पलामू:सारंडा में मौजूद माओवादियों के पास पैसा खत्म हो गया है. सारंडा में मौजूद माओवादी दूसरे इलाके के कमांडरों से पैसा मांगने के फिराक में हैं. पैसे के लिए माओवादियों के ईआरबी सुप्रीमो मिसिर बेसरा की टीम ने मनोहर गंझू और बूढ़ापहाड़ से जुड़े कॉरिडोर में रबिन्द्र गंझू से संपर्क करने की कोशिश की है. इसकी भनक सुरक्षा एजेंसियों को भी मिली है. भनक मिलने के बाद सारंडा, बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा कॉरिडोर पर निगरानी बढ़ा दी गई है.
नक्सल से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि सारंडा के इलाके में माओवादियों के पास पैसे का संकट है. वे पैसे के लिए रबिन्द्र गंझू और मनोहर गंझू से संपर्क कर रहे हैं, हालांकि कितना पैसा मांगा गया है और भेजा जाना है इसकी जानकारी किसी के पास नही है. सारंडा के इलाके में माओवादियों को काफी नुकसान हुआ है. पिछले पांच वर्षों में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान 89 प्रतिशत लैंड माइंस और विस्फोटक सारंडा के इलाके से बरामद हुए हैं.
सारंडा के इलाके में अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं माओवादी
सारंडा माओवादियों का ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो (ईआरबी) का मुख्यालय है. सारंडा से माओवादी झारखंड-बिहार के अलावा उत्तरी छत्तीसगढ़ के और नॉर्थ ईस्ट के राज्य में अपनी गतिविधि का संचालन करते हैं. पिछले तीन वर्षों के दौरान सुरक्षा बलों ने माओवादियों की यूनिफाइड कमांड बिहार के छकरबंधा और झारखंड में मौजूद ट्रेनिंग सेंटर बूढापहाड़ को ध्वस्त कर दिया है.
माओवादी सारंडा के इलाके में खुद को बचाने की अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं. सुरक्षाबलों पिछले एक वर्ष से सारंडा के इलाके में अभियान चला रहे हैं. नक्सल मामलों के जानकर देवेंद्र गुप्ता बताते है कि सारंडा के इलाके मर माओवादी अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं, माओवादियों को लेवी मिलना कम हो गया है. माओवादियों के पास कैडर कम हैं और भर्ती भी नहीं हो रही है. माओवादियों के पास पैसे खत्म होते जा रहे हैं और वे कमजोर होते जा रहे हैं.
पुलिस नक्सल विरोधी अभियान चला रही है. हम लोग सभी तरह के नेटवर्क पर नजर रखे हुए हैं, इस तरह की सूचना या जुड़ी जानकारी सामने आने पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी. माओवादियों के मदद पहुंचाने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी- अंजनी अंजन, एसपी लातेहार
माओवादी-झारखंड बिहार और कोयल शंख जोन से सबसे अधिक वसूलते हैं लेवी
दरअसल, माओवादियों के झारखंड-बिहार उत्तरी छत्तीसगढ़ सीमांत कमेटी के मध्य जोन और कोयल शंख जोन से माओवादियों को सबसे अधिक लेवी मिलती है. माओवादियों के मध्य जोन में पलामू चतरा और बिहार के गया औरंगाबाद शामिल है. जबकि कोयल शंख जोन में आधा पलामू, लातेहार, गढ़वा लोहरदगा सिमडेगा का इलाका शामिल है. माओवादी सबसे अधिक मध्यजोन से लेवी वसूलते थे.