मुजफ्फरपुरः बिहार में लोकसभा की 40 सीट है. मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट का अपना इतिहास रहा है. मुजफ्फरपुर की जनता को अतिथि काफी पसंद है. मुजफ्फरपुर ने अबतक 17 लोकसभा चुनाव देखा है. यहां की जनता ने मुंबई के जॉर्ज फर्नांडिज और गुजरात के अशोक मेहता को ताज पहनाया था. विभिन्न पार्टियों से उम्मीदवार उतारे गए थे लेकिन, जीत बाहरी उम्मीदवार की हुई थी. मुजफ्फरपुर की जनता ने अब तक आठ लोगों को अपना सांसद चुना है.
"मुजफ्फरपुर में काम करने वालों को जनता चुनती है. जॉर्ज फर्नांडिस ने औधोगिक क्रांति लाई थी. उन्हें मुजफ्फरपुर की जनता ने पांच बार सांसद बनाया था. उन्होंने जदयू से भी जीत दर्ज की थी. जेल में रहते हुए भी चुनाव में जीत हासिल की थी. जनता काम देखती है. यहां के लोग काम करने वाले को स्वीकारती है."- अनुपम कुमार, महानगर अध्यक्ष, जेडीयू
अब तक 8 लोग सांसद बनेः अबतक के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर की जनता को मेहमान ज्यादा पसंद आये. वर्ष 1952 से लेकर 2019 तक मुजफ्फरपुर लोकसभा के लिए 17 बार चुनाव हुए. इसमें विभिन्न पार्टियों से आठ चेहरे संसद पहुंचे. इनमें पांच बार जॉर्ज फर्नांडिस, चार बार कैप्टन जयनारायण निषाद, दो-दो बार दिग्विजय नारायण सिंह व अजय निषाद और एक-एक बार श्यामनंदन सहाय, नवल किशोर सिन्हा, अशोक मेहता और ललितेश्वर प्रसाद शाही मुजफ्फरपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
"यहां की जनता मुख्य तौर पर दो चीज देखती है. किसका यहां पर कार्य क्षेत्र है. वह बाहर से आकर क्या मुजफ्फरपुर को अपना कर्म क्षेत्र बना सकता हैं कि नहीं. अगर वह कर्म क्षेत्र बनाने में सफल हैं तो जनता सिर आंखों पर रखती है. उसे प्राथमिकता देती है. जॉर्ज फर्नांडिस भी बाहर से आए थे, जेल में रहकर चुनाव लडे़. लोगों ने उन्हें संसद पहुंचाया."- अमरेंद्र तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार
मुजफ्फरपुर में जातिगत समीकरणः मुजफ्फरपुर में मतदाताओं की कुल संख्या 18 लाख 58 हजार 538 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 80 हजार 559 है. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 77 हजार 887 है. जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सवर्ण मतदाता साढ़े तीन लाख, यादव पौने दो लाख, मुस्लिम दो लाख और वैश्य सवा दो लाख हैं. इसके अलावा यहां निषाद और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की भी संख्या अच्छी-खासी है.