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संविधान बचाने के नाम पर शुरू लड़ाई मनुस्मृति जलाने तक पहुंचीं, रांची में वाम संगठनों ने मांगा गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा - BURNT COPIES OF MANUSMRITI

संविधान बचाने के नाम पर शुरू लड़ाई अब मनुस्मृति जलाने तक पहुंची गई है. रांची में वाम संगठनों ने मनुस्मृति की प्रतियां जलाई हैं.

Burnt copies of Manusmriti in Ranchi
मनुस्मृति की प्रतिया जलाते वाम संगठन कार्यकर्ता (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 13 hours ago

रांची: राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर द्वारा दिए गए बयान के बाद भाजपा और उनके नेताओं का देश भर में विरोध हो रहा है. संविधान बचाने से शुरू हुई यह राजनीतिक लड़ाई अब मनुस्मृति जलाने तक पहुंच चुकी है.

वाम नेताओं का बयान (ईटीवी भारत)

रांची में वाम संगठनों का प्रदर्शन

रांची के डोरंडा स्थित अंबेडकर चौक पर सीपीआईएम, सीपीआई माले और अन्य वामपंथी संगठनों ने भाजपा और उसके नेताओं को संविधान विरोधी और मनुस्मृति समर्थक बताते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पुतला फूंका. इसके साथ ही उन्होंने मनुस्मृति की प्रतियां भी जलाईं.

वाम नेताओं ने क्या कहा

मनुस्मृति जलाओ कार्यक्रम में शामिल हुए वाम संगठनों के नेताओं ने कहा कि बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ने हमें संविधान के माध्यम से बराबरी का हक दिया. सदियों के सामंती वर्गों द्वारा उपेक्षित और शोषित वर्गों को भी बेहतर जीवन जीने का प्रावधान भारत के संविधान में किया. लेकिन भाजपा और आरएसएस को यह खटक रहा है, यही वजह है कि पहले अबकी बार 400 पार का का ख्वाब देख रहे थे ताकि संविधान से छेड़छाड़ किया जा सके. लेकिन उन्हें पता नहीं है कि इस देश की जनता यह होने नहीं देगी.

Burnt copies of Manusmriti in Ranchi
अमित शाह का पुतला जलाते कार्यकर्ता (ईटीवी भारत)

सीपीएम, सीपीआई माले, ऐपवा और झारखंड जनाधिकार महासभा के कार्यकर्ताओं ने डोरंडा स्थित अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पुतला जलाया और मनुस्मृति की प्रति जलाकर अपना विरोध जताया.

सीपीआई माले की महिला इकाई ऐपवा की नेता नंदिता भट्टाचार्या ने कहा कि आज हम कुछ नया नहीं कर रहे हैं. 1927 ईस्वी में आज के दिन ही बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के आह्वान पर मनुस्मृति जलाई गई थी. आज भी केंद्र की भाजपा सरकार में जिस तरह से हर जगह मनुस्मृति को शामिल किया जा रहा है और संविधान की उपेक्षा हो रही है, उसके खिलाफ यह आंदोलन है.

मनुस्मृति के सामने संविधान को छोटा दिखाने का हो रहा प्रयास- सीपीएम

वहीं सीपीएम नेता प्रफुल्ल लिंडा ने कहा कि बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर का संसद में जिस तरह से केंद्रीय गृहमंत्री ने अपमानित किया उसके खिलाफ आज पूरे देश में उबाल है. प्रफुल्ल लिंडा ने कहा कि आज मनुस्मृति के सामने बाबा साहब के बनाए संविधान को छोटा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान विरोधी अमित शाह को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.

ये भी पढ़ें:

गृह मंत्री अमित शाह ने जान बूझकर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का किया अपमान: रामेश्वर उरांव

केंद्रीय गृहमंत्री के खिलाफ सड़क पर कांग्रेस-राजद के नेता, अमित शाह का फूंका पुतला

रांची: राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर द्वारा दिए गए बयान के बाद भाजपा और उनके नेताओं का देश भर में विरोध हो रहा है. संविधान बचाने से शुरू हुई यह राजनीतिक लड़ाई अब मनुस्मृति जलाने तक पहुंच चुकी है.

वाम नेताओं का बयान (ईटीवी भारत)

रांची में वाम संगठनों का प्रदर्शन

रांची के डोरंडा स्थित अंबेडकर चौक पर सीपीआईएम, सीपीआई माले और अन्य वामपंथी संगठनों ने भाजपा और उसके नेताओं को संविधान विरोधी और मनुस्मृति समर्थक बताते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पुतला फूंका. इसके साथ ही उन्होंने मनुस्मृति की प्रतियां भी जलाईं.

वाम नेताओं ने क्या कहा

मनुस्मृति जलाओ कार्यक्रम में शामिल हुए वाम संगठनों के नेताओं ने कहा कि बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ने हमें संविधान के माध्यम से बराबरी का हक दिया. सदियों के सामंती वर्गों द्वारा उपेक्षित और शोषित वर्गों को भी बेहतर जीवन जीने का प्रावधान भारत के संविधान में किया. लेकिन भाजपा और आरएसएस को यह खटक रहा है, यही वजह है कि पहले अबकी बार 400 पार का का ख्वाब देख रहे थे ताकि संविधान से छेड़छाड़ किया जा सके. लेकिन उन्हें पता नहीं है कि इस देश की जनता यह होने नहीं देगी.

Burnt copies of Manusmriti in Ranchi
अमित शाह का पुतला जलाते कार्यकर्ता (ईटीवी भारत)

सीपीएम, सीपीआई माले, ऐपवा और झारखंड जनाधिकार महासभा के कार्यकर्ताओं ने डोरंडा स्थित अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पुतला जलाया और मनुस्मृति की प्रति जलाकर अपना विरोध जताया.

सीपीआई माले की महिला इकाई ऐपवा की नेता नंदिता भट्टाचार्या ने कहा कि आज हम कुछ नया नहीं कर रहे हैं. 1927 ईस्वी में आज के दिन ही बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के आह्वान पर मनुस्मृति जलाई गई थी. आज भी केंद्र की भाजपा सरकार में जिस तरह से हर जगह मनुस्मृति को शामिल किया जा रहा है और संविधान की उपेक्षा हो रही है, उसके खिलाफ यह आंदोलन है.

मनुस्मृति के सामने संविधान को छोटा दिखाने का हो रहा प्रयास- सीपीएम

वहीं सीपीएम नेता प्रफुल्ल लिंडा ने कहा कि बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर का संसद में जिस तरह से केंद्रीय गृहमंत्री ने अपमानित किया उसके खिलाफ आज पूरे देश में उबाल है. प्रफुल्ल लिंडा ने कहा कि आज मनुस्मृति के सामने बाबा साहब के बनाए संविधान को छोटा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान विरोधी अमित शाह को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.

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