पलामू:बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाके प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के लिए सुरक्षित पनाहगाह रहे हैं. कभी सीमावर्ती इलाकों में माओवादियों की कमान पोलित ब्यूरो और केंद्रीय कमेटी के सदस्यों के हाथ में हुआ करती थी. लेकिन अब स्थिति बदल गई है और अब कमान जोनल कमांडर रैंक के कमांडरों के हाथ में है. तीनों राज्यों के सीमावर्ती इलाके माओवादियों की झारखंड, बिहार, उत्तरी छत्तीसगढ़ कमेटी का यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर रहे हैं.
2014-15 तक इस इलाके में 3000 से 3500 माओवादी लड़ाके और कमांडर थे. अब इनकी संख्या घटकर आठ के आसपास रह गई है. सीमावर्ती इलाकों में 53 माओवादी कमांडर थे जिन पर एक से एक करोड़ रुपये का इनाम था. आज इन इलाकों में करीब एक दर्जन माओवादी कमांडर हैं जिन पर इनाम है.
नितेश और सुनील संभाल रहे हैं बिहार की कमान
15 लाख का इनामी माओवादी कमांडर नितेश यादव और 10 लाख का इनामी सुनील विवेक बिहार से सटे इलाकों की कमान संभाल रहे हैं. नितेश यादव के साथ संजय गोदराम और ठेगन मियां हैं, जिनके सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम है. सुनील विवेक अकेले ही दस्ते को संभाल रहा है. नितेश यादव झारखंड के पलामू चतरा और बिहार के औरंगाबाद और गया के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय है. सुनील विवेक बिहार के गया और पलामू चतरा में सक्रिय है.
"पहले सीमावर्ती इलाकों में कमान पोलित ब्यूरो या सेंट्रल कमेटी के सदस्यों के हाथ में होती थी. लेकिन अब कोई कमांडर नहीं बचा है. इलाके में आखिरी सबसे बड़ा कमांडर देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद था. उसकी मौत के बाद माओवादी बिखर गए." - पूर्व माओवादी सुरेंद्र यादव
छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में जहां बूढ़ापहाड़ मौजूद है, उस इलाके की कमान मृत्युंजय भुइयां संभाल रहा है, जिसके सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम है. मृत्युंजय भुइयां के साथ इनामी कमांडर मनीष यादव भी है. 10 लाख के इनामी मनोहर गंझू और 15 लाख के इनामी रवीन्द्र गंझू पलामू गढ़वा लातेहार चतरा लोहरदगा सीमा पर कमान संभाल रहे हैं.
कुछ दिन पहले ही 15 लाख का इनामी नक्सली छोटू खरवार मुठभेड़ में मारा गया था. छोटू खरवार लातेहार, गुमला, लोहरदगा और सिमडेगा का सबसे बड़ा नक्सली कमांडर था. उसकी हत्या के बाद रवींद्र गंझू को नया कमांडर बनाया गया है.