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सूरजकुंड मेले में तंजावुर पेंटिंग की धमक, जानें क्या है खासियत - FARIDABAD SURAJKUND FAIR 2025

सूरजकुंड मेले में लाखों की पेंटिंग लेकर तमिलनाडु से पहुंचे कलाकार एस केशवन ने बताया कि पेंटिंग गोल्ड से बनी है.

Faridabad Surajkund Fair 2025
Faridabad Surajkund Fair 2025 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 10, 2025, 3:57 PM IST

Updated : Feb 10, 2025, 5:15 PM IST

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में इंटरनेशनल हस्तशिल्प सूरजकुंड मेले में हस्तकला का शानदार प्रदर्शन दिख रहा है. देश और विदेश से तमाम कलाकार अपने हस्तशिल्प कला को लेकर मेले में पहुंचे हैं. कलाकारों की ये कला मेले में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इसी कड़ी में तमिलनाडु से एस केशवन अपनी कला को लेकर मेले में पहुंचे हैं. इस पेंटिंग की खास बात है कि कलाकारों ने इसमें गोल्ड का इस्तेमाल किया है. अपने पूर्वजों की परंपरा और व्यवसाय को एक नए मुकाम पर पहुंचा है. कलाकारों के पास 8 हजार से लेकर 10 लाख तक की पेंटिंग है. जिसमें अलग-अलग भगवानों की पेंटिंग बनी हुई है.

पुश्तैनी विरासत है पेंटिंग: ईटीवी से बातचीत के दौरान कलाकार एस केशवन ने बताया कि वे तमिलनाडु के तंजावुर जिले से आया हुआ है. इस कला को भी तंजावुर पेंटिंग कहते हैं. क्योंकि इस जिले में अधिकतर लोग इसी कला से अपना व्यवसाय चला रहे हैं. कलाकार एस केशवन ने बताया कि उनके दादाजी के पिताजी भी इसी पेंटिंग को बनाते थे. अपनी पुश्तैनी विरासत को हम आगे बढ़ा रहे हैं. हमारे परिवार में सभी को पेंटिंग बनाते हैं. उन्होंने बताया कि इस पेंटिंग में गोल्ड यानी सोने का इस्तेमाल किया जाता है. इसे बनाने में काफी मेहनत भी लगती है. इसलिए पेंटिंग की लागत ज्यादा है.

पेंटिंग की कीमत: एस केशवन ने बताया कि पेंटिंग की कीमत 8 हजार से लेकर 10 लाख तक है. पेंटिंग को बनाते समय बारीकी का ध्यान दिया जाता है. ताकि पेंटिंग की फिनिशिंग अच्छी हो. इसी कला को लेकर मेरे पिताजी को कई नेशनल अवार्ड और शिल्प गुरु का भी अवार्ड मिल चुका है. मुझे भी इस कला को लेकर स्टेट अवार्ड मिल चुका है. अब इस कला को लोग देश और दुनिया में भी पसंद करते हैं. इस पेंटिंग की विदेश में भी काफी डिमांड है. जब भी हमें विदेश से किसी पेंटिंग की डिमांड आती है. हम उसे पेंटिंग पार्सल कर देते हैं.

सूरजकुंड मेले में तंजावुर पेंटिंग (Etv Bharat)

पेंटिंग बनाने की कला सीखाते हैं: एस केशवन का कहना है कि पेंटिंग बनाने के अलावा, वे ट्रेनिंग भी देते हैं. इसके अलावा, 50 लोग को हमने रोजगार भी दिया है. जिससे उनका घर और परिवार चलता है. हमारे यहां कई ऐसे भी लोग हैं, जो हमसे कला सीखकर अपना खुद का काम कर रहे हैं. अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. यह कला हमें विरासत में मिली है. विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

सूरजकुंड मेले का आयोजन: आपको बता दें कि हर साल की तरह इस साल भी इंटरनेशनल सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले में देश और दुनिया के हस्तशिल्प से जुड़े कलाकार अपनी कला को लेकर पहुंचे हैं. यही वजह है कि सूरजकुंड मेले में ऐसा कलाकार संगम देखने को मिल रहा है. 7 फरवरी से शुरू हुआ मेले का आयोजन 23 फरवरी 2025 तक रहेगा.

ये भी पढ़ें: सूरजकुंड मेले में कठपुतली कला को संजो रहे हैं राजस्थान के कलाकार, विदेशी पर्यटक हो रहे हैं आकर्षित

ये भी पढ़ें: सूरजकुंड मेला 2025: कोर्ट आर्ट स्टॉल बना आकर्षण, गोवा के कलाकार ने नारियल से बनाए अद्भूत प्रोडक्ट्स, जानें कीमत

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में इंटरनेशनल हस्तशिल्प सूरजकुंड मेले में हस्तकला का शानदार प्रदर्शन दिख रहा है. देश और विदेश से तमाम कलाकार अपने हस्तशिल्प कला को लेकर मेले में पहुंचे हैं. कलाकारों की ये कला मेले में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इसी कड़ी में तमिलनाडु से एस केशवन अपनी कला को लेकर मेले में पहुंचे हैं. इस पेंटिंग की खास बात है कि कलाकारों ने इसमें गोल्ड का इस्तेमाल किया है. अपने पूर्वजों की परंपरा और व्यवसाय को एक नए मुकाम पर पहुंचा है. कलाकारों के पास 8 हजार से लेकर 10 लाख तक की पेंटिंग है. जिसमें अलग-अलग भगवानों की पेंटिंग बनी हुई है.

पुश्तैनी विरासत है पेंटिंग: ईटीवी से बातचीत के दौरान कलाकार एस केशवन ने बताया कि वे तमिलनाडु के तंजावुर जिले से आया हुआ है. इस कला को भी तंजावुर पेंटिंग कहते हैं. क्योंकि इस जिले में अधिकतर लोग इसी कला से अपना व्यवसाय चला रहे हैं. कलाकार एस केशवन ने बताया कि उनके दादाजी के पिताजी भी इसी पेंटिंग को बनाते थे. अपनी पुश्तैनी विरासत को हम आगे बढ़ा रहे हैं. हमारे परिवार में सभी को पेंटिंग बनाते हैं. उन्होंने बताया कि इस पेंटिंग में गोल्ड यानी सोने का इस्तेमाल किया जाता है. इसे बनाने में काफी मेहनत भी लगती है. इसलिए पेंटिंग की लागत ज्यादा है.

पेंटिंग की कीमत: एस केशवन ने बताया कि पेंटिंग की कीमत 8 हजार से लेकर 10 लाख तक है. पेंटिंग को बनाते समय बारीकी का ध्यान दिया जाता है. ताकि पेंटिंग की फिनिशिंग अच्छी हो. इसी कला को लेकर मेरे पिताजी को कई नेशनल अवार्ड और शिल्प गुरु का भी अवार्ड मिल चुका है. मुझे भी इस कला को लेकर स्टेट अवार्ड मिल चुका है. अब इस कला को लोग देश और दुनिया में भी पसंद करते हैं. इस पेंटिंग की विदेश में भी काफी डिमांड है. जब भी हमें विदेश से किसी पेंटिंग की डिमांड आती है. हम उसे पेंटिंग पार्सल कर देते हैं.

सूरजकुंड मेले में तंजावुर पेंटिंग (Etv Bharat)

पेंटिंग बनाने की कला सीखाते हैं: एस केशवन का कहना है कि पेंटिंग बनाने के अलावा, वे ट्रेनिंग भी देते हैं. इसके अलावा, 50 लोग को हमने रोजगार भी दिया है. जिससे उनका घर और परिवार चलता है. हमारे यहां कई ऐसे भी लोग हैं, जो हमसे कला सीखकर अपना खुद का काम कर रहे हैं. अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. यह कला हमें विरासत में मिली है. विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

सूरजकुंड मेले का आयोजन: आपको बता दें कि हर साल की तरह इस साल भी इंटरनेशनल सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले में देश और दुनिया के हस्तशिल्प से जुड़े कलाकार अपनी कला को लेकर पहुंचे हैं. यही वजह है कि सूरजकुंड मेले में ऐसा कलाकार संगम देखने को मिल रहा है. 7 फरवरी से शुरू हुआ मेले का आयोजन 23 फरवरी 2025 तक रहेगा.

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Last Updated : Feb 10, 2025, 5:15 PM IST
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