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रघुवर दास को भाजपा में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी! राज्यपाल पद से इस्तीफे के बाद कयासों का बाजार गर्म - RAGHUVAR DAS IN JHARKHAND POLITICE

झारखंड की राजनीति में रघुवर दास फिर चर्चा में हैं. कहा जा रहा है कि इन्हें संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है.

RAGHUVAR DAS IN JHARKHAND POLITICE
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 25, 2024, 4:52 PM IST

Updated : Dec 25, 2024, 5:46 PM IST

रांची: रघुवर दास एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वजह है ओडिशा के राज्यपाल के पद से उनका इस्तीफा. अचानक हुए इस घटनाक्रम से कयासों का बाजार गर्म हो गया है. अब सवाल है कि क्या रघुवर दास को कोई बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है या फिर उनके इस मूव को पॉलिटिकल रिटायरमेंट माना जाए. फिलहाल, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है. हां, एक बात जरुर है कि रघुवर दास खेमा बेहद खुश है. चर्चा है कि 26 दिसंबर को रघुवर दास दिल्ली जाने वाले हैं. इस घटनाक्रम पर झारखंड भाजपा और प्रमुख सत्ताधारी दल झामुमो का क्या स्टैंड है. राजनीतिक के जानकार इसको किस रूप में देख रहे हैं.

बीजेपी और झामुमो नेता के बयान (ईटीवी भारत)



संभावाओं को लेकर भाजपा और झामुमो का स्टैंड

प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष यदुनाथ पांडेय का कहना है कि राजनीति में ये सब चलता रहता है. ये तो रघुवर दास ही बता पाएंगे कि उन्होंने क्यों इस्तीफा दिया. अब केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है कि उनको क्या जिम्मेदारी मिल सकती है. वहीं भाजपा प्रवक्ता अविनेश कुमार का कहना है कि रघुवर दास पार्टी के एक कर्मठ कार्यकर्ता माने जाते हैं. उनकी कार्यशैली अच्छी और प्रमाणिक रही है. पूर्व में पार्टी ने उनको कई दायित्व दिए हैं. समय और परिस्थितियों के हिसाब से पार्टी उनको कहां उपयोग में लाना चाह रही है. यह समय ही बताएगा.

झामुमो ने रघुवर दास को अग्रिम शुभकामनाएं दी हैं. प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि फिलहाल तो कयास ही लगाए जा सकते हैं. देखना है कि उन्हें भाजपा क्या जिम्मेदारी देती है. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि रघुवर दास के नेतृत्व में ही 2019 में 65 पार का नारा दिया गया था. लेकिन भाजपा 25 पर आ गई थी.

किस रूप में देखते हैं राजनीति के जानकार

वरिष्ठ पत्रकार बैद्यनाथ मिश्रा के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि उनको स्टेट पॉलिटिक्स में लाने की तैयारी चल रही है. संभव है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए. क्योंकि जब उनको झारखंड की राजनीति से हटाया गया था, तब यहां लीडरशीप विवाद था. टकराव को रोकने के लिए पार्टी ने उन्हें साइड किया था. अब अर्जुन मुंडा अलग-थलग पड़ गये हैं. बाबूलाल मरांडी का इस चुनाव में टेस्ट हो चुका है. उनको जिस शान-ओ-शौकत के साथ लाया गया था, वह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई. अब पार्टी को एक ऐसा अध्यक्ष चाहिए, जो संगठन को समझता हो. रघुवर दास पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार बैद्यनाथ मिश्रा का कहना है कि हेमंत सोरेन ने ट्राइबल और मुस्लिम को मिलाकर चालीस प्रतिशत वोट ब्लॉक तैयार कर लिया है. इसको ओबीसी एकजुटता से ही काउंटर किया जा सकता है. लिहाजा, बैकवर्ड को साधने के लिए पार्टी के पास रघुवर दास से बेहतर विकल्प नहीं दिख रहा है.

रघुवर दास ने बनायी है मजबूत राजनीतिक पहचान

रघुवर दास भाजपा में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. 1977 में जनता पार्टी से राजनीति की शुरुआत की. 1980 में भाजपा के संस्थापक सदस्य के रुप में शामिल हुए. 1995 से 2019 तक जमशेदपुर पूर्वी से विधानसभा सदस्य चुने जाते रहे. झारखंड की अलग-अलग सरकारों में मंत्री, उपमुख्यमंत्री रहे. 2014 से 2019 तक राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने. पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है. 2019 में उन्होंने ना सिर्फ सत्ता गंवा दीं बल्कि अपनी सीट भी हार गये.

कुछ समय तक अलग-थलग पड़ने के बाद पार्टी ने उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देकर उनकी अहमियत पर मुहर लगा दी. फिर अक्टूबर 2023 में उन्हें ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया. इसे रघुवर दास की राजनीतिक पारी के एंड के रुप में देखा जा रहा था. लेकिन 24 दिसंबर 2024 को हुए घटनाक्रम ने एक बार फिर उन्हें चर्चा के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है.

ये भी पढ़ें:

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बीजेपी और झामुमो नेता के बयान (ईटीवी भारत)



संभावाओं को लेकर भाजपा और झामुमो का स्टैंड

प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष यदुनाथ पांडेय का कहना है कि राजनीति में ये सब चलता रहता है. ये तो रघुवर दास ही बता पाएंगे कि उन्होंने क्यों इस्तीफा दिया. अब केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है कि उनको क्या जिम्मेदारी मिल सकती है. वहीं भाजपा प्रवक्ता अविनेश कुमार का कहना है कि रघुवर दास पार्टी के एक कर्मठ कार्यकर्ता माने जाते हैं. उनकी कार्यशैली अच्छी और प्रमाणिक रही है. पूर्व में पार्टी ने उनको कई दायित्व दिए हैं. समय और परिस्थितियों के हिसाब से पार्टी उनको कहां उपयोग में लाना चाह रही है. यह समय ही बताएगा.

झामुमो ने रघुवर दास को अग्रिम शुभकामनाएं दी हैं. प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि फिलहाल तो कयास ही लगाए जा सकते हैं. देखना है कि उन्हें भाजपा क्या जिम्मेदारी देती है. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि रघुवर दास के नेतृत्व में ही 2019 में 65 पार का नारा दिया गया था. लेकिन भाजपा 25 पर आ गई थी.

किस रूप में देखते हैं राजनीति के जानकार

वरिष्ठ पत्रकार बैद्यनाथ मिश्रा के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि उनको स्टेट पॉलिटिक्स में लाने की तैयारी चल रही है. संभव है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए. क्योंकि जब उनको झारखंड की राजनीति से हटाया गया था, तब यहां लीडरशीप विवाद था. टकराव को रोकने के लिए पार्टी ने उन्हें साइड किया था. अब अर्जुन मुंडा अलग-थलग पड़ गये हैं. बाबूलाल मरांडी का इस चुनाव में टेस्ट हो चुका है. उनको जिस शान-ओ-शौकत के साथ लाया गया था, वह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई. अब पार्टी को एक ऐसा अध्यक्ष चाहिए, जो संगठन को समझता हो. रघुवर दास पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार बैद्यनाथ मिश्रा का कहना है कि हेमंत सोरेन ने ट्राइबल और मुस्लिम को मिलाकर चालीस प्रतिशत वोट ब्लॉक तैयार कर लिया है. इसको ओबीसी एकजुटता से ही काउंटर किया जा सकता है. लिहाजा, बैकवर्ड को साधने के लिए पार्टी के पास रघुवर दास से बेहतर विकल्प नहीं दिख रहा है.

रघुवर दास ने बनायी है मजबूत राजनीतिक पहचान

रघुवर दास भाजपा में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. 1977 में जनता पार्टी से राजनीति की शुरुआत की. 1980 में भाजपा के संस्थापक सदस्य के रुप में शामिल हुए. 1995 से 2019 तक जमशेदपुर पूर्वी से विधानसभा सदस्य चुने जाते रहे. झारखंड की अलग-अलग सरकारों में मंत्री, उपमुख्यमंत्री रहे. 2014 से 2019 तक राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने. पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है. 2019 में उन्होंने ना सिर्फ सत्ता गंवा दीं बल्कि अपनी सीट भी हार गये.

कुछ समय तक अलग-थलग पड़ने के बाद पार्टी ने उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देकर उनकी अहमियत पर मुहर लगा दी. फिर अक्टूबर 2023 में उन्हें ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया. इसे रघुवर दास की राजनीतिक पारी के एंड के रुप में देखा जा रहा था. लेकिन 24 दिसंबर 2024 को हुए घटनाक्रम ने एक बार फिर उन्हें चर्चा के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है.

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Last Updated : Dec 25, 2024, 5:46 PM IST
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