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केजरीवाल की लीगल टीम ने ED के हलफनामे पर जताई आपत्ति, कहा- कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना - Kejriwal interim bail

SC On Kejriwal Interim Bail: दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुनाएगी. इससे पहले ED ने हलफनामा दायर कर जमानत का विरोध जताया है. इस पर AAP और केजरीवाल की लीगल टीम ने कड़ी आपत्ति जताई है. पढ़ें क्या तर्क दिया है...

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 9, 2024, 10:41 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की लीगल टीम ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत के विरोध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर हलफनामे पर कड़ी आपत्ति जताई है. सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें ED के हलफनामे को कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना बताया गया है. खासकर यह देखते हुए कि मामला पहले से ही शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम फैसले के लिए निर्धारित है और ईडी का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बिना प्रस्तुत किया गया.

पार्टी ने कहा है कि कथित शराब घोटाले में ED की दो साल की जांच के बाद भी पार्टी के किसी भी सदस्य के खिलाफ एक भी पैसा या कोई सबूत बरामद नहीं किया गया है. इसके अलावा, CM अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, सरथ रेड्डी, सत्य विजय नाइक और एक पूर्व-भाजपा मुख्यमंत्री के सहयोगी द्वारा दिए गए बयानों पर आधारित है.

भाजपा से करीबी का लगाया आरोपः AAP ने इस बात पर भी बल दिया कि ED का मामला काफी हद तक इन आरोपियों से गवाह बने लोगों की गवाही पर निर्भर करता है और इन में से सबका भाजपा से सीधा संबंध है और उन्हें फायदा होता है. उदाहरण के लिए सत्य विजय नाइक, जिन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर 2022 गोवा विधानसभा चुनाव लड़ा था, उनके गोवा के सीएम प्रमोद सावंत के साथ करीबी संबंध है और उन्होंने पहले 2012 और 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इसके अलावा सरकारी गवाह बना एक अन्य आरोपी भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का करीबी सहयोगी था. इस तरह सभी 4 आपत्तिजनक बयान भाजपा से निकटता से जुड़े व्यक्तियों के हैं.

ED पर शक्ति के दुरुपयोग का आरोपःपार्टी का कहना है कि ED ने न केवल अपारदर्शी और तानाशाही रवैया अपनाया है, बल्कि ये ‘सजेस्टियो फाल्सी’ और ‘सप्रेसियो वेरी’ यानि झूठे सुझाव देने और सच्चाई को दबाने का भी काम कर रही है. केजरीवाल की गिरफ्तारी लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांत, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और संघवाद पर हमला है, जबकि यह दोनों संविधान की मूल संरचना के अभिन्न अंग हैं. ED ने आम चुनाव के बीच अपनी गिरफ्तारी की शक्ति का दुरुपयोग किया है और उन्हीं चीजों पर भरोसा किया है, जो उसके पास गिरफ्तारी से महीनों पहले से थीं.

AAP ने साझा किया कि ईडी ने दायर किए अपने जवाब में स्पष्ट रूप से कहा है कि केजरीवाल का नाम ईसीआईआर में आरोपी के रूप में नहीं है और न ही उन्हें सीबीआई द्वारा दर्ज अपराध में आरोपी के रूप में नामित किया गया है, जो ईसीआईआर में कार्यवाही का आधार है. इस मामले में गिरफ्तार करने की शक्ति कानून की उचित प्रक्रिया के साथ-साथ स्थापित कार्य प्रणाली का पूरी तरह से दुरुपयोग है. ईडी का यह रवैया मौलिक रूप से निष्पक्ष जांच, निष्पक्ष सुनवाई और कानून के शासन सहित आपराधिक न्यायशास्त्र के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है.

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