पटना: राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी नई सरकार में जदयू कोटे से मंत्री पद दिया गया है. ललन सिंह, जो नीतीश कुमार के खासमखास माने जाते हैं, ने बिहार सरकार में मंत्री से लेकर जदयू के प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं. उनकी और नीतीश कुमार की दोस्ती 1980 से है. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम रही है कि एक समय दोनों एक साथ घूमा करते थे. हालांकि, दोनों के बीच एक बार विवाद भी हुआ था.
मंत्री बनने के लिए आरसीपी से हुआ था विवादः ललन सिंह का आरसीपी सिंह के साथ विवाद भी काफी चर्चा में रहा. 2019 में जब नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ, तब आरसीपी सिंह बिना नीतीश कुमार की सहमति के मंत्री बन गए थे. जबकि ललन सिंह भी मंत्री बनने की दौड़ में थे. इसके बाद ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच 36 का आंकड़ा हो गया. आरसीपी सिंह को जदयू से बाहर करने में ललन सिंह की बड़ी भूमिका रही. जब आरसीपी सिंह बीजेपी में शामिल हुए, तो ललन सिंह ने उन पर बीजेपी का एजेंट होने का आरोप लगा रहे थे.
कभी भाजपा थे हमलावरः बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने और महागठबंधन की सरकार बनाने में ललन सिंह की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है. बिहार में जब महागठबंधन की सरकार थी उस समय ललन सिंह, प्रधानमंत्री और भाजपा नेताओं पर जमकर हमला बोलते थे. संविधान, केंद्रीय एजेसियों और अग्नि वीर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ललन सिंह सीधा अटैक करते थे. लेकिन, अब स्थितियां बदल चुकी हैं. ललन सिंह के सुर भी बदल गए हैं.
ललन सिंह का प्रारंभिक जीवन और शिक्षाः ललन सिंह का जन्म पटना में 24 जनवरी 1955 को एक भूमिहार परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम ज्वाला प्रसाद सिंह और माता का नाम कौशल्या देवी है. भागलपुर विश्वविद्यालय के टीएनबी कॉलेज से कला स्नातक (ऑनर्स) में डिग्री प्राप्त की. कॉलेज छात्र संघ के महासचिव थे. 1974 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले आंदोलनों में भाग लिया था. ललन सिंह का विवाह रेणु देवी से हुआ है. उनकी एक बेटी है.
नीतीश के खिलाफ बगावतः ललन सिंह जब 2010 में सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत किया था उस वक्त बिहार जेडीयू के अध्यक्ष थे. उस वक्त वो मुंगेर से सांसद भी थे. जेडी(यू) ने लोकसभा में उनकी अयोग्यता की मांग की. 2013 में नीतीश कुमार के साथ उनके मेल-मिलाप के बाद यह कदम रद्द कर दिया गया. 2014 में मुंगेर लोकसभा सीट से फिर चुनाव लड़े. एलजेपी की वीणा देवी ने उन्हें लगभग 1 लाख वोटों से हरा दिया.