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रानी का पटनेश्वर स्वप्न, बना इकलौता धाम जहां महाशिवरात्रि से पहले होता है शिव विवाह - SAGAR PATNESHWAR MANDIR HISTORY

सागर में पटनेश्वर शिवजी का ऐतिहासिक मंदिर है. जहां महाशिवरात्रि से पहले शिव विवाह होता है. इस मंदिर को किसने बनवाया? जानिए सागर से कपिल तिवारी की रिपोर्ट में.

sagar patneshwar mandir shiv vivah
महादेव के तिलक के साथ विवाह समारोह प्रारंभ (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 5, 2025, 8:41 AM IST

Updated : Feb 5, 2025, 10:26 AM IST

सागर (कपिल तिवारी): बुंदेलखंड के ऐतिहासिक शिव मंदिर में 100 साल से चली आ रही परंपरा का भगवान शिव के भक्तों को बेसब्री से इंतजार होता है. दरअसल रहली मार्ग पर ढाना के नजदीक पटनेश्वर मंदिर में भगवान शिव का विवाहोत्सव शुरू हो गया है. बुंदेलखंड की परंपरा अनुसार, भगवान के तिलक के साथ विवाह समारोह शुरू हो चुका है. अब महाशिवरात्रि तक कोई ना कोई कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहेगा.

महादेव की तिलक की परम्परा के बाद उनकी हल्दी और मेंहदी की रस्में भी निभाई जाएगीं. जहां तक पटनेश्वर मंदिर की बात करें, तो ये मंदिर करीब तीन सौ साल पुराना है और इस मंदिर को मराठा रानी लक्ष्मीबाई खैर ने बनवाया था. इस मंदिर से रामराम महाराज की किंवदंती भी जुड़ी है, जो भगवान शिव के अनन्य भक्त थे.

शिवजी को सपने में देख रानी ने करवाया मंदिर का निर्माण (ETV Bharat)

महादेव के तिलक के साथ विवाह समारोह प्रारंभ
जहां तक भगवान शिव की बात करें, तो उनका विवाह महाशिवरात्रि के दिन होता है. लेकिन बुंदेलखंड के ऐतिहासिक पटनेश्वर मंदिर में भगवान महादेव का विवाह समारोह बसंत पंचमी से शुरू हो जाता है और महाशिवरात्रि तक चलता है. खास बात ये है कि ये परंपरा करीब 100 साल पुरानी है और इसका उल्लेख गजेटियर में भी किया गया है. विवाह समारोह की परंपरा अनुसार, सबसे पहले तिलक का कार्यक्रम होता है. जिस तरह किसी भी विवाह समारोह में सबसे पहले दूल्हे का तिलकोत्सव होता है, तो उसी तरह पटनेश्वर में भगवान महादेव की तिलकोत्सव होता है. इस कार्यक्रम में आम और खास लोग शामिल होते हैं.

Bundelkhand patneshwar mandir
रानी लक्ष्मीबाई खैर ने करवाया था मंदिर का निर्माण (ETV Bharat)

पटनेश्वर मंदिर का इतिहास
मंदिर समिति के अध्यक्ष धीरेंद्र तिवारी के मुताबिक, ''सागर रेहली मार्ग पर सागर से करीब 20 किमी दूर ढाना कस्बे के नजदीक प्राचीन और ऐतिहासिक पटनेश्वर मंदिर स्थित है. मंदिर का निर्माण सागर की मराठा रानी लक्ष्मीबाई खैर द्वारा कराया गया था. उनके सपने में भगवान शिव आए थे, तब उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया. कहा जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई खैर काफी धर्मपरायण थी और उन्होंने सागर के साथ-साथ रहली में कई मंदिरों का निर्माण कराया था. जिनमें हरसिद्ध मंदिर रानगिर, टिकीटोरिया मंदिर, पंढरीनाथ मंदिर और जगदीश मंदिर प्रमुख हैं.''

Bundelkhand patneshwar mandir
भगवान शिव के तिलक के साथ शुरू हुआ विवाह समारोह (ETV Bharat)

रानी लक्ष्मीबाई खैर मंदिरों के दर्शन के लिए अक्सर सागर से रहली जाया करती थीं, तो उनका काफिला ढाना के पास विश्राम के लिए रूकता था. वहीं रानी लक्ष्मीबाई खैर ने भगवान शिव का मंदिर स्थापित कराया था. आज इस मंदिर की पहचान पटनेश्वर मंदिर के नाम से है और यहां कई तरह के आयोजन और कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं.

रामराम महाराज की तपोभूमि है पटनेश्वर धाम
इस मंदिर को रामराम महाराज की तपोभूमि भी कहा जाता है. यहां आज भी उनकी धूनी लगी हुई है. कहते हैं कि रामराम महाराज पटनेश्वर मंदिर के अनन्य भक्त थे और साथ में ढाना स्थित मिलेट्री कैंप में रहने वाली ब्रिटिश सेना के जवान भी थे. वो अपनी ड्यूटी के अलावा पूरा वक्त पटनेश्वर मंदिर में बिताते थे. कहते हैं कि एक बार मंदिर के पुजारी नहीं पहुंचे, तो रामराम महाराज भगवान शिव की पूजा अर्चना में जुट गए और ड्यूटी का वक्त भूल गए.

sagar patneshwar mandir shiv vivah
पटनेश्वर मंदिर की 100 साल पुरानी परंपरा (ETV Bharat)

पूजा के बाद जब उन्हें ड्यूटी का वक्त याद आया, तो तत्काल ड्यूटी पहुंचे और अपने अधिकारी को बताया कि उन्हें आज ड्यूटी आने में देरी हो गयी. तो सेना के अधिकारी ने उनको डांट लगाई कि तुम अपने अफसर के साथ मजाक करते हो, ड्यूटी रजिस्टर पर तुम्हारे दस्तखत हैं और तुम कह रहे हो ड्यूटी पर नहीं आए. अधिकारी ने तत्काल उस अफसर को बुलाया, जिसने ड्यूटी की हाजिरी दर्ज की थी. तो उस अफसर ने भी बताया कि रामराम ड्यूटी पर थे. तब रामराम महाराज समझ गए कि ये भगवान का चमत्कार हुआ है. तब से उन्होंने सारा जीवन भगवान के लिए अर्पित कर दिया.

300 साल पहले मराठा रानी के सपने में आया था स्वयंभू शिवलिंग, फिर कराया गया था पटनेश्वर मंदिर का निर्माण

सात दिन तक चलेगा मेला, महाशिवरात्रि पर भव्य आयोजन
भगवान शिव की विवाह परम्परा तिलक के साथ शुरू होती है. साथ ही रूद्र यज्ञ का शुभारंभ हो जाता है. दूसरे दिन महादेव का महाअभिषेक, तीसरे दिन भगवान शिव का सहस्त्र अर्जन और चौथे दिन महाआरती होती है. इसके बाद महाशिवरात्रि को भगवान महादेव का विवाह संपन्न होता है. बसंत पंचमी से लेकर महाशिवरात्रि के दिन तक बुंदेलखंड में होने वाले विवाहों की परम्पराए पटनेश्वर मंदिर में निभाई जाती हैं.

सागर (कपिल तिवारी): बुंदेलखंड के ऐतिहासिक शिव मंदिर में 100 साल से चली आ रही परंपरा का भगवान शिव के भक्तों को बेसब्री से इंतजार होता है. दरअसल रहली मार्ग पर ढाना के नजदीक पटनेश्वर मंदिर में भगवान शिव का विवाहोत्सव शुरू हो गया है. बुंदेलखंड की परंपरा अनुसार, भगवान के तिलक के साथ विवाह समारोह शुरू हो चुका है. अब महाशिवरात्रि तक कोई ना कोई कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहेगा.

महादेव की तिलक की परम्परा के बाद उनकी हल्दी और मेंहदी की रस्में भी निभाई जाएगीं. जहां तक पटनेश्वर मंदिर की बात करें, तो ये मंदिर करीब तीन सौ साल पुराना है और इस मंदिर को मराठा रानी लक्ष्मीबाई खैर ने बनवाया था. इस मंदिर से रामराम महाराज की किंवदंती भी जुड़ी है, जो भगवान शिव के अनन्य भक्त थे.

शिवजी को सपने में देख रानी ने करवाया मंदिर का निर्माण (ETV Bharat)

महादेव के तिलक के साथ विवाह समारोह प्रारंभ
जहां तक भगवान शिव की बात करें, तो उनका विवाह महाशिवरात्रि के दिन होता है. लेकिन बुंदेलखंड के ऐतिहासिक पटनेश्वर मंदिर में भगवान महादेव का विवाह समारोह बसंत पंचमी से शुरू हो जाता है और महाशिवरात्रि तक चलता है. खास बात ये है कि ये परंपरा करीब 100 साल पुरानी है और इसका उल्लेख गजेटियर में भी किया गया है. विवाह समारोह की परंपरा अनुसार, सबसे पहले तिलक का कार्यक्रम होता है. जिस तरह किसी भी विवाह समारोह में सबसे पहले दूल्हे का तिलकोत्सव होता है, तो उसी तरह पटनेश्वर में भगवान महादेव की तिलकोत्सव होता है. इस कार्यक्रम में आम और खास लोग शामिल होते हैं.

Bundelkhand patneshwar mandir
रानी लक्ष्मीबाई खैर ने करवाया था मंदिर का निर्माण (ETV Bharat)

पटनेश्वर मंदिर का इतिहास
मंदिर समिति के अध्यक्ष धीरेंद्र तिवारी के मुताबिक, ''सागर रेहली मार्ग पर सागर से करीब 20 किमी दूर ढाना कस्बे के नजदीक प्राचीन और ऐतिहासिक पटनेश्वर मंदिर स्थित है. मंदिर का निर्माण सागर की मराठा रानी लक्ष्मीबाई खैर द्वारा कराया गया था. उनके सपने में भगवान शिव आए थे, तब उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया. कहा जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई खैर काफी धर्मपरायण थी और उन्होंने सागर के साथ-साथ रहली में कई मंदिरों का निर्माण कराया था. जिनमें हरसिद्ध मंदिर रानगिर, टिकीटोरिया मंदिर, पंढरीनाथ मंदिर और जगदीश मंदिर प्रमुख हैं.''

Bundelkhand patneshwar mandir
भगवान शिव के तिलक के साथ शुरू हुआ विवाह समारोह (ETV Bharat)

रानी लक्ष्मीबाई खैर मंदिरों के दर्शन के लिए अक्सर सागर से रहली जाया करती थीं, तो उनका काफिला ढाना के पास विश्राम के लिए रूकता था. वहीं रानी लक्ष्मीबाई खैर ने भगवान शिव का मंदिर स्थापित कराया था. आज इस मंदिर की पहचान पटनेश्वर मंदिर के नाम से है और यहां कई तरह के आयोजन और कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं.

रामराम महाराज की तपोभूमि है पटनेश्वर धाम
इस मंदिर को रामराम महाराज की तपोभूमि भी कहा जाता है. यहां आज भी उनकी धूनी लगी हुई है. कहते हैं कि रामराम महाराज पटनेश्वर मंदिर के अनन्य भक्त थे और साथ में ढाना स्थित मिलेट्री कैंप में रहने वाली ब्रिटिश सेना के जवान भी थे. वो अपनी ड्यूटी के अलावा पूरा वक्त पटनेश्वर मंदिर में बिताते थे. कहते हैं कि एक बार मंदिर के पुजारी नहीं पहुंचे, तो रामराम महाराज भगवान शिव की पूजा अर्चना में जुट गए और ड्यूटी का वक्त भूल गए.

sagar patneshwar mandir shiv vivah
पटनेश्वर मंदिर की 100 साल पुरानी परंपरा (ETV Bharat)

पूजा के बाद जब उन्हें ड्यूटी का वक्त याद आया, तो तत्काल ड्यूटी पहुंचे और अपने अधिकारी को बताया कि उन्हें आज ड्यूटी आने में देरी हो गयी. तो सेना के अधिकारी ने उनको डांट लगाई कि तुम अपने अफसर के साथ मजाक करते हो, ड्यूटी रजिस्टर पर तुम्हारे दस्तखत हैं और तुम कह रहे हो ड्यूटी पर नहीं आए. अधिकारी ने तत्काल उस अफसर को बुलाया, जिसने ड्यूटी की हाजिरी दर्ज की थी. तो उस अफसर ने भी बताया कि रामराम ड्यूटी पर थे. तब रामराम महाराज समझ गए कि ये भगवान का चमत्कार हुआ है. तब से उन्होंने सारा जीवन भगवान के लिए अर्पित कर दिया.

300 साल पहले मराठा रानी के सपने में आया था स्वयंभू शिवलिंग, फिर कराया गया था पटनेश्वर मंदिर का निर्माण

सात दिन तक चलेगा मेला, महाशिवरात्रि पर भव्य आयोजन
भगवान शिव की विवाह परम्परा तिलक के साथ शुरू होती है. साथ ही रूद्र यज्ञ का शुभारंभ हो जाता है. दूसरे दिन महादेव का महाअभिषेक, तीसरे दिन भगवान शिव का सहस्त्र अर्जन और चौथे दिन महाआरती होती है. इसके बाद महाशिवरात्रि को भगवान महादेव का विवाह संपन्न होता है. बसंत पंचमी से लेकर महाशिवरात्रि के दिन तक बुंदेलखंड में होने वाले विवाहों की परम्पराए पटनेश्वर मंदिर में निभाई जाती हैं.

Last Updated : Feb 5, 2025, 10:26 AM IST
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