पटना :लोक आस्था का महापर्व छठदुनिया भर में लोकप्रिय हो गया है. बिहार, यूपी और झारखंड के लोग जहां कहीं भी रहते हैं, छठ करते हैं. कई अन्य राज्यों में भी छठ होने लगे हैं. छठ के समय बिहार में एक अलग ही भक्तिमय माहौल तैयार हो जाता है. इस महापर्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पर्व में बिहार में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिलती है. मुस्लिम समुदाय की महिलाएं भी छठ महापर्व में अपना योगदान देती हैं.
लगातार 11 साल छठ कर रही हैं नजमा :पटना के छज्जू बाग में एक ऐसी ही मुस्लिम महिला नजमा खातून रहती हैं, जो इस बार लगातार 11 वां वर्ष होगा जब छठ करेंगी. नजमा बताती हैं कि वह छठ महापर्व पूरी शुद्धता के साथ करती हैं और दशहरा खत्म होने के बाद घर में लहसुन प्याज का इस्तेमाल भी बंद कर देती हैं. घर में कार्तिक पूर्णिमा के बाद ही लहसुन प्याज का इस्तेमाल शुरू होता है.
''छठी मैया में मेरी पूरी आस्था है. वह छठी मैया से जो भी कामना करती हूं, वह पूरा हो जाता है. छठी मैया की पूजा के लिए नहाय खाय के दिन गंगा घाट जाती हूं और गंगा स्नान करती हूं. गंगा स्नान के बाद जल लेकर आती हूं और उसी जल से छठ महापर्व का प्रसाद तैयार करती हूं.''-नजमा खातून, मुस्लिम छठ व्रती
'पूरे विधि विधान से छठ पूजा' :नजमा खातून बताती हैं कि छठ पूजा के खरना के दिन पूरे साफ-सफाई से आम की लकड़ी के जलावन से प्रसाद बनाती हैं और प्रसाद बनाने में उनकी बेटियां मदद करती हैं. प्रसाद में ठेकुआ, खजूर बनाती हैं. अर्घ्य के दिन गाड़ी रिजर्व करके पूरे परिवार के साथ गंगा किनारे छठ घाट जाती हैं. पूरे विधि-विधान से छठ पूजा करती है.
''हिंदू लोग जैसे छठ पूजा करते हैं उसी तरीके से हम भी छठ पूजा करते हैं. आसपास घाट पर जो हिंदू लोग रहते हैं, सभी पूजा में मदद करते हैं. छठ पूजा में कोई भेद नहीं होता है. एक इंसान के तौर पर हम सभी एक होते हैं. जब तक जीवित रहूंगी, छठ पूजा करती रहूंगी.''-नजमा खातून, मुस्लिम छठ व्रती