जबलपुर: स्वर कोकिला लता मंगेशकर का एक अनोखा दीवाना जबलपुर में रहता है. इनका नाम रामकृपाल नामदेव है. लता मंगेशकर के तैलचित्र (Oil painting) बनाकर राम कृपाल नामदेव अपना नाम लिम्का एशिया और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवा चुके हैं. रामकृपाल नामदेव के चित्रों को खुद लता मंगेशकर ने भी सराहा था. लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी शायद ही कोई घटना होगी जिसे रामकृपाल ने अपने कूची से कैनवास पर नहीं उतरा होगा. 6 फरवरी को स्वर कोकिला लता मंगेशकर की तीसरी पुण्यतिथि है. इस मौके पर जानें उनके अनोखे फैन की कहानी.
लता की आवाज ने बना दिया पेंटर
जबलपुर के रामकृपाल नामदेव एक शौकिया पेंटर थे, पेंटिंग उनका व्यवसाय नहीं था. रामकृपाल बताते हैं कि वे लता मंगेशकर के गाने सुना करते थे. उन्हें उनकी आवाज इतनी अच्छी लगने लगी थी कि उन्हें लता मंगेशकर की पेंटिंग बनाने का विचार आया. इसके बाद उन्होंने एक ऐसी पेंटिंग बनाई, जिसमें लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी हुई उस समय की जितनी भी तस्वीरें थी उन्हें मिलाया और एक बड़ी तस्वीर तैयार की.
1436 चित्रों से बनाई पेंटिंग
रामकृपाल नामदेव ने एक-एक इंच के छोटे-छोटे चित्रों को कई महीनों की कड़ी मेहनत से तैयार किया. उन्होंने लगभग 1436 चित्रों के माध्यम से एक पेंटिंग बनाई. इस पेंटिंग को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया. इस पेंटिंग को एशिया बुक और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी जगह मिली है. इसके पहले किसी ने भी ऐसी पेंटिंग नहीं बनाई थी.
लता जी को समर्पित की अपनी कला
इस पेंटिंग को इतनी सराहना मिली की रामकृपाल नामदेव का परिचय ही बदल गया. ऐसा नहीं है कि इस पेंटिंग के बाद उनकी लता मंगेशकर के प्रति दीवानगी खत्म हो गई हो, बल्कि उन्होंने अपनी पूरी कला लता मंगेशकर को ही समर्पित कर दी. इसके बाद उन्होंने ऐसे कई चित्र बनाएं, जिनके माध्यम से लता मंगेशकर के बचपन से लेकर बुजुर्ग होने तक की पूरी कहानी देखी जा सकती है.
जब लता जी ने खुद की पेंटिंग की तारीफ
रामकृपाल नामदेव बताते हैं, " वे अपना एक चित्र लेकर लता मंगेशकर के पास भी गए थे. शुरुआत में उनकी मुलाकात लता मंगेशकर से नहीं हो पाई और उनके सेक्रेटरी के माध्यम से उन्होंने अपनी एक पेंटिंग लता जी तक पहुंचाई. रामकृपाल ने सेक्रेटरी से कहा था कि यदि लता मंगेशकर इस पर अपने सिग्नेचर कर देती हैं तो बड़ी मेहरबानी होगी, लेकिन लता जी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि यह पेंटिंग इतनी अच्छी है कि यदि मैं इस पर साइन कर दूंगी तो उसकी खूबसूरती कम हो जाएगी. लेकिन दोबारा रामकृपाल खुद पेंटिंग लेकर पहुंचे. इस बार लता जी ने मना नहीं किया और उन्होंने पेंटिंग के ऊपर ऑटोग्राफ दे दिया. रामकृपाल कहते हैं कि यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी."
आज भी रामकृपाल यादव का लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी हुई घटनाओं के चित्र बनाने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर महीने में भी लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी हुई एक तस्वीर बनाई, जिसमें स्वर कोकिला का सम्मान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हुए नजर आ रहे हैं.
लता मंगेशकर के चित्रों की लगा रहे प्रदर्शनी
रामकृपाल नामदेव 'चित्र लतिका' नाम से श्रृंखला चलाते हैं. इसके तहत उन्होंने देश के कई बड़े शहरों में लता मंगेशकर के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई है. जैसे मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी, पुल देशपांडे की आर्ट गैलरी, दिल्ली में ललित कला अकादमी, कोलकाता की जामिनी राय आर्ट गैलरी, अहमदाबाद में रवि शंकर रावल कला भवन और जबलपुर में हीरालाल राय कला विथिका. रामकृपाल बताते हैं, " इसके बाद वह पणजी गोवा में प्रदर्शनी लगाने जा रहे हैं. रामकृपाल का कहना है कि उनकी कोशिश है कि लता मंगेशकर ने अपने जीवन को जहां-जहां गुजारा है. उन सब जगहों पर जाकर वह इन चित्रों का प्रदर्शन करना चाहते हैं."
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अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका मिला
रामकृपाल नामदेव ने इनमें से कुछ चित्र बेचे भी हैं, जिन्हें देश के कुछ जाने-माने कलाकारों ने खरीदा है. रामकृपाल का कहना है कि उन्होंने अपना जीवन लता मंगेशकर को समर्पित कर दिया है. वे न केवल खुद चित्र बनाते हैं, बल्कि अब कई नए कलाकारों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं. ताकि यह परंपरा जारी रहे. रामकृपाल नामदेव कहते हैं, '' जिस दिन लता मंगेशकर की मृत्यु हुई थी. उस दिन मैं मुंबई में ही था और मुंबई में उनकी प्रदर्शनी लगी हुई थी. किस्मत से मुझे लता जी के अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका मिला था."