कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया. इसको घटना को लेकर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और छात्र पारदर्शी जांच और अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए बेहतर सुरक्षा मानदंडों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना ने डॉक्टरों पर होने वाली हिंसा और उत्पीड़न की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है.
अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच डॉक्टर चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे अपने हालिया पत्र में कहा है कि देश के सभी राज्यों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून तो हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन अप्रभावी है.
कई प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मेडिकलकर्मियों के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन की भी मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा हो.
क्या है सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट?
हेल्थ सर्विस प्रोफेशनल्स और क्लिनिकल प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक 2022, जिसे केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम भी कहा जाता है. विधायक को दो साल पहले लोकसभा में पेश किया गया था. इस विधेयक का उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करना था.