पटना: सन 1947, यह साल कई मायनों में खास है. इसके ऐतिहासिक पन्नों में पटना PMCH का किस्सा भी दर्ज है. बिहार का पटना मेडिकल कॉलेज 100 साल का हो गया है. इस मौके पर एक ऐसी सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं जो एक ऐतिहासिक यादों को समेटे हुए है.
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था. इससे ठीक 4 महीने पहले 15 मई 1947 के पीएमसीएच में एक ऐसी घटना घटित हुई जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. 'बिहारणी कौमी आग मा' अर्थात बिहार की कौमी आग में है' इस किताब में महात्मा गांधी के उस डायरी का किस्सा दर्ज है जो 15 मई 1947 को घटित हुई थी. इस किताब को सम्पूर्ण गांधी वांगमय में रखा गया है. इस किताब को मोरारजी देसाई ने संपादित किया है.
दरअसल, इस समय बिहार में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हो रहे थे. यही हाल कोलकाता में भी था. महात्मा गांधी उस समय बिहार के पटना में थे और उन्हें कोलकाता जाना था. गांधी जी के साथ मनुबेन, मदलसा नारायण(बजाज साहब की बेटी), संतोष, मृदुला और मृदु भी थी. (मनु गांधी थी वही हैं, जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारी थी तो गांधी जी मनु गांधी की गोद में गिरे थे. )
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव रंजन गिरि एक गांधीवादी हैं. वे बताते हैं कि बात 1947 की रात की है. महात्मा गांधी अपनी डायरी में लिखते हैं, 'मनुबेन के पेट में दर्द हो रहा है. उसे उल्टी भी आ रही है. शरीर का तापमान बढ़ रहा है. खबर मिलते ही डॉक्टर को बुलाया. जांच में पता चला कि मनु को अपेंडिसाइटिस की शिकायत है.'
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महात्मा गांधी लिखते हैं कि मैंने उसको बांकीपुर के पीएमसीएच पहुंचाया (तब पीएमसीएच बांकीपुर इलाके में आता था). डॉक्टर द्वारका प्रसाद भार्गव ने कहा कि इनका ऑपरेशन करना होगा. मनु को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया. गांधी जी के साथ मौजूद अन्य लोगों को ऑपरेशन थिएयर के बाहर ही रोक दिया गया लेकिन गांधी जी स्वयं अंदर गए.
डॉक्टर उस समय महात्मा गांधी के चेहरे पर मास्क लगा दिए थे. ऑपरेशन से पहले महात्मा गांधी ने मनु से कहा था 'मन में राम नाम का जाप करना, तुम्हें कुछ पता नहीं चलेगा.'ऑपरेशन रात 10:30 बजे तक हुआ. इसके बाद मनुबेन को जेनलरल वार्ड के कमरे में शिफ्ट किया जा रहा था.
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महात्मा गांधी ने डॉक्टर से ऐसा करने से मना कर दिया था. कहा कि यह गरीब की लड़की है. गरीब की जैसी व्यवस्था होती है वैसी ही होनी चाहिए. हालांकि डॉक्टरों ने कहा कि मनुबेन गांधी भी प्रार्थना कराती हैं. भी चर्चित हैं, इसलिए भीड़ बढ़ जाएगी तो उनके लिए अलग कमरे में व्यवस्था की गयी है. महात्मा गांधी हर शाम मनु से मिलने पहुंचते थे.
महात्मा गांधी अपनी डायरी में लिखते हैं कि उन्होंने पूरा ऑपरेशन अपनी आंखों से देखा था. उन्होंने इसका जिक्र सुबह की प्रार्थना सभा में भी किए थे. उस रात गांधीजी 11.30 बजे सोए थे.
1925 में प्रिंस ऑफ वेल्स के नाम से पीएमसीएच का स्थापना की गई थी. 25 फरवरी 2025 को पटना के पीएमसीएच का 100 साल पूरा हो गया. इन 100 सालों में हजारों यादों को समेटे हुए पीएमसीएच बुलंदी के साथ खड़ा है. इस पीएमसीएच ने करोड़ों लोगों का इलाज किया जिसमें एक महात्मा गांधी की पोती मनुबेन गांधी भी थीं.
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