गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर से हिमालय रवाना हुई भगवान रुद्रनाथ की डोली (Photo- ETV Bharat) चमोली: चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर से रुद्रनाथ मंदिर के लिए रवाना हो गई है. बृहस्पतिवार को गोपीनाथ मंदिर में विधि विधान और पूजा अर्चना के साथ रुद्रनाथ जी की चल विग्रह डोली को हक हरूक धारी और मुख्य पुजारी के नेतृत्व में रुद्रनाथ मंदिर के लिए रवाना किया गया. इस दौरान आर्मी के बैंड की धुन के साथ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.
भगवान रुद्रनाथ को अर्पित किया नया अनाज: गोपीनाथ मंदिर परिसर में गुरुवार को पुजारी आचार्य वेद प्रकाश भट्ट ने भगवान रुद्रनाथ की चल विग्रह मूर्ति का अभिषेक और वैदिक मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना की. इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने भगवान रुद्रनाथ को नौ-नाज (नया अनाज) अर्पित कर पूजा अर्चना कर कुशलता की मनौतियां मांगी. जिसके पश्चात यहां भगवान रुद्रनाथ को पुजारियों द्वारा भोग लगाने के पश्चात भगवान रुद्रनाथ उत्सव डोली ने अपने शीतकालीन गद्दी स्थल के अधिष्ठाता गोपीनाथ भगवान से विदा लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र के प्रस्थान किया.
भगवान रुद्रनाथ की डोली रवाना (Photo- ETV Bharat) 18 मई को खुलेंगे रुद्रनाथ मंदिर के कपाट: 18 मई भगवान रुद्रनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे. मुख्य पुजारी महादेव भट्ट ने बताया कि रुद्रनाथ पंच केदारों में चतुर्थ केदार हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर पांडवों को भगवान शिव के मुखार बिंदु के दर्शन हुये थे. महादेव भट्ट ने बताया कि भगवान रुद्रनाथ जी की चल विग्रह डोली गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर से प्रस्थान कर चुकी है, जो आज ल्यूंठी बुग्याल में रात्रि विश्राम करेगी. शुक्रवार के दिन सत्रह मई को रुद्रनाथ जी की डोली चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में प्रवेश करेगी. मुख्य पुजारी ने बताया कि 18 मई शनिवार को चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ जी के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे.
18 मई को खुलेंगे रुद्रनाथ मंदिर के कपाट (Photo- ETV Bharat) गोपेश्वर से रवाना हुई रुद्रनाथ की डोली: रुद्रनाथ मंदिर मुख्य पुजारी और हक हकूक धारियों ने बताया कि भगवान रुद्रनाथ उत्तराखंड के पांच केदारों में से एक केदार हैं. यह मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है. पूरे भारत में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर भगवान शंकर के मुख के दर्शन होते हैं. यह मंदिर मुख्य मोटर मार्ग से लगभग 22 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित है. ऊंचाई पर दुर्गम रास्ता होने के बावजूद भी हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान रुद्रनाथ के दर्शनों के लिए यहां पर पहुंचते हैं. मंदिर पहुंचने समय चारों ओर हरे-भरे बुग्याल और प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य से लबालब क्षेत्र दिखाई देते हैं.
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