पटना: "पीएमसीएच में अपने मेडिकल कोर्स के दौरान जितने एकेडमिक प्रोग्राम में हिस्सा लिया सब में बेहतर किया. किसी साल दो गोल्ड मिले तो किसी साल 6 गोल्ड मेडल मिला. अब मेडल की संख्या बढ़कर 17 हो गई." यह कहना है डॉ आशना का. डॉ आशना पीएमसीएच के एमबीबीएस बैच 2019-24 की छात्रा रही है. इस उपलब्धि पर डॉक्टर आशना ने अपने टीचर्स और पेरेंट्स को श्रेय दिया.
डॉक्टर आशना गोल्ड मेडल से सम्मानित: बिहार का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल पीएमसीएच आज 100 साल का हो गया है. मंगलवार को एनुअल डे की मौके पर थर्ड वर्ष संस्थान के उत्कृष्ट मेडिकल छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल से नवाजा गया. डॉ आशना को स्थापना दिवस के मौके पर दो गोल्ड मेडल से नवाजा गया और इसके साथ ही संस्थान में उनके गोल्ड मेडल की संख्या बढ़कर 17 हो गई.
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बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं : डॉक्टर आशना ने कहा कि आगे उनका दिल्ली या किसी अन्य प्रदेश में कार्य करने की कोई योजना नहीं है. पीजी कोर्स खत्म होने के बाद बिहार में ही कार्य करने की योजना है. डॉ आशना ने बताया कि लोग बिहार को कमजोर समझते हैं और हीन भावना से देखते हैं और इसी को वह साबित करने के लिए दिल्ली में उन्होंने एडमिशन लिया और बताया कि बिहार प्रतिभा में कहीं पीछे नहीं है. उलट वह प्रतिभा में दूसरों से काफी आगे हैं.
पीएमसीएच शताब्दी समारोह : डॉ आशना को सोमवार को स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित समारोह में प्रदेश के मंत्री विजय कुमार चौधरी के हाथ हो गोल्ड मेडल से नवाजा गया. उन्हें ऑल इंडिया नीट-पीजी 2024-25 में 48वां और बिहार में पहला स्थान पाने पर डॉ. रेखा सिन्हा और डॉ. नवनीत सिन्हा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया.
रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में कर रही पोस्ट ग्रेजुएशन: डॉ आशना ने बताया कि वर्तमान में वह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में पीजी कर रही हैं. उनकी ख्वाहिश थी कि पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में स्पेशलाइजेशन ले लेकिन समय पर सिचुएशन ऐसा बना की उन्होंने रेडियोलॉजी ज्वाइन कर लिया और इसमें उन्हें काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है.
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पीडियाट्रिक क्षेत्र एक्सपर्टीज हासिल करने की योजना: उन्होंने कहा कि भविष्य में पीडियाट्रिक क्षेत्र में भी एक्सपर्टीज हासिल करने की योजना है. उन्होंने बताया कि 30 वर्ष की हूं. इसलिए भविष्य में आगे नया सीखने का स्कोप बहुत है. बीते वर्ष उनकी शादी हुई है और उनके पति भी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से आफ फार्मोकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं. पति और ससुराल का भी पूरा सहयोग मिलता है.
माता-पिता का पूरा योगदान: दरअसल, डॉक्टर आशना बिहार में ही सेवा देना चाहती हैं और चिकित्सा क्षेत्र में नई रिसर्च के माध्यम से उत्कृष्ट कार्य करना चाहती हैं. उनके पिताजी पटना मलेरिया रोग विभाग ऑफिस में बिहार प्रशासनिक सेवा के तहत कार्यरत हैं और माताजी होम मेकर हैं. उनके जीवन में यहां तक पहुंचने में माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है.
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