नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाला मामले में ईडी की गिरफ्त में है. आज शुक्रवार (22 मार्च) का दिन बहुत अहम है. केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की सियासत में खलबली मच गई है. लेकिन ये जानना बेहद दिलचस्प है कि एक आम आदमी दिल्ली के शीर्ष सिंहासन पर कैसे पहुंचा और सत्ता से सलाखों के पीछे की पूरी कहानी क्या है.
कैसे यहां तक पहुंचे अरविंद केजरीवाल?
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरू करने के लिए केजरीवाल सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ पहली बार अगस्त 2011 में रामलीला मैदान में धरने पर बैठे. उसके बाद 2012 में जंतर-मंतर पर और इसके बाद अक्टूबर 2013 में उन्होंने रामलीला मैदान में अपनी एक राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी का ऐलान कर दिया. इसके बाद चुनाव लड़ा और जीते और मुख्यमंत्री बन गए. मुख्यमंत्री रहते हुए ही दिल्ली में शराब घोटाला हुआ जिसमे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जेल जाना पड़ा. अब उसी शराब घोटाले की पूछताछ में केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया है. ED आज शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में केजरीवाल को अदालत में पेश करके उनकी हिरासत की मांग करेगी.
हरियाणा में हुआ जन्म
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ और उनकी प्रारंभिक शिक्षा हिसार से हुई. अरविंद केजरीवाल आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद 1993 में वह भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए और फिर दो साल बाद ही उन्होंने 1995 में अपनी बैचमेंट सुनीता केजरीवाल से शादी कर ली.
नौकरी करते हुए ही शुरू किया एनजीओ
आईआरएस की नौकरी करते हुए ही केजरीवाल ने लोगों से जुड़े हुए मुद्दों पर भी ध्यान देना शुरू किया. यहीं उन्होंने दिल्ली के लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर परिवर्तन नाम का एक आंदोलन शुरू किया. इसके बाद एक आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में भी केजरीवाल ने काम शुरू किया. इसके बाद 2006 में केजरीवाल को इसके लिए रैमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया.
2013 में बने दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री
केजरीवाल ने अपनी खुद की पार्टी बनाई जिसे नाम दिया गया आम आदमी पार्टी(AAM AADMI PARTY).आम आदमी पार्टी के टिकट पर उन्होंने दिसंबर 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा और दिल्ली की करीब सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे. खुद केजरीवाल तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़े. केजरीवाल ने इस चुनाव में शीला दीक्षित को बड़े अंतर से हराया. पहले ही चुनाव में उनकी पार्टी ने 28 सीटें जीतीं और कांग्रेस के समर्थन से वो मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे. हालांकि, उन्होंने 49 दिनों में ही इस्तीफा दे दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बनारस से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा और करारी हार हुई.
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2015 के चुनाव में मिला प्रचंड बहुमत
2014 में केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा और फिर 2015 में विधानसभा भंग करके फिर से विधानसभा चुनाव कराए गए. इस चुनाव में केजरीवाल ने दिल्ली के सारे रिकॉर्ड तोड़े और 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज कराई. इसके बाद केजरीवाल फिर से मुख्यमंत्री बने और कार्यकाल पूरा किया.
2020 में फिर मिला बहुमत दोबारा बने मुख्यमंत्री
2020 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने फिर से 62 सीटें जीतकर सरकार बनाई और दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. 2022 के पंजाब विधानसभा के चुनाव में भी केजरीवाल की पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज कर सरकार बनाई. इसके साथ ही एक महीने पहले चंडीगढ़ में भी मेयर के चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद AAP ने जीत दर्ज की. मौजूदा समय में केजरीवाल की पार्टी मुख्य विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस की सहयोगी है. केजरीवाल और कांग्रेस दिल्ली में मिलकर चार और तीन सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
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