कोविड के बाद कहीं आप भी तो इस बीमारी की चपेट में नहीं, चिकित्सकों में बढ़ी चिंता - Lung Related Diseases - LUNG RELATED DISEASES
कोरोना के बाद से बहुत से लोगों को फेफड़ों में घरघराहट, लगातार खांसी, हल्के काम के दौरान सांस फूलना जैसी समस्याएं हो रही हैं. इसे लेकर केरल में कोच्चि के एक वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट का कहना है कि ये सारी समस्याएं शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में बदलाव के कारण है और ये सभी कोविड के बाद स्वास्थ्य समस्याओं के संकेत हैं.
वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ प्रवीण वल्सलन (फोटो - ETV Bharat Kerala Desk)
कोच्चि: क्या आप लंबे समय तक चलने वाली घरघराहट, लगातार खांसी, हल्के काम के दौरान सांस फूलना आदि से पीड़ित हैं? कोच्चि के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण वल्सलन का इसे लेकर कहना है कि यह सब शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में बदलाव के कारण है. ये सभी कोविड के बाद स्वास्थ्य समस्याओं के संकेत हैं.
उन्होंने ईटीवी भारत से बताया कि 'फेफड़ों में परिवर्तन के कारण होने वाली घरघराहट अधिकांश रोगियों में लंबे समय तक बनी रहती है. फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने से लगातार खांसी होती है. हल्का काम करने पर भी थकान महसूस होना और हांफना शरीर में थकान का कारण बनता है और सतर्कता की कमी का कारण बनता है.
उन्होंने आगे कहा कि 'श्वसन संबंधी बीमारियां रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करती हैं. सांस संबंधी बीमारियों के कारण छोटी सी बीमारी भी गंभीर हो सकती है. यहां तक कि सामान्य सर्दी भी निमोनिया में बदल सकती है.' डॉ. प्रवीण वल्सलन ने कहा कि 'कोविड के बाद ऐसी समस्याएं काफी बढ़ गई हैं. डॉक्टर पोस्ट-कोविड श्वसन उपचार में प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं.'
उन्होंने यह भी बताया कि 'फेफड़ों को पुनर्जीवित करने के लिए कई उपचार दिए जाते हैं.' 24 से 26 मई तक कोच्चि में होने वाले फेफड़े के विशेषज्ञों के राष्ट्रीय सम्मेलन में फेफड़ों के इलाज के क्षेत्र में नई उपचार विधियों पर चर्चा होगी. थोरैकोस्कोपी, एक चिकित्सा तकनीक, जो फेफड़ों के बाहरी हिस्से की जांच करने के लिए छाती में एक छोटा कैमरा डालकर कीहोल सर्जरी की अनुमति देती है, ने फेफड़ों की सर्जरी में क्रांति ला दी है.
सम्मेलन के तहत इस संबंध में कई चर्चाएं की जाएंगी. ब्रोंकोस्कोपी, थोरैकोस्कोपी, वायुमार्ग विकार, ट्यूमर एब्लेशन, नेविगेशनल ब्रोंकोस्कोपी, वायुमार्ग स्टेंट, एंडोब्रोनचियल अल्ट्रासाउंड, फेफड़े के प्रत्यारोपण आदि जैसे उपचार के तौर-तरीकों पर तीन दिवसीय कार्यशालाएं भी सम्मेलन का हिस्सा हैं.
भारत और विदेश से पल्मोनोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट और थोरेसिक सर्जन सहित 1,000 से अधिक प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेंगे. आयोजकों इंडियन एसोसिएशन फॉर ब्रोंकोलॉजी के अनुसार, 10 अंतरराष्ट्रीय संकाय और 250 राष्ट्रीय संकाय विभिन्न सत्रों में बोलेंगे.