वाराणसी :कुवैत की मंगाफ शहर में रिहायशी बिल्डिंग में आग लगने से 45 भारतीयों की मौत हो गई. इनमें से 2 गोरखपुर के जबकि एक काशी के थे. घटना के तीन दिन बाद शनिवार की सुबह इंजीनियर प्रवीण सिंह का शव वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचा. यहां से एंबुलेंस के जरिए शव को शिवपुर स्थित आवास पर ले जाया गया. बेटे की लाश देख पिता होश खो बैठे. पत्नी, भाई और बच्चों का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया. तमाम रिश्तेदारों ने अंतिम दर्शन किए. इसके बाद मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्रवीण सिंह ने अगस्त में परिवार से हमेशा के लिए देश लौटने का वादा किया था. वह यहीं पर बनारस में ही बिजनेस करना चाहते थे. अपनों के बीच रहना चाहते थे, लेकिन हालात को कुछ और ही मंजूर था.
प्रवीण माधव सिंह (36) मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले थे, लेकिन उनकी पत्नी, भाई और बच्चे काशी के शिवपुर स्थित गायत्री धाम में बने मकान में रहते हैं. उनकी दो बेटियां हैं. एक बेटी 10 साल की है जबकि दूसरी 10 माह की है. भाई विकास ने बताया कि साल 2012 में प्रवीण की शादी रूप सिंह से हुई थी. 2 महीने पहले ही प्रवीण घर आए थे. उन्होंने बनारस में बिजनेस करने की प्लानिंग की थी. वह कुवैत छोड़कर बनारस शिफ्ट होने की बात कर रहे थे और अगस्त में फिर से आने का वादा किया था.
उनकी मौत के बाद से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. प्रवीण के पिता जयप्रकाश बताते हैं कि प्रवीण 10 साल से कुवैत में नौकरी कर रहे थे. वह वहां सेल्स कोऑर्डिनेटर के पद पर तैनात थे. बुधवार की सुबह करीब 4 बजे रिहायशी बिल्डिंग में सो रहे थे. इस दौरान बिल्डिंग में आग लग गई. इसमें उनकी मौत हो गई. गुरुवार की सुबह 10 बजे हमें कुवैत में रहने वाले रिश्तेदारों ने घटना की सूचना दी. आज सुबह साढ़े सात बजे प्रवीण का शव आवास पर पहुंचा.