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शामली एनकाउंटर में घायल हुए STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार की मौत, बदमाशों ने पेट में मारी थीं तीन गोलियां - SHAMLI ENCOUNTER

शामली में मुठभेड़ के दौरान एसटीएफ ने चार बदमाशों को किया था ढेर, इसी दौरान इंस्पेक्टर को लगी थी गोली

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इंस्पेक्टर सुनील कुमार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 22, 2025, 4:01 PM IST

Updated : Jan 22, 2025, 5:46 PM IST

मेरठ/शामली: शामली में सोमवार की रात हुए एनकाउंटर के दौरान घायल हुए एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनकी शहादत ने पूरे पुलिस विभाग को गमगीन कर दिया है. मेरठ के रहने वाले सुनील कुमार के पेट में तीन गोलियां लगी थीं, जिनमें से एक गोली उनके लीवर को पार कर पीठ में अटक गई थी. डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान उनका गाल ब्लैडर निकालना पड़ा और बड़ी आंत का कुछ हिस्सा भी हटाना पड़ा. उनकी हालत अत्यंत गंभीर थी, जिसके चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका.


एनकाउंटर में 4 अपराधियों को किया था ढेरः बता दें कि झिंझाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में एसटीएफ ने एक लाख के इनामी बाहड़ी माजरा सहारनपुर निवासी अरशद समेत चार कुख्यात बदमाशों को ढेर कर दिया था. यह गिरोह लंबे समय से पुलिस के रडार पर था. इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच भीषण गोलीबारी हुई थी. इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने इस मुठभेड़ में अग्रिम पंक्ति में रहकर नेतृत्व किया. इसी दौरान बदमाशों की गोली के शिकार हो गए थे. गंभीर रूप से घायल इंस्पेक्टर के लिए गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
ठोकिया एनकाउंटर से मिली थी पहचानः बता दें कि सुनील कुमार ने अपने करियर में कई साहसिक कार्रवाइयों को अंजाम दिया था. ठोकिया एनकाउंटर के दौरान उनके अदम्य साहस और बहादुरी के लिए उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कांस्टेबल से सब-इंस्पेक्टर बनाया गया था. उनका यह पराक्रम पूरे पुलिस बल के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है.

महकमे में शोक की लहरः इंस्पेक्टर मेरठ के इंचोली थाना क्षेत्र के मसूरी गांव के रहने वाले सुनील कुमार की शहादत की खबर से महकमे में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके सहकर्मी और अधिकारी उनके निधन को विभाग के लिए अपूरणीय क्षति मान रहे हैं. उनके परिजनों और सहयोगियों ने उनकी वीरता और कर्तव्यनिष्ठा को याद करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की है. एसपी शामली रामसेवक गौतम ने बताया कि इंस्पेक्टर की मौत की सूचना के बाद एक टीम को गुरुग्राम भेजा गया है.

1990 को यूपी पुलिस में हुए थे भर्तीः इंस्पेक्टर के घायल होने के बाद से ही उनके गांव मसूरी में उनके रिश्तेदार हालचाल जानने पहुंचने लगे थे. सुनील के शहादत से कुछ देर पहले ईटीवी भारत से सुनील के परिजनों ने खास बातचीत की थी. सुनील के बड़े भाई अनिल कुमार काकरान किसान हैं. गांव में संयुक्त परिवार में सभी एक साथ रहते हैं. अनिल ने बताया कि सुनील सितंबर 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे. एसटीएफ बनने पर 1997 में सुनील काकरान मानेसर में कमांडो कोर्स किये थे. जिसके बाद सन 2009 जनवरी में स्पेशल टास्क फोर्स में आ गए थे. सुनील कुमार को 2002 में विभाग ने हेड कांस्टेबल के पद पर प्रोन्नत किया था.

आउट आफ टर्न प्रमोशन मिला थाः कई बड़े ऑपरेशन में सुनील शामिल रहे थे. 13 मार्च 2008 को प्रदेश के जनपद फतेहपुर में मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर केवट को मार गिराने में भी सुनील कुमार थे. 2008 में कुख्यात पांच लाख के इनामी बदमाश अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया एवं 50 हजार के इनामी कुख्यात उमर केवट को भी मुठभेड़ में ढेर करने वाली टीम में सुनील कुमार शामिल रहे थे. इसका ईनाम उन्हें आउट आफ टर्न प्रमोशन देकर दिया गया था. सुनील कुमार 16 सितंबर 2011 में हेड कांस्टेबल से प्लाटून कमांडर पद पर पदोन्नत किए गये थे.

कुख्यात बदमाशों को गिरफ्तार करने में निभाई थी अहम भूमिकाः अनिल ने बताया कि 2012-13 में सुनील द्वारा मेरठ यूनिट में रहते हुए एक-एक लाख के इनामी कुख्यात सुशील उर्फ मूंछ, बदन सिंह उर्फ बद्दो एवं भूपेन्द्र बाफर को गिरफ्तार कराने में अहम भूमिका निभाई थी. 24 जून 2019 को सवा लाख के इनामी कुख्यात आदेश बालियान निवासी भौरा कलां को मुठभेड के दौरान मार गिराने वाली टीम का नेतृत्व भी सुनील ने किया था. चार मई 2023 को थाना जानी क्षेत्र में एसटीएफ टीम के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान कुख्यात गैंगस्टर अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना को मार गिराने वाली टीम में भी वह शामिल रहे थे. इसके अलावा 14 दिसंबर 2024 को एसटीएफ और स्पेशल सेल दिल्ली की संयुक्त टीम ने मेरठ के टीपीनगर थाना क्षेत्र में हासिम बाबा गैंग के शूटर 50 हजार के इनामी अनिल उर्फ मटका मार गिराया था, तब सुनील इस ऑपरेशन में भी शामिल थे. मादक पदार्थ और अवैध हथियारों की तस्करी करनें वालों पर की गई कई कार्रवाई में ये शामिल रहे. परिवार के लोगों ने बताया कि उन्हें सुनील पर गर्व है.

23 साल में 45 पुलिसकर्मी शहीदः बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीते 23 वर्षों में 45 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं, जबकि 2000 से अधिक घायल हुए. वहीं, 19 मार्च 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश में 218 अपराधी एनकाउंटर में ढेर किए गए हैं. हालांकि इस दौरान 18 पुलिसकर्मियों की भी शहादत हुई है. वहीं, 1500 पुलिसकर्मी घायल हुए है. सबसे अधिक जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी. जब कुख्यात अपराधी विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस टीम पर फायरिंग हुई थी, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे.

योगी सरकार में 18 पुलिसकर्मी शहीदः योगी सरकार दोनों टर्म में 18, 2012 से 2017 के बीच अखिलेश यादव की सरकार में 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए. इसी प्रकार वर्ष 2007 से 2012 के बीच मायावती सरकार में 8 और 2002 से 2007 के बीच मुलायम सिंह यादव सरकार में 11 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. 2002 से 2025 तक इन 23 वर्षों में 45 जवान शहीद हुए हैं. जबकि इन 23 वर्षों में 1018 अपराधियों को यूपी पुलिस के जवानों ने ढेर किया है. योगी सरकार में 218, अखिलेश सरकार में 40, मायावती राज में 261 और मुलायम सरकार में 499 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं.

इसे भी पढ़ें-ददुआ-ठोकिया को मारने वाले STF इंस्पेक्टर ने 4 बदमाशों को किया ढेर, 42 मिनट तक चली मुठभेड़, 30 राउंड फायरिंग

मेरठ/शामली: शामली में सोमवार की रात हुए एनकाउंटर के दौरान घायल हुए एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनकी शहादत ने पूरे पुलिस विभाग को गमगीन कर दिया है. मेरठ के रहने वाले सुनील कुमार के पेट में तीन गोलियां लगी थीं, जिनमें से एक गोली उनके लीवर को पार कर पीठ में अटक गई थी. डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान उनका गाल ब्लैडर निकालना पड़ा और बड़ी आंत का कुछ हिस्सा भी हटाना पड़ा. उनकी हालत अत्यंत गंभीर थी, जिसके चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका.


एनकाउंटर में 4 अपराधियों को किया था ढेरः बता दें कि झिंझाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में एसटीएफ ने एक लाख के इनामी बाहड़ी माजरा सहारनपुर निवासी अरशद समेत चार कुख्यात बदमाशों को ढेर कर दिया था. यह गिरोह लंबे समय से पुलिस के रडार पर था. इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच भीषण गोलीबारी हुई थी. इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने इस मुठभेड़ में अग्रिम पंक्ति में रहकर नेतृत्व किया. इसी दौरान बदमाशों की गोली के शिकार हो गए थे. गंभीर रूप से घायल इंस्पेक्टर के लिए गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
ठोकिया एनकाउंटर से मिली थी पहचानः बता दें कि सुनील कुमार ने अपने करियर में कई साहसिक कार्रवाइयों को अंजाम दिया था. ठोकिया एनकाउंटर के दौरान उनके अदम्य साहस और बहादुरी के लिए उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कांस्टेबल से सब-इंस्पेक्टर बनाया गया था. उनका यह पराक्रम पूरे पुलिस बल के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है.

महकमे में शोक की लहरः इंस्पेक्टर मेरठ के इंचोली थाना क्षेत्र के मसूरी गांव के रहने वाले सुनील कुमार की शहादत की खबर से महकमे में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके सहकर्मी और अधिकारी उनके निधन को विभाग के लिए अपूरणीय क्षति मान रहे हैं. उनके परिजनों और सहयोगियों ने उनकी वीरता और कर्तव्यनिष्ठा को याद करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की है. एसपी शामली रामसेवक गौतम ने बताया कि इंस्पेक्टर की मौत की सूचना के बाद एक टीम को गुरुग्राम भेजा गया है.

1990 को यूपी पुलिस में हुए थे भर्तीः इंस्पेक्टर के घायल होने के बाद से ही उनके गांव मसूरी में उनके रिश्तेदार हालचाल जानने पहुंचने लगे थे. सुनील के शहादत से कुछ देर पहले ईटीवी भारत से सुनील के परिजनों ने खास बातचीत की थी. सुनील के बड़े भाई अनिल कुमार काकरान किसान हैं. गांव में संयुक्त परिवार में सभी एक साथ रहते हैं. अनिल ने बताया कि सुनील सितंबर 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे. एसटीएफ बनने पर 1997 में सुनील काकरान मानेसर में कमांडो कोर्स किये थे. जिसके बाद सन 2009 जनवरी में स्पेशल टास्क फोर्स में आ गए थे. सुनील कुमार को 2002 में विभाग ने हेड कांस्टेबल के पद पर प्रोन्नत किया था.

आउट आफ टर्न प्रमोशन मिला थाः कई बड़े ऑपरेशन में सुनील शामिल रहे थे. 13 मार्च 2008 को प्रदेश के जनपद फतेहपुर में मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर केवट को मार गिराने में भी सुनील कुमार थे. 2008 में कुख्यात पांच लाख के इनामी बदमाश अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया एवं 50 हजार के इनामी कुख्यात उमर केवट को भी मुठभेड़ में ढेर करने वाली टीम में सुनील कुमार शामिल रहे थे. इसका ईनाम उन्हें आउट आफ टर्न प्रमोशन देकर दिया गया था. सुनील कुमार 16 सितंबर 2011 में हेड कांस्टेबल से प्लाटून कमांडर पद पर पदोन्नत किए गये थे.

कुख्यात बदमाशों को गिरफ्तार करने में निभाई थी अहम भूमिकाः अनिल ने बताया कि 2012-13 में सुनील द्वारा मेरठ यूनिट में रहते हुए एक-एक लाख के इनामी कुख्यात सुशील उर्फ मूंछ, बदन सिंह उर्फ बद्दो एवं भूपेन्द्र बाफर को गिरफ्तार कराने में अहम भूमिका निभाई थी. 24 जून 2019 को सवा लाख के इनामी कुख्यात आदेश बालियान निवासी भौरा कलां को मुठभेड के दौरान मार गिराने वाली टीम का नेतृत्व भी सुनील ने किया था. चार मई 2023 को थाना जानी क्षेत्र में एसटीएफ टीम के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान कुख्यात गैंगस्टर अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना को मार गिराने वाली टीम में भी वह शामिल रहे थे. इसके अलावा 14 दिसंबर 2024 को एसटीएफ और स्पेशल सेल दिल्ली की संयुक्त टीम ने मेरठ के टीपीनगर थाना क्षेत्र में हासिम बाबा गैंग के शूटर 50 हजार के इनामी अनिल उर्फ मटका मार गिराया था, तब सुनील इस ऑपरेशन में भी शामिल थे. मादक पदार्थ और अवैध हथियारों की तस्करी करनें वालों पर की गई कई कार्रवाई में ये शामिल रहे. परिवार के लोगों ने बताया कि उन्हें सुनील पर गर्व है.

23 साल में 45 पुलिसकर्मी शहीदः बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीते 23 वर्षों में 45 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं, जबकि 2000 से अधिक घायल हुए. वहीं, 19 मार्च 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश में 218 अपराधी एनकाउंटर में ढेर किए गए हैं. हालांकि इस दौरान 18 पुलिसकर्मियों की भी शहादत हुई है. वहीं, 1500 पुलिसकर्मी घायल हुए है. सबसे अधिक जुलाई 2020 में कानपुर के बिकरू एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी. जब कुख्यात अपराधी विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस टीम पर फायरिंग हुई थी, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे.

योगी सरकार में 18 पुलिसकर्मी शहीदः योगी सरकार दोनों टर्म में 18, 2012 से 2017 के बीच अखिलेश यादव की सरकार में 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए. इसी प्रकार वर्ष 2007 से 2012 के बीच मायावती सरकार में 8 और 2002 से 2007 के बीच मुलायम सिंह यादव सरकार में 11 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. 2002 से 2025 तक इन 23 वर्षों में 45 जवान शहीद हुए हैं. जबकि इन 23 वर्षों में 1018 अपराधियों को यूपी पुलिस के जवानों ने ढेर किया है. योगी सरकार में 218, अखिलेश सरकार में 40, मायावती राज में 261 और मुलायम सरकार में 499 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं.

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Last Updated : Jan 22, 2025, 5:46 PM IST
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