कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म में अलग-अलग त्योहार और उनकी अलग-अलग मान्यताएं होती हैं. होलिका दहन और होली के दिन तक शुभ कार्य बंद होते हैं. ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के दिन कुछ प्रेत आत्माएं अधिक प्रभावशाली होती हैं. ये प्रेत आत्माएं आपके घर में गृह क्लेश करा सकती हैं. आर्थिक नुकसान करा सकती हैं. इसीलिए होली पर विशेष पूजा की जाती है ताकि अशुभ योग को खत्म किया जा सके.
किस दिशा में मुंह करके पूजा करें- ज्योतिष आचार्य पंडित पवन शर्मा के मुताबिक होलिका दहन के स्थान पर पूजा वंदना करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हमेशा भगवान की पूजा और वंदना पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके ही करें. दक्षिण दिशा में मुंह करके पूजा कभी नही करनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि इससे घर परिवार में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है.पूजा के दौरान अक्सर लोग इस विधि पर ध्यान नहीं देते. इसलिए उनकी पूजा सफल नहीं होती.
होली पर पूजा की सही विधि
- होलिका दहन हमेशा शुभ मुहूर्त के समय ही करना चाहिए.
- होलिका की पूजा करने के लिए फल, फूल, कलावा, रोली, गुड़, पीली सरसों, चावल, हल्दी या हल्दी की गांठ, कुमकुम और गाय के गोबर से बने कंडे आदि की पूजा करना ज्यादा शुभ माना गया है.
- पूजा करने के दौरान इंसान का मुंह हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा में होना चाहिए. कई राज्यों में ये भी मान्यता है कि होलिका की पूजा करने से पहले उसकी सात बार परिक्रमा करनी चाहिए.
- होलिका के चारों तरफ कलावा को लपेटना चाहिए. पूजा के लिए जो सामग्री ली गई है उसको एक-एक करके होलिका को अर्पित करना चाहिए.
- होलिका दहन होने के बाद उसकी राख या फिर गेहूं की बाली को उसकी आग में सेक कर घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: