चंडीगढ़: हरियाणा में बीजेपी ने लोकसभा की दस सीटों में से 6 उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिनमें तीन नए, तीन पुराने चेहरे हैं. यानी बीजेपी ने इस मामले में बीजेपी पर एक तरह से लीड ले ली है. क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक एक उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं. हालांकि कांग्रेस आप गठबंधन ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में बीजेपी ने जिन चेहरों पर दाव खेला है, कांग्रेस के लिए उनके सामने उम्मीदवार फाइनल करना कितनी बड़ी चुनौती है? साथ ही बीजेपी की हरियाणा की पहली सूची में उतारे गए चेहरों को लेकर जानकारी क्या कहते हैं यह जानना भी दिलचस्प है.
बीजेपी इन चेहरों को उतारा चुनावी मैदान में: हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. वहीं, गुरुग्राम लोकसभा सीट से राव इंद्रजीत सिंह चुनावी मैदान में हैं. फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर पर पार्टी ने फरि से भरसो जताते हुए टिकट दिया है. वहीं, अंबाला लोकसभा सीट से दिवंगत सांसद रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को चुनावी मैदान में हैं. जबकि, सिरसा लोकसभा सीट से सुनीता दुग्गल का टिकट काट कर अशोक तंवर को टिकट दिया है. वहीं, भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से पार्टी चौधरी धर्मबीर सिंह किस्मत आजमाने उतरे हैं. बीजेपी ने कुरुक्षेत्र, सोनीपत, हिसार और रोहतक लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है.
हरियाणा में 6 लोकसभा सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार फाइनल: बीजेपी के उतारे गए 6 उम्मीदवारों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं "बीजेपी ने अपनी पहली सूची में अनुभव और युवा उम्मीदवारों का मिश्रण किया है. अनुभव को पार्टी ने तरजीह दी है हालांकि अपने दो सांसदों के टिकट भी कटे हैं. जिसमें संगठन से जुड़े संजय भाटिया और सुनीता दुग्गल हैं. बीजेपी और आरएसएस का को सर्वे था उसमें दो ही सीटें मजबूत थीं, जिसमें फरीदाबाद और गुरुग्राम सीट शामिल हैं. इसलिए इन दोनों सीटों पर पार्टी ने पुराने उम्मीदवारों को उतारा है. हालांकि बीजेपी करीब 6 सीटों पर खुद को कमजोर पाती है. राव इंद्रजीत की टिकट कन्फर्म थी, क्योंकि पीएम ने रैली में उनकी प्रशंसा की थी. वह एक संकेत माना जा रहा था. हालांकि कई बार यह संकेत गलत भी हो जाता है. पार्टी के सर्वे को देखते हुए फरीदाबाद और गुरुग्राम के सांसदों को पार्टी ने फिर से उतर दिया."
'हर एक सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी में BJP': वहीं, करनाल से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनावी मैदान में उतरने पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि पार्टी के पास वहां पर कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं था. बीजेपी इस बार के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर रिस्क लेने के मूड में नहीं है. हर सीट पर जीतने के लिए पार्टी को कोई भी मजबूत उम्मीदवार उतरना पड़े वह उतरेगी. इसलिए पार्टी ने मनोहर लाल से एक ही दिन में पहले सीएम पद से इस्तीफा करवाया फिर विधायक के पद से भी इस्तीफा करवा दिया और करनाल से उम्मीदवार बना दिया. यह भी हरियाणा के इतिहास में पहली बार है.
'अशोक तंवर का अपना वोट बैंक': राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र अवस्थी के अनुसार, जहां तक सिरसा से अशोक तंवर को मैदान में उतारा गया है, वह अच्छे उम्मीदवार हैं. यह माना जाता है कि उनका अपना वोट बैंक है. उनके साथ एक माइनस प्वाइंट यह है कि कुछ वक्त में ही उन्होंने चार पार्टियां बदली हैं. कांग्रेस से निकल कर अपनी पार्टी बनाई, फिर टीएमसी और आप मैं गए. अब वे बीजेपी में हैं. कांग्रेस में वे विभिन्न पदों पर रहे, इसलिए उनका प्रदेश में अपना नेटवर्क है. वह बीजेपी के काम आ सकता है. उसी को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा है.
'रोहतक लोकसभा सीट को लेकर पशोपेश में बीजेपी': धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं "बीजेपी सबसे कमजोर सीट रोहतक को मान रही है. बीजेपी मौजूदा सांसद अरविंद शर्मा को लेकर उलझन में है. क्योंकि वे अपनी पार्टी के खिलाफ भी मोर्चा खोलते रहे हैं. वह उनका मेने प्वाइंट है और पार्टी के सर्वे में वे कमजोर माने गए हैं. इसलिए उनको लेकर पार्टी पशोपेश में है कि क्या उनको चीन से उतारा जाए या सीट बदली जाए."