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गुजरात में सामाजिक एकता की मिसाल, मुस्लिम युवकों ने किया हिंदू महिला का अंतिम संस्कार - Hindu Muslim Unity

Muslims Perform Last Rites of Hindu Woman: गुजरात के सूरत जिले में इंदुबेन भीखूभाई मैसूरिया नामक 75 वर्षीय वृद्ध महिला की मृत्यु हो गई थी. परिवार में केवल एक लकवाग्रस्त बेटा है, इसलिए मोहल्ले के मुस्लिम युवकों ने पड़ोसी का कर्तव्य निभाते हुए हिंदू रीति-रिवाज से इंदुबेन का अंतिम संस्कार किया. उनके इस कार्य की हर तरफ तारीफ हो रही है. पढ़ें पूरी खबर.

Muslims Perform Last Rites of Hindu Woman in Surat
सूरत में मुस्लिम युवकों ने किया हिंदू महिला का अंतिम संस्कार (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 19, 2024, 4:44 PM IST

सूरत: लोकसभा चुनाव के बीच जहां कई नेता हिंदू-मुसलमानों के बीच एक-दूसरे के प्रति नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं, वहीं गुजरात के सूरत जिले में सांप्रदायिक एकता और मानवता की ताजा मिसाल देखने को मिली है. यहां मुस्लिम युवकों ने एक बुजुर्ग हिंदू महिला के निधन के बाद हिंदू रीति-रिवाज से शव का अंतिम संस्कार किया.

दरअसल, हलधरू गांव में मुस्लिम आबादी वाले मोहल्ले में एकमात्र हिंदू परिवार रहता है. इस परिवार में केवल मां और बेटा थे, वहीं 75 वर्षीय वृद्ध माता इंदुबेन मैसूरिया का निधन हो जाने से अब परिवार में उनका 50 वर्षिय बेटा राजू मैसूरिया रह गया है वो भी लकवा बीमारी से ग्रस्त हैं.

लकवा ग्रस्त बेटे के लिए अपनी मृतक माता का अंतिम संस्कार करना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने पड़ोसी मुस्लिम परिवारों से संपर्क किया. यह बात सुनते ही मोहल्ले के सारे मुस्लिम युवा और बुजुर्ग एकत्र हो गए और इंदुबेन की अंतिम क्रियाक्रम की जिम्मेदारी उठाई और हिंदू रीति-रिवाज से इंदुबेन की अंतिम यात्रा निकाली और बारडोली स्थित श्मशान गृह में हिंदू शास्त्रों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया.

मुस्लिम युवकों ने किया हिंदू महिला का अंतिम संस्कार (फोटो- ETV Bharat)

मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा इंदुबेन का अंतिम संस्कार करने की यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है. लोगों युवाओं के इस नेक कार्य की प्रशंसा कर रहे हैं. गांव के मुखिया शफीक शेख ने बताया कि वृद्ध महिला के निधन के बाद सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एकत्र हुए और हिंदू धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार सही तरीके से हो, इसके लिए गांव के दो हिंदू पुरुषों को भी साथ रखा गया था.

शफीक शेख ने आगे कहा कि ये मैसूरिया परिवार वर्षों से गांव के मुस्लिम आबादी वाले इलाके के बीच रहता आ रहा है. हालांकि परिवार में सिर्फ मां और बेटा दो व्यक्ति हैं. बेट के शारीरिक और आर्थिक रूप से असक्षम होने के कारण पड़ोसी होने के नाते अंतिम संस्कार करना हमारा कर्तव्य था और हमने वही कर्तव्य निभाया है.

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