गिरिडीह: कोडरमा और बिहार के नवादा-जमुई से सटा गिरिडीह जिले के गावां और तिसरी के इलाके में अभ्रक प्रचुर मात्रा में हैं. पर्यावरण कारणों से यहां की खदाने पिछले दो ढाई दशक से वैध रूप से बंद है, लेकिन इसका अवैध धंधा यहां जंगलों और पहाड़ी क्षेत्र में निरंतर जारी है. इस क्षेत्र से न सिर्फ अभ्रक का अवैध खनन किया जा रहा है. माना जाता है कि इस अभ्रक को फैक्ट्री में डंप किया जा रहा है. कुछ लोगों का ये भी मानना है कि इसकी तस्करी विदेश तक की जा रही है और यह पूरा कारोबार संगठित तौर पर हो रहा है. बड़ी बात है कि इस अवैध धंधे के दरमियान गरीबों की मौत भी हो रही है.
हाल के एक पखवाड़े के अंदर एक बच्चा और दो महिला की मौत हो गई. दो महिलाओं की मौत के मामले में एसपी को मिली सूचना पर स्थानीय पुलिस ने शव को जब्त किया और थाना में एफआईआर भी दर्ज की गई. महिला की मौत के मामले में वन विभाग ने भी वाद दर्ज किया जिसमें माफियाओं को नामजद किया गया.
मौत के बाद खदान की हुई डोजरिंग, मिला विस्फोटक
गावां थाना इलाके के परसोनी में चाल धंसने की घटना 17 मई को घटी. इस घटना के बाद आलधिकारी सख्त हुए तो कार्रवाई शुरू हुई. इस घटना के चार पांच दिनों बाद गावां वन विभाग की टीम ने अवैध माइका उत्खनन के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया. इस अभियान के तहत धरवे जंगल में आधा दर्जन से अधिक खदानों में छापेमारी की गई. जिसमें भारी मात्रा में जिलेटिन, डेटोनेटर, माइका और खनन में इस्तेमाल होने वाला कई उपकरण को जब्त किया गया. पूरी कार्रवाई रेंजर अनिल कुमार के निर्देश पर की गई. हालांकि इस कार्रवाई के बाद प्रशासन फिर से शिथिल पड़ गई.
इधर, बताया जाता है कि जंगली इलाके में अवैध खनन करवाने से लेकर गिरिडीह शहर तक खपाने में संगठित गिरोह शामिल है. इस गिरोह के लोग रात के समय अभ्रक को जंगल से मालवाहक पर लोड कर शहर के इलाके में लाते हैं और फिर इस अवैध अभ्रक को वैध करने का काम किया जाता है.
माफियाओं पर हो कार्रवाई लेकिन खदानों को शुरू करने पर भी उठे कदम: राजेश
भाकपा माले नेता राजेश सिन्हा कहते हैं कि अभ्रक के अवैध कारोबार में शामिल माफियाओं पर निश्चित तौर पर कार्रवाई होनी चाहिए. जो मजदूर मरते हैं उन्हें मुआवजा भी मिलना चाहिए. जंगल से लेकर शहर तो जांच होनी चाहिए, साथ ही साथ क्षेत्र में बंद माइका उद्योग को शुरू करने की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए.