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भोवी विकास निगम घोटाला: वकील जीवा सुसाइड केस की जांच सेंट्रल क्राइम ब्रांच के हवाले

वकील एस जीवा ने ग्यारह पन्नों का सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली था.

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सेंट्रल क्राइम ब्रांच कार्यालय (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 25, 2024, 10:14 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक में महिला वकील एस जीवा (35) की आत्महत्या की जांच सीसीबी को सौंप दी गई है. जीवा भोवी विकास निगम घोटाले की जांच का सामना कर रही थीं.आत्महत्या के संबंध में जीवा की बहन संगीता की शिकायत पर बनशंकरी पुलिस स्टेशन में सीआईडी ​डीएसपी कनकलक्ष्मी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. अब, बेंगलुरु सिटी पुलिस कमिश्नर बी दयानंद ने आदेश दिया है कि, मामले की आगे की जांच सीसीबी को सौंपी जाए.

भोवी विकास निगम के लाभार्थियों को सामग्री की आपूर्ति करने वाली और लकड़ी की दुकान चलाने वाली वकील एस जीवा ने 22 नवंबर को आत्महत्या कर ली थी. जीवा ने बनशंकरी पुलिस स्टेशन की सीमा के अंतर्गत राघवेंद्र लेआउट में अपने घर पर एक डेथ नोट लिखकर आत्महत्या कर ली. मृतक की बहन संगीता ने आरोप लगाया था कि सीआईडी ​डीएसपी कनकलक्ष्मी ने 14 नवंबर को मामले की सुनवाई के लिए मौजूद जीवा को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी.

जीवा द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट और मृतक की बहन द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर बनशंकरी पुलिस स्टेशन ने प्राथमिकी दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है. दूसरी ओर, बार एसोसिएशन ने जीवा की आत्महत्या के मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त बी दयानंद ने जांच सीसीबी को सौंप दी. सीसीबी के एसीपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में मामले की जांच का आदेश दिया गया है. वहीं, मामले की प्रारंभिक जांच के दस्तावेज सौंप दिए गए हैं.

भोवी विकास निगम घोटाले की जांच कर रहे सीआईडी ​अधिकारियों ने जीवा से उसके बैंक खाते में बड़ी रकम ट्रांसफर करने के आरोप में पूछताछ की थी. जीवा ने ग्यारह पन्नों का सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली, जिसमें दावा किया गया कि पूछताछ के बहाने उसे परेशान किया जा रहा था.

भोवी विकास निगम घोटाला
भोवी निगम की योजना के तहत 2021-22 वित्तीय वर्ष में उद्यमियों को लाखों रुपये का ऋण प्रदान करने के लिए सार्वजनिक दस्तावेजों का दुरुपयोग करके 10 करोड़ रुपये से अधिक धन के अवैध हस्तांतरण के आरोप थे. 2023 में, इस आरोप पर बेंगलुरु, बेंगलुरु ग्रामीण और कलबुर्गी में एफआईआर दर्ज की गई थी कि निगम के कुछ अधिकारियों ने मामले को छिपाने के लिए अकाउंटिंग फाइल, कैश बुक, प्रोजेक्ट फाइल, बैंक चेक सहित 200 से अधिक फाइलें चुरा ली थीं. बाद में, कर्नाटक सरकार ने सीआईडी को मामले की जांच करने का आदेश दिया.

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