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कर्नाटक विधानसभा ने पास किया 'साइनबोर्ड पर 60 फीसदी कन्नड़ भाषा' वाला बिल

use of Kannada sign boards in 60 percent space : कर्नाटक में कन्नड़ भाषा वाले साइनबोर्ड से जुड़ा बिल विधानसभा में पास हो गया है. अब राज्य में साइनबोर्ड पर कम से कम 60 फीसदी कन्नड़ होना जरूरी है.

Minister speaking in the House
सदन में बोलते मंत्री

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 15, 2024, 8:51 PM IST

बेंगलुरु:कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को कन्नड़ भाषा एकीकृत विकास (संशोधन) विधेयक-2024 विधानसभा ने पारित कर दिया. यह विधेयक व्यवसायों और प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड में 60 प्रतिशत कन्नड़ का उपयोग अनिवार्य करता है.

सदन में विधेयक के बारे में बोलते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण और कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री शिवराज थंगडागी ने कहा, 'विधेयक के खंड 17 (6) में राज्य सरकार के विभागों, उद्यमों, स्वायत्त निकायों, सहकारी और सार्वजनिक उद्यमों, बैंकों, अन्य वित्तीय संस्थानों, निजी उद्योगों और विश्वविद्यालयों के साइनबोर्ड में कन्नड़ भाषा अनिवार्य की जाएगी.'

उन्होंने कहा कि 'नेमप्लेट के कुल क्षेत्रफल के शीर्ष पर 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया है. नीचे 40 प्रतिशत अन्य भाषाओं का प्रयोग किया जा सकता है. पहले यह 50:50 होना अनिवार्य था.'

मंत्री ने कहा कि 'इसके अलावा विधेयक के 7 (2) में, निदेशक, कन्नड़ और संस्कृति विभाग को प्रवर्तन समिति में मॉडरेटर बनाने की योजना बनाई गई थी. हालांकि, कन्नड़ और संस्कृति विभाग के निदेशक के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं और एक मॉडरेटर के रूप में कार्य करना कठिन है, इसलिए उन्हें सदस्य बनाया गया है. कन्नड़ विकास प्राधिकरण के सचिव को मॉडरेटर बनाया जा रहा है.'

नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने संशोधन विधेयक का स्वागत करते हुए कहा, 'मैं संशोधन विधेयक का स्वागत करता हूं. लेकिन, मेरी चिंता यह है कि क्या बहुराष्ट्रीय कंपनियां और बड़े मॉल इसका अनुसरण करेंगे? वे तभी डरते हैं जब भारी भरकम जुर्माना लगाया जाता है, वे नोटिस से नहीं डरते. इसलिए नियम बनाते समय इस आदेश का पालन न करने वाली संस्थाओं पर बड़ा जुर्माना लगाया जाना चाहिए. यदि संभव हो तो समिति में पुलिस अधिकारियों को भी रखें.'

भाजपा ने ये दी प्रतिक्रिया :बीजेपी विधायक एस सुरेश कुमार ने कहा, 'यह बहुत दुखद है कि कन्नड़ भाषा के उपयोग के लिए एक विधेयक प्रस्तुत किया जा रहा है. सबसे पहले मानसिकता बदलनी होगी. कन्नड़ भाषा का कार्यान्वयन अभी से पर्याप्त हो.'

विधायक अरविंद बेलाडा और पूर्व मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने संशोधन विधेयक पेश किए जाने का स्वागत किया. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री शिवराज थंगाडगी ने कहा, 'हम सदन में विधायकों द्वारा व्यक्त किए गए सभी विचारों का सम्मान करते हैं और नियम बनाते समय हम उनके सुझावों को अपनाएंगे.'

लाइसेंस रद्द किया जाएगा:उन्होंने कहा कि 'हमने नियम बनाने के लिए पहले ही एक समिति गठित कर दी है और कई दौर की चर्चाएं की हैं. एक इंफोर्समेंट विंग बनाई जाएगी. इसमें पुलिस अधिकारियों के साथ प्रवर्तन अधिकारी भी रहेंगे. उन्हें आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इसके अलावा, नियम भारी जुर्माने की भी अनुमति देते हैं. आदेश का सम्मान नहीं करने पर ऐसे संस्थानों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.

मंत्री ने कहा कि 'कन्नड़ के क्रियान्वयन में सबसे पहली समस्या बेंगलूरु है. यदि बेंगलुरु में कन्नड़ का पर्याप्त उपयोग किया जाता है, तो राज्य के अन्य हिस्सों में यह आसान हो जाएगा. बीबीएमपी (बुरहाट बेंगलुरु महानगर निगम) के आठ क्षेत्रों के आयुक्तों के नेतृत्व में आठ प्रवर्तन समितियां गठित की जाएंगी.' मंत्री ने वादा किया किया कि कन्नड़ के कार्यान्वयन के संबंध में सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कन्नड़ निगरानी ऐप: उन्होंने बताया कि 'कन्नड़ मॉनिटरिंग नाम का एक ऐप विकसित किया जा रहा है ताकि कोई भी व्यक्ति कन्नड़ भाषा के उपयोग के बारे में शिकायत कर सके. यहां प्राप्त शिकायतों को संबंधित समितियों को भेजा जाएगा और उन शिकायतों पर कार्रवाई करने की व्यवस्था की जाएगी.'

सदन में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा, 'जब संशोधन विधेयक को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया, तो मीडिया में यह खबर आई कि उन्होंने इसे वापस कर दिया. हालांकि, राज्यपाल ने इसे वापस नहीं किया. चूंकि सत्र की तारीख की घोषणा हो चुकी थी इसलिए राज्यपाल ने संशोधन विधेयक को सदन में पेश करने के अच्छे इरादे से लौटा दिया. उसके बारे में लोगों को गलत धारणा नहीं बनानी चाहिए.'

इस पर जवाब देते हुए मंत्री शिवराज थंगादगी ने सफाई दी, 'राज्यपाल की कार्रवाई पर कोई आपत्ति नहीं है. मैंने मीडिया को यह भी बताया कि राज्यपाल ने कोई आपत्ति या विरोध जताने के बाद बिल वापस नहीं किया. इसके बजाय, मैंने कहा कि विधेयक को सदन में पेश करने के अच्छे इरादे से लौटाया गया था क्योंकि सदन के सत्र की तारीख की घोषणा की गई है. इस संबंध में हमें कोई आपत्ति नहीं है.'

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