बेंगलुरु : सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया-कम्युनिस्ट (एसयूसीआई-सी) के कार्यकर्ताओं ने रविवार को कर्नाटक सरकार के बस किराये में 15 प्रतिशत की वृद्धि करने के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया. बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने किराया वृद्धि को तुरंत वापस लेने की मांग की. उनका दावा है कि इससे राज्य के मध्यम और निम्न आय वर्ग पर भारी बोझ पड़ेगा.
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए एसयूसीआई (सी) के जिला समिति सदस्य गंगाधर बडिगर ने सरकार के इस कदम की आलोचना की. उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब लोग पहले से ही खाद्यान्न और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं, बस किराये में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी आम आदमी के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है. सार्वजनिक परिवहन गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए जीवन रेखा है, और इतनी भारी बढ़ोतरी अनुचित है."
उन्होंने कहा, "हम सरकार से आम लोगों के हित में किराया वृद्धि को तुरंत वापस लेने का आग्रह करते हैं."
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले SUCI(C) के एक अन्य जिला समिति सदस्य विनय सारथी ने राज्य की परिवहन नीतियों के बारे में चिंता जताई. उन्होंने कहा, "सरकार सार्वजनिक परिवहन निगमों को निजी संस्थाओं में बदलने को सही ठहराने के लिए वित्तीय घाटे की बनावटी कहानी गढ़ रही है. लोगों को इस सरकार की इस चाल को समझना चाहिए और ऐसी जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. सरकारी परिवहन एक बुनियादी जरूरत है, और इसे महंगा बनाना लोगों को उनके किफायती आवागमन के मौलिक अधिकार से वंचित करना है."
बस किराया में वृद्धि जनविरोधी फैसला
प्रदर्शनकारियों ने किराया वृद्धि को जनविरोधी बताया और बताया कि यह उन लोगों को कैसे प्रभावित करता है जो दैनिक आवागमन के लिए बसों पर निर्भर हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में आने वाले लोग. उन्होंने कहा, "काम और आवश्यक जरूरतों के लिए गांवों और तालुकों से शहरों की यात्रा करने वाले गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे."
प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार की भी आलोचना की और उस पर जनविरोधी नीतियों को लागू करने में पिछले प्रशासन के नक्शेकदम पर चलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा को किराया वृद्धि की आलोचना करने का कोई नैतिक आधार नहीं है, क्योंकि उसके कार्यकाल में भी इसी तरह की वृद्धि की गई थी. उन्होंने तर्क दिया, "भाजपा सत्ता में रहने के दौरान राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर किराया वृद्धि को नियंत्रित करने में विफल रही."
एसयूसीआई (सी) की राज्य सचिव उमा के. ने एक बयान में कहा कि राज्य सरकार लोगों पर वित्तीय बोझ डालने के बजाय केएसआरटीसी के भीतर अक्षमताओं और भ्रष्टाचार को दूर करे. उन्होंने सरकारी कल्याण योजनाओं के तहत केएसआरटीसी को देय सब्सिडी का समय पर भुगतान करने का भी आह्वान किया.
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