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भोपाल के GMC में भर्ती दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग को MP हाईकोर्ट से मिली गर्भपात की हरी झंडी - MP HC permission minor Abortion - MP HC PERMISSION MINOR ABORTION

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती 15 साल की नाबालिग को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. अगर बच्चा जिंदा मिलता तो इसका पालन-पोषण सरकार को करना होगा. गौरतलब है कि नियम के अनुसार भ्रूण 24 सप्ताह से ज्यादा होने पर गर्भपात की अनुमति नहीं मिलती लेकिन विशेष हालातों में छूट दी जाती है. इस नाबालिग का भ्रूण 28 सप्ताह से ज्यादा का है.

MP HC permission minor Abortion
नाबालिग को एमपी हाईकोर्ट से मिली गर्भपात की हरी झंडी (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 2:22 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की एकलपीठ ने पहले एफआईआर को संदिग्ध मानते हुए दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को गर्भपात करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था. एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गयी. अपील की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देते हुए कहा है "बच्चा जिंदा पैदा होता है तो उसकी देखभाल सरकार करेगी."

युगलपीठ ने एकलपीठ के फैसले को बदला

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है "एकलपीठ द्वारा प्रमाणित सामग्री के बिना एफआईआर के संबंध में टिप्पणी की गयी. इसे विलोपित किया जाता है." गौरतलब है कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती दुष्कर्म पीडिता 15 वर्षीय नाबालिग के गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. लेकिन एकलपीठ ने ये याचिका खारिज कर दी थी. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा"उन्होंने भोपाल जिला व सत्र न्यायालय को निर्देशित किया था कि वह अस्पताल में भर्ती नाबालिग बच्ची को गर्भपात की जटिलता के संबंध में समझने के लिए महिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में टीम गठित करें." महिला जेएमएफसी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बुधवार की रात अस्पताल जाकर पीड़ित बच्ची से मुलाकात कर उसे गर्भपात की जटिलता के संबंध में जानकारी दी.

गर्भपात कराने के लिए ये है एमपीटी अधिनियम

मनोचिकित्सक के अनुसार "पीड़िता की मानसिक आयु 6.5 साल है. बच्ची के माता-पिता अलग रहते हैं और उसका पालन दादी द्वारा किया जा रहा है, जिनकी उम्र 60 साल है." दादा का कहना है "वह पीड़िता तथा उसके बच्चे को पालने में अक्षम हैं." मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार "भ्रूण 28 सप्ताह 5 दिन का है." एमपीटी अधिनियम के तहत 24 सप्ताह से अधिक भ्रूण के गर्भपात की अनुमति प्रदान नहीं की जा सकती. गर्भपात तथा बच्चे को जन्म देने की दोनों स्थिति में पीड़िता को जान का जोखिम है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा "सर्वोच्च न्यायालय ने नाबालिग को 30 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति प्रदान की है. इसके अलावा उसकी दादा ने दोनों के पालन में अक्षमता जाहिर की है." युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा "परिस्थितियों के आधार पर भी गर्भपात की अनुमति प्रदान की जा सकती है."

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डॉक्टर्स की टीम को ये निर्देश दिए

स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम के मार्गदर्शन में पीड़िता का गर्भपात किया जाए और सभी प्रकार की सावधानियों का ध्यान रखा जाए. गर्भपात कब किया जाये, इस संबंध में डॉक्टरों की टीम निर्णय ले. इसके साथ ही युगलपीठ ने बच्चे के भ्रूण का नमूना डीएनए टेस्ट के लिए सुरक्षित रखन को कहा है. गर्भपात के दौरान जान का जोखिम होने के संबंध में पीड़िता के परिजनों को अवगत कराया जाए.

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