नई दिल्ली:देश में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से संबंधित हिंसा का दायरा सिमट कर बहुत कम हो गया है. केंद्र ने मंगलवार को संसद में बताया कि 2013 में 10 राज्यों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो 2024 में घटकर 9 राज्यों में केवल 38 रह गई है. नक्सलवाद से प्रभावित नौ राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं. नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है और भौगोलिक प्रसार में कमी आई है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा कि 2010 की तुलना में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 73 प्रतिशत की कमी आई है. इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों (सुरक्षा बलों और नागरिकों) 86 प्रतिशत कम हुई हैं. 2010 में जहां 1,005 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 में मौतों की संख्या घटकर 138 रह गई है. इस साल 30 जून तक वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में 32 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों तथा सुरक्षा बलों के जवानों की मौतों में 17 प्रतिशत की कमी आई है.
उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से पूरी तरह से निपटने के लिए भारत सरकार ने 2015 में 'वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना' को मंजूरी दी थी. इस नीति में सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास में हस्तक्षेप, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने को लेकर बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है.
राय ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट करने वाले पुलिस थानों की संख्या वर्ष 2010 में 96 जिलों में 465 थी, जो घटकर वर्ष 2023 में 42 जिलों में 171 पर आ गई है. वर्ष 2024 (जून 2024 तक) में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट 30 जिलों के 89 पुलिस थानों में दर्ज की गई.