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जेल में मछली खाने को तालाब खुदवाता था मुख्तार, कृष्णानंद राय को मारी गोलियों की आवाज फोन से सुन लगाए थे ठहाके - Mukhtar Ansari died

जिस जेल में मुख्तार अंसारी ने मछलियों का तालाब खुदवाया था उसी जेल में उसकी मौत हो गई. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 7:05 AM IST

लखनऊ: शायद ही ये कभी खुद मुख्तार या फिर उसके चाहने वालों ने नहीं सोचा होगा कि जिस जेल में बैठकर उसने तीन बार चुनाव जीता हो, जहां से उसने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की खौफनाक तरीके से हत्या कर अपने गुर्गे से कहा कि चोटी काट दी उसी जेल में वह अपनी आखिरी सांसें लेगा. मुख्तार ने तो हमेशा जेल को अपना ऐशगाह ही समझा फिर चाहे वो यूपी की हो या फिर पंजाब की जेल. मुख्तार जेल में मछली खाने के लिए तालाब खुदवाता था, अपने साथ अपनी पत्नी को रखता था. जब मोबाइल कुछ लोगों के ही पास हुआ करता था तब वह जेल के अंदर मोबाइल से पूरा गैंग ऑपरेट करता था. आइए जानते है कि कैसे मुख्तार ने जेल को बनाया था अपना दूसरा घर.


जेल से कृष्णानंद राय की हत्या करवाई
वर्ष 1995 को मुख्तार गाजीपुर की जेल गया लेकिन कुछ ही दिन में वह बाहर आ गया. इसके बाद कई हत्याएं हुई, अपहरण और जमीनों पर कब्जे हुए लेकिन मुख्तार को गिरफ्तार करने की हिम्मत कोई भी सरकार नही दिखा सकी. मुख्तार भी इस बात से भलीभांति परिचित था, कि जेल चला भी गया तो भी उसकी हुकूमत चलती रहेगी. हुआ भी यही वर्ष 2005 में मऊ में दंगे हुए और मुख्तार ने एक माह बाद अक्टूबर 2005 को सरेंडर कर दिया. जेल में मुख्तार का इस कदर दबदबा रहा, जेल जाने के एक माह के अंदर ही उसने अपने अपने दुश्मन तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के साजिश बुन उसे अंजाम भी दिलवा दिया. इतना ही नहीं जब कृष्णानंद राय समेत सात लोगों पर उसके गुर्गे सैकड़ों गोलियां बरसा रहे थे मुख्तार जेल के अंदर बैठ मोबाइल में हर एक गोली कि आवाज सुन ठहाके लगाकर अपने गुर्गों को बता रहा था कि चोटी काट ली गई है.



जेल के अंदर मछली खाने के लिए खुदवाया तालाब
वर्ष 2005 में मुख्तार ने जब दंगों को अंजाम देने के बाद सरेंडर किया तो हर कोई जानता था कि वह किसी ना किसी साजिश को अंजाम देने के लिए ही जेल गया है. एक माह के अंदर तस्वीर साफ भी हुई. कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई. अब मुख्तार का दबदबा जेल के अंदर बढ़ चुका था. वर्ष 2005 में मुख्तार गाजीपुर जेल में ही बंद था यानी कि वह अपने दूसरे घर में ही था. ऐसे में उसने जेल को घर के मुताबिक बनाना शुरू किया. गाजीपुर जेल में मुख्तार अंसारी ने मछली खाने के लिए एक तालाब खुदवाया. उसे बैडमिंटन खेलने का शौक था इसलिए जेल के अंदर एक कोर्ट बनवाया जहां वह जेल अधिकारियों के साथ बैडमिंटन खेलता था. मुख्तार जेल में ही बैठ कर अपने गुर्गों को बुलवाता घंटों उन्हें बैरेक में रखकर उनसे बात करता था. इतना ही नहीं उसने अपनी पत्नी आफसा अंसारी को भी जेल में अपने साथ रखा.

जिस जेल अफसर ने नहीं मानी मुख्तार की बात उसकी करा दी गई हत्या
मुख्तार जानता था कि चाहे जेल हो या उसके बाहर कोई भी अफसर उसके बीच में आने की हिम्मत नहीं करेगा. उसने ना सिर्फ अपने लिए बल्कि जितनी भी जेलों में उसके गुर्गे बंद थे वहां उनकी अय्याशी के लिए सभी सुख सुविधाए मुहैया कराता था, जो जेल अफसर मना करता उसे धमकाकर अपने साथ ले आते थे. हालांकि कुछ अफसर ऐसे भी थे, जो मुख्तार को कुछ भी नही समझते थे, उन्ही में से एक थे लखनऊ जेल में तैनात रहे जेल अधीक्षक आरके तिवारी, जिन्होंने मुख्तार अंसारी के गुर्गों के लिए जेल को आरामगाह बनाने से इंकार कर दिया. मुख्तार को यह बात ठीक नही लगी और 4 फ़रवरी 1999 को डीएम आवास से लौट रहे आरके तिवारी को राजभवन के सामने ही गोलियों से भून दिया गया. हत्या के पीछे मुख्तार और उसके गुर्गों का नाम सामने आया तो जेल अफसरों के भी हाथ पैर फूल गए. अब किसी भी जेल में मुख्तार व उसके गुर्गों के लिए किस भी चीज के लिए मनाही बंद हो गई.

पंजाब जेल को मुख्तार ने बनाई अपनी हवेली
मुख्तार अंसारी सिर्फ यूपी की जेलों को ही नही अन्य राज्यों को जेल को अपने अय्याशगाह समझता था. यूपी से जब मुख्तार पंजाब को मोहाली जेल गया तो उसने वहां को कांग्रेस सरकार के कुछ लोगों से सांठगांठ बनाई. पंजाब की मोहाली और रोपड़ जेल में मुख्तार की चौपाल लगती थी. यहीं से पूर्वांचल की राजनीति की धुरी तय होती थी. वसूली और रंगदारी का हिसाब भी पंजाब की ही जेल में होता था. वहां को जेल में मुख्तार ने अय्यासी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका खुलासा पंजाब में आप सरकार के जेल मंत्री हरजोत बैंस खुद कर चुके है. मंत्री ने विधान सभा में बताया था कि कैसे पंजाब सरकार ने मुख्तार की अय्याशी के लिए 55 लाख रुपए खर्च किए. कैसे पंजाब पुलिस एक फर्जी मुकदमे में उसे यूपी की जेल से पंजाब लेकर गई. मुख्तार की जमानत के लिए कभी भी कोशिश नही हुई. इतना ही नहीं वह 25 कैदियों वाली बड़ी बैरेक में अपनी पत्नी के साथ रहा है.

योगी राज में मुख्तार को पता चला क्या होती है जेल
हालांकि ऐसा नहीं है कि मुख्तार अंसारी के सभी सितारे हर वक्त के लिए बुलंद रहने वाले थे. सभी जेलों के आरामगाह बनाने वाले मुख्तार को योगी राज में जब यूपी की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया तब उसे असली जेल का अनुभव कराया गया. उसे हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया, उसके बैरेक में लगे सीसीटीवी कैमरे 24 घंटे नजर रखता था. बांदा जेल में मुख्तार अंसारी को आम कैदी कि ही तरह रखा गया. यही वजह है कि तीन वर्ष पहले जेलों में रहते हुए भी फिट रहने वाला मुख्तार बांदा जेल में बीमार पड़ने लगा. आखिरकार उसकी मौत हो गई.

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