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गैर-मजरूआ और वन भूमि पर तस्करों की नजर, बिहार के माफिया झारखंड में करवा रहे अफीम की खेती! - OPIUM CULTIVATION

पलामू में पोस्ता (अफीम) की खेती के लिए वन भूमि और गैर-मजरूआ जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

forest and non cultivated land used for poppy cultivation in Palamu
पलामू में पोस्ता का खेती को नष्ट करती पुलिस (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 9 hours ago

पलामूः झारखंड-बिहार के सीमावर्ती इलाके में पोस्ता यानी अफीम की खेती को रोकना एक बड़ी चुनौती है. पुलिसिया कार्रवाई के बाद तस्कर तरीकों को बदल देते हैं. पुलिस लगातार अफीम के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.

पलामू पुलिस ने अब तक 150 एकड़ से भी अधिक में लगे पोस्ते की फसल को नष्ट किया है. एक मामले को छोड़कर सभी इलाकों में पोस्ता की खेती जीएम लैंड या वन भूमि में किया गया था. बिहार के तस्करों ने पलामू के हरिहरगंज में बटाईदारी पर पोस्ता की खेती किया था. वहीं बिहार के तस्कर पोस्ता की खेती के लिए वन भूमि और गैर-मजरूवा जमीन (जीएम लैंड) का इस्तेमाल कर रहे हैं. पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान के दौरान पुलिस को कई जानकारी मिली है. तस्कर पुलिस से बचने के लिए खेती के तरीकों को भी बदल रहे हैं.

जानकारी देतीं पलामू एसपी (ETV Bharat)

मल्टीपल लेयर पर लोग शामिल है, मुख्य रूप से फॉरेस्ट और जीएम लैंड को टारगेट किया जा रहा है. खेती करने वाले इस फिराक में है कि उनकी पहचान होने में देर लगे. इस बार मुख्य रूप से फॉरेस्ट और जीएम लैंड को ही टारगेट किया गया है. पोस्ता की खेती के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. सबसे अधिक पलामू के मनातू कि इलाके में पोस्ता की खेती को नष्ट किया गया है, सिर्फ एक मामले में रैयती जमीन का मामला निकलकर सामने आया है. कुछ मामलों में बिहार के लोगों का सामना आया है मामले में अनुसंधान चल रहा है. -रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.

पहचान छुपाना चाहते हैं तस्कर

पुलिस की कार्रवाई इस बात का खुलासा हुआ है कि तस्कर अपनी पहचान को छुपाना चाहते हैं. इसलिए वे अपने तरीकों को बदल रहे है. पलामू पुलिस के आंकड़ों के अनुसार विभिन्न इलाकों में अब तक 1500 से भी अधिक ग्रामीणों पर पोस्ता की खेती के आरोप में मुकदमा दर्ज है. 2024 में पुलिस ने सात मामलों में एनडीपीएस एक्ट के अपराधियों को सजा दिलाने में सफल रही है. पुलिस की कार्रवाई और मुकदमों के अनुसंधान के बाद तस्कर अपनी पहचान छुपाने का प्रयास कर रहे हैं.

forest and non cultivated land used for poppy cultivation in Palamu
पोस्ता की खेती को नष्ट करते पुलिस पदाधिकारी (ETV Bharat)

तस्करों ने तैयार किये कई लेयर, ग्रामीणों को देते हैं लालच

पुलिस की जांच में यह भी बात निकाल कर सामने आई है कि तस्करों ने कई लेयर का नेटवर्क तैयार किया है. पोस्ता खेती का सरगना आर्थिक रूप से नेटवर्क की मदद करता है और ग्रामीणों की लालच देकर खेती करवाता है. जंगली इलाकों में ग्रामीणों को लालच देकर रखा जाता है ताकि खेती के देखभाल की जा सके. सरगना पोस्ता का बीज उपलब्ध करवाता है और फसल तैयार होने के बाद वह वापस लौटता है. पलामू के मनातू के सुदेश यादव बताते हैं ग्रामीणों को लालच दिया जाता है लेकिन कई ऐसे ग्रामीण है जो मुकदमों के बाद संभल गए हैं. फिर भी अफीम तस्कर नए-नए ग्रामीणों को पैसों का लालच देते हैं.

इसे भी पढ़ें- बटाईदारी में बिहार के तस्कर कर रहे अफीम की खेती, पुलिस की कार्रवाई में कई खुलासे होने के बाद एफआईआर दर्ज - POPPY CULTIVATION IN PALAMU

इसे भी पढ़ें- अफीम की खेती के खिलाफ बड़ा अभियान, ट्रैक्टर और जेसीबी लेकर बीहड़ों में घूम रही पुलिस - CAMPAIGN AGAINST OPIUM CULTIVATION

इसे भी पढ़ें- टेक्नोलॉजी की मदद से नष्ट की जा रही है अफीम की खेती, सैटेलाइट से की जा रही निगरानी - OPIUM CULTIVATION

पलामूः झारखंड-बिहार के सीमावर्ती इलाके में पोस्ता यानी अफीम की खेती को रोकना एक बड़ी चुनौती है. पुलिसिया कार्रवाई के बाद तस्कर तरीकों को बदल देते हैं. पुलिस लगातार अफीम के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.

पलामू पुलिस ने अब तक 150 एकड़ से भी अधिक में लगे पोस्ते की फसल को नष्ट किया है. एक मामले को छोड़कर सभी इलाकों में पोस्ता की खेती जीएम लैंड या वन भूमि में किया गया था. बिहार के तस्करों ने पलामू के हरिहरगंज में बटाईदारी पर पोस्ता की खेती किया था. वहीं बिहार के तस्कर पोस्ता की खेती के लिए वन भूमि और गैर-मजरूवा जमीन (जीएम लैंड) का इस्तेमाल कर रहे हैं. पोस्ता की खेती के खिलाफ अभियान के दौरान पुलिस को कई जानकारी मिली है. तस्कर पुलिस से बचने के लिए खेती के तरीकों को भी बदल रहे हैं.

जानकारी देतीं पलामू एसपी (ETV Bharat)

मल्टीपल लेयर पर लोग शामिल है, मुख्य रूप से फॉरेस्ट और जीएम लैंड को टारगेट किया जा रहा है. खेती करने वाले इस फिराक में है कि उनकी पहचान होने में देर लगे. इस बार मुख्य रूप से फॉरेस्ट और जीएम लैंड को ही टारगेट किया गया है. पोस्ता की खेती के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. सबसे अधिक पलामू के मनातू कि इलाके में पोस्ता की खेती को नष्ट किया गया है, सिर्फ एक मामले में रैयती जमीन का मामला निकलकर सामने आया है. कुछ मामलों में बिहार के लोगों का सामना आया है मामले में अनुसंधान चल रहा है. -रीष्मा रमेशन, एसपी पलामू.

पहचान छुपाना चाहते हैं तस्कर

पुलिस की कार्रवाई इस बात का खुलासा हुआ है कि तस्कर अपनी पहचान को छुपाना चाहते हैं. इसलिए वे अपने तरीकों को बदल रहे है. पलामू पुलिस के आंकड़ों के अनुसार विभिन्न इलाकों में अब तक 1500 से भी अधिक ग्रामीणों पर पोस्ता की खेती के आरोप में मुकदमा दर्ज है. 2024 में पुलिस ने सात मामलों में एनडीपीएस एक्ट के अपराधियों को सजा दिलाने में सफल रही है. पुलिस की कार्रवाई और मुकदमों के अनुसंधान के बाद तस्कर अपनी पहचान छुपाने का प्रयास कर रहे हैं.

forest and non cultivated land used for poppy cultivation in Palamu
पोस्ता की खेती को नष्ट करते पुलिस पदाधिकारी (ETV Bharat)

तस्करों ने तैयार किये कई लेयर, ग्रामीणों को देते हैं लालच

पुलिस की जांच में यह भी बात निकाल कर सामने आई है कि तस्करों ने कई लेयर का नेटवर्क तैयार किया है. पोस्ता खेती का सरगना आर्थिक रूप से नेटवर्क की मदद करता है और ग्रामीणों की लालच देकर खेती करवाता है. जंगली इलाकों में ग्रामीणों को लालच देकर रखा जाता है ताकि खेती के देखभाल की जा सके. सरगना पोस्ता का बीज उपलब्ध करवाता है और फसल तैयार होने के बाद वह वापस लौटता है. पलामू के मनातू के सुदेश यादव बताते हैं ग्रामीणों को लालच दिया जाता है लेकिन कई ऐसे ग्रामीण है जो मुकदमों के बाद संभल गए हैं. फिर भी अफीम तस्कर नए-नए ग्रामीणों को पैसों का लालच देते हैं.

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