कुवैत अग्निकांड में मारे गए भारतीय मूल के लोगों के परिवार में मचा कोहराम. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat) गोरखपुर/वाराणसी: कुवैत के मंगाफ शहर में बहुमंजिला इमारत में आग लगने से 49 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें 45 भारतीय मूल के थे. इनमें दो लोग गोरखपुर के थे. गुरुवार की देर शाम जिला प्रशासन को इस बात की सूचना मिली तो परिजनों को इसकी जानकारी दी गई. जानकारी मिलते ही परिवार के लोग सहम गए और उनका रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं वाराणसी के प्रवीण की भी इस हादसे में मौत हो गई है.
कुवैत अग्निकांड में मारे गए गोरखपुर के अंगद की पत्नी. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat) परिवार में कोहराम मच गया. वह अपने परिवार के सदस्य के शव की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उम्मीद है कि 24 से 48 घंटे में उनके घर के सदस्यों के शव भारत सरकार के प्रयासों से पहुंच जाएंगे. जिन लोगों ने जान गंवाई है उनमें गुलरिहा थाना क्षेत्र के भम्मौर गांव के जय राम गुप्ता शामिल हैं, जो वर्ष 2023 में कुवैत कमाने के लिए गए थे. उनका परिवार गांव में बने एक नए मकान में रहता है.
कुवैत अग्निकांड में मारे गए भारतीय मूल के लोगों के परिवार में मचा कोहराम. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat) जब यह घटना कुवैत में घटी और उन लोगों को जानकारी हुई तो परिवार के लोगों ने जयराम के दोस्तों को फोन कर जानकारी ली, तो पता चला की तबीयत खराब है और आईसीयू में भर्ती हैं. लेकिन गुरुवार की देर शाम प्रशासन ने जयराम की मौत की पुष्टि होने के बाद परिजनों को जब इसकी सूचना दी तो पूरे परिवार और गांव में कोहराम मच गया. लोग उस समय को कोस रहे हैं जब उनके घर के मुखिया समेत 50 लोगों को काल ने अपनी लपटों में समा लिया.
जयराम का परिवार जिस मकान में रहता है उसी में उनकी पत्नी सुनीता कपड़े की दुकान चलाती हैं. परिवार में पत्नी के अलावा 14 वर्षीय बेटा अर्णव और 9 वर्षीय बेटी श्रेया है. जयराम की मौत की जानकारी प्रशासन ने उनके बड़े भाई रामदास को दी. इसके बाद गांव वाले और उनके परिजन उनका हाल-चाल जानने के लिए पहुंचने लगे. घटना के बाद से घर के लोगों का बुरा हाल है.
कुवैत हादसे में वाराणसी के प्रवीण ने भी जान गंवाई है. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat) वहीं गोरखनाथ थाना क्षेत्र के जटेपुर स्थित मिठाई लाल के हाते में रहने वाले अंगद गुप्ता के मृत्यु की भी सूचना जिला प्रशासन को गुरुवार को हुई. प्रशासन ने परिवार के लोगों को इसकी जानकारी देर शाम दी. अंगद के परिवार में पत्नी रीता और तीन बच्चे हैं. अंगद के पिता की मृत्यु हो चुकी है और उनका परिवार, छोटे भाई से अलग एक हिस्से में रहता है.
अंगद गुप्ता से परिजनों की आखिरी बार बातचीत मंगलवार को हुई थी. उन्होंने बातचीत के दौरान परिजनों का हाल-चाल जाना और बच्चों को पढ़ाई लिखाई में मन लगाने की बात कही थी. बेटी आंशिक बहुत दुखी है. वह कहती है कि अब कौन पूछेगा पढ़ाई लिखाई का हाल, कैसे होगी पढ़ाई.
पत्नी सरिता कहती हैं, जब घटना की जानकारी हुई तो वह अपने पति को फोन लगाने लगी. हमेशा ऑनलाइन रहने वाले उसके पति ऑफलाइन हो गये थे. बातचीत नहीं हुई तो मन में शंका होने लगी और जब मौत की सूचना मिली तो दुनिया ही उजड़ गई.
इस घटना से परिवार के साथ ही मोहल्ले वालों में भी शोक की लहर देखने को मिली. अंगद के छोटे भाई पंकज गुप्ता बताते हैं कि परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य बड़े भैया ही थे. इस हृदय विदारक घटना से पूरा परिवार टूट गया है. परिवार पर भरण पोषण व आर्थिक रूप से संकट गहरा गया है. नम आंखों से उन्होंने प्रदेश व केंद्र सरकार से शव को सकुशल लाने के साथ ही, परिवार की बड़ी बेटी अंशिका को नौकरी और आर्थिक सहायता करने की मांग की है.
वहीं मोहल्ले के पार्षद पवन सिंह ने भी सीएम योगी से मदद की गुहार लगाई है. अंगद गुप्ता के परिवार में पत्नी रीता देवी के साथ, बड़ी बेटी अंशिका गुप्ता, मझला बेटा आशुतोष गुप्ता व छोटा बेटा सुमित गुप्ता शामिल हैं. बताया जा रहा है कि भारत सरकार ने अग्निकांड में मारे गए भारतीयों के शव को, एक विशेष विमान के जरिए भारत मंगवाया है. जो कोच्चि में उतरेगा. वहां से फिर जो शव जिस शहर और प्रदेश के हैं वहां पर पहुंचाए जाएंगे.
बुधवार को कुवैत में हुए अग्निकांड में 49 मरने वालों में से 45 भारतीय मूल के थे. मृतकों में सबसे अधिक 24 केरल, पांच तमिलनाडु, यूपी के तीन, बिहार के दो और झारखंड का एक निवासी थे. यूपी के जिन तीन लोगों की मौत हुई है उसमें गोरखपुर के दो युवक शामिल हैं.
जिले के गुलरिहा के जयराम गुप्ता और गोरखनाथ थाना क्षेत्र के निवासी अंगद गुप्ता भी शामिल हैं. जबकि तीसरा मृतक गाजीपुर का रहने वाला है. गोरखनाथ थाना क्षेत्र के जटेपुर उत्तरी के रहने वाले अंगद गुप्ता लगभग 9 वर्ष पूर्व कुवैत गए थे और वहां पर एक प्राइवेट कंपनी में कैशियर का काम करते थे.
वाराणसी में बिजनेस शुरू करना चाहते थे मृतक प्रवीण, पीछे छोड़ गए दो बेटियां
कुवैत में में हुई आगजनी की घटना में बनारस के रहने वाले 36 वर्षीय प्रवीण माधव सिंह की भी जान चली गई. प्रवीण बनारस के शिवपुर इलाके के रहने वाले थे.वह अपने पीछे 10 माह की दूधमुही बच्ची को छोड़कर चले गए हैं. उनकी मौत की सूचना से घर में कोहराम मचा हुआ है.
गुरुवार की सुबह उनके परिजनों को उनकी मृत्यु की खबर मिली. प्रवीण के पिता जयप्रकाश बताते हैं कि प्रवीण 10 साल से कुवैत में नौकरी कर रहे थे.वह सेल्स कोऑर्डिनेटर के पद पर तैनात थे. बुधवार की सुबह करीब 4 बजे जब वह सो रहे थे तो उनकी बिल्डिंग में आग लगी, धुआं तेजी से फैला जिसमें उनकी मौत हो गई.गुरुवार की सुबह 10 बजे हमें कुवैत में रहने वाले रिश्तेदारों ने घटना की सूचना दी, इसके बाद से पूरे परिवार में मातम का माहौल है. आगे वह बताते हैं की उनके पास सांत्वना देने के लिए वाराणसी के प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे थे, लेकिन उनके दुःख इस बात का हैं कि अब तक उन्होंने अपने बेटे का चेहरा नहीं देखा है.
प्रवीण मूलतः गाजीपुर के रहने वाले थे, लेकिन उनकी पत्नी और बच्चे भाई वाराणसी के शिवपुर में बने मकान में रहते हैं. प्रवीण के भाई विकास बताते हैं कि, 2012 में उनकी शादी उनकी पत्नी रूप सिंह से हुई थी. उनकी दो बेटियां हैं. एक बेटी 10 साल दूसरी 10 माह की. उन्होंने बताया कि अभी 2 महीने पहले प्रवीण घर आए थे.इस बार उन्होंने बनारस में बिजनेस करने की प्लानिंग की थी. वह कुवैत छोड़कर बनारस शिफ्ट होने की बात कर रहे थे और अगस्त में फिर से आने का वादा किया था. लेकिन अब सब वादा धरा का धरा रह गया. प्रवीण कभी नहीं आएंगे.
प्रवीण के मामा हेमंत बताते हैं कि, हमें दुख इस बात का है कि अब तक तीन दिन हो गए और हम अपने बेटे का चेहरा नहीं देख पाए. इससे ज्यादा दुर्भाग्य हमारा क्या होगा.हमारी सरकार से यह मांग है कि जल्द से जल्द प्रवीण का शव हमें सौंप दिया जाए ताकि, हम अपने बेटे को निहार सकें. कुवैत में हुई आगजनी की घटना को लेकर वह कहते हैं कि, यह बहुत बड़ी लापरवाही है और इस मामले की जांच होनी चाहिए.आखिर सभी को ऐसी जगह क्यों रखा गया जहां पर सिर्फ एक एंट्री गेट है और जब वहां मेंस बंद था तो वहां पर गैस सिलेंडर कैसे मिला. इसके साथ ही ऊपर छत पर जाने का रास्ता भी बंद किया गया था, अगर वह दरवाजा खुला होता तो शायद बच्चे छत पर पहुंच कर अपनी जान बचाते.
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