लड़ेंगे जबकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने ये घोषणा कर दी है कि सीएम सैनी लाडवा से चुनाव लड़ेंगे. इसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि नायब सैनी लाडवा से अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं हैं.
1. लाडवा सीट पर बीजेपी में भितरघात का खतरा
राजनीतिक विशेषज्ञ विनोद चौधरी का कहना है कि अभी तक नायब सैनी के लाडवा से चुनाव लड़ने पर संदेह था. ये सस्पेंस शायद इसलिए था कि अभी से उनका नाम उम्मीदवार के तौर पर सामने आता है तो पार्टी में भितरघात का खतरा बढ़ जायेगा. क्योंकि लाडवा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के कई नेता टिकट की रेस में हैं. मौजूदा समय में यहां पर पूर्व विधायक डॉक्टर पवन सैनी, वरिष्ठ नेता डॉक्टर गणेश शर्मा और संदीप गर्ग मुख्यमंत्री से पहले से लाडवा विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं. इन नेताओं का जमीनी तौर पर अच्छा प्रभाव है. और अगर ये भितरघात करते हैं तो नायब सैनी की जीत मुश्किल में पड़ जायेगी. लाडवा में सैनी समाज के कई नेताओं के चलते ये वोट आपस में बंट सकता है.
2. लाडवा में सैनी मतदाताओं का बिखराव
अब सवाल ये है कि नायब सैनी अगर लाडवा सीट से लड़ते हैं तो क्या उनकी जीत मुश्किल में पड़ सकती है. हलांकि उनके लाडवा से लड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये माना जा रहा है कि वहां सैनी समाज का अच्छा वोट बैंक है. नायब सैनी के लड़ने सैनी वोटर का झुकाव उनकी तरफ हो सकता है. जिसके चलते उनकी जीत सुनिश्चित हो जायेगी. लेकिन लाडवा विधानसभा से नायब सैनी की जीत आसान नहीं होगी. यहां सैनी वोटर निर्णाय भूमिका में भले हैं लेकिन वो आपस में बंट सकते हैं. बीजेपी के कई नेता टिकट की रेस में हैं. अगर उनका बिखराव हुआ तो नायब सैनी के लिए मुश्किल खड़ी हो जायेगी.
3. किसानों की नाराजगी
राजनीतिक एक्सपर्ट विनोद चौधरी की मानें तो हरियाणा में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर रहा है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में किसान आंदोलन हरियाणा ही नहीं पूरे भारत में चुनौती बन गया था. इसका खामियाजा बीजेपी को हाल के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था. जब पार्टी 2019 का प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई और केवल 5 सीट ही जीत सकी. कुरुक्षेत्र कोर किसान बेल्ट है. यहां किसानों की नाराजगी भी नायब सैनी के लिए भारी पड़ सकती है.
4. नायब सैनी के बाहरी होने का ठप्पा