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सारथी बन युवाओं को राह दिखा रहे दारोगा, युवा सोच को दे रहे हैं नया आयाम! - Police officers teaching youths

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 8, 2024, 5:31 PM IST

Police officers preparing youth for competitive exams. पलामू का मनातू इलाका, नक्सली प्रभाव के लिए जाना जाता है. जहां के लोग कभी नक्सली विचारधारा से प्रभावित थे, आज वहां के युवा प्रगतिशील सोच के साथ बेहतर शिक्षा ग्रहण कर डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहते हैं. इन युवाओं का सारथी बन उनकी मदद के लिए मनातू पुलिस का कुनबा सामने आ रहा है.

Manatu police station Officers preparing youth for competitive exams in Palamu
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

पलामूः नक्सलियों के प्रभाव कम होने के बाद बदलाव की शुरुआत हुई है. जिस इलाके के युवा कभी नक्सली की विचारधारा से प्रभावित होते थे अब वे डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते हैं. युवाओं के इस सपने को पूरा करने में पुलिस सहयोग कर रही है. इसी कड़ी पलामू पुलिस ने सामुदायिक पुलिसिंग के तहत कोचिंग की शुरुआत की है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः सामुदायिक पुलिसिंग के तहत युवाओं को कोचिंग (ETV Bharat)

यह कोचिंग निःशुल्क है और जिसमें खुद पुलिस अधिकारी युवाओं को पढ़ा रहे है और उन्हें परीक्षा में पास होने के लिए टिप्स दे रहे हैं. पहली कोचिंग पलामू के मनातू थाना क्षेत्र में खोली गई है. मनातू अतिनक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है जो पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से 70 किलोमीटर दूर है. मनातू में थाना प्रभारी निर्मल उरांव, सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार, संतोष कुमार गुप्ता, अनीश राज युवाओं की क्लास ले रहे हैं.

पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर का कर रहे सफर

एक समय था जब मनातू के इलाके में पुलिस जाती थी तो ग्रामीण गांव छोड़कर भाग जाते थे. ग्रामीणों को यह डर था कि पुलिस के जाने के बाद नक्सली उन्हें तंग करेंगे या नक्सलियों को लेकर पुलिस पूछताछ करेंगे. अब इस इलाके में पुलिस के कोचिंग में युवा बेहिचक पढ़ाई के लिए पहुंच रहे हैं. कोचिंग में पढ़ाई कर रहे 12वीं के छात्र गुलाब कुमार यादव ने बताया कि वह पढ़ाई के लिए छह से सात किलोमीटर सफर कर रहे हैं. पुलिस से अब डर नहीं लगता है बल्कि दारोगा उनके साथी बन गए हैं. छात्रा सोनी कुमारी ने बताया कि वह 11वीं की छात्र है और डॉक्टर बनना चाहती है. पुलिस को देखते के साथ पहले लोग डर से भाग जाते थे लेकिन अब ऐसी बात नहीं है. छात्रा खुशी कुमारी रजक ने बताया कि पुलिस उनके लिए दोस्त हैं, पढ़ाई में उन्हें काफी मदद मिल रही है, वह डॉक्टर बनना चाहती हैं.

-नक्सल प्रभावित इलाके में बदलाव हो रहा है. पुलिस युवाओं को मुख्यधारा में शामिल होने के लिए मदद कर रही है. नक्सली इलाके के युवाओं के सपनों को पूरा करने के लिए पुलिस पहल कर रही है, कई बार नक्सल इलाके के युवा पुलिस के पास पहुंचते हैं और यह बताते हैं कि वह भी अधिकारी बनना चाहते है. सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से ऐसे युवाओं की मदद करने की कोशिश की जा रही है. -रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू.

-मैंने बीएड तक की पढ़ाई की है, मैं शिक्षक भी रहा हूं. मेरा घर भी नक्सल प्रभावित इलाके में है. इसलिए इलाके की चुनौतियों को जनता हूं. कोचिंग के माध्यम से युवाओं को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाई जा रही है. मैं कैमिस्ट्री का छात्र रहा हूं, इस कारण युवाओं को 11वीं एवं 12वीं की पढ़ाई भी करवा रहे हैं. -निर्मल उरांव, थाना प्रभारी मनातू.

नक्सली हिंसा, पोस्ता और मानव तस्करी के लिए बदनाम से मनातू

पलामू का मनातू इलाका नक्सली हिंसा, पोस्ता की खेती और मानव तस्करी के लिए बदनाम है. नक्सली इतिहास पहली बार 1994-95 में प्रशासनिक अधिकारी की हत्या मनातू में ही हुई थी. नक्सलियों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मनातू के इलाके में सबसे अधिक चाइल्ड ट्रैफिकिंग का आंकड़ा रिकॉर्ड किया गया है. इसके अलावा मनातू का इलाका पोस्ता की खेती (अफीम) से जूझ रहा है और 700 से अधिक ग्रामीणों पर इससे जुड़ा हुआ एफआईआर दर्ज है.

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