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जंगी एप का तिलस्म तोड़ने की कागार पर झारखंड पुलिस, कुख्यात अपराधी से लेकर ड्रग्स तस्कर राडार पर - ZANGI APP

साइबर अपराधी और क्रिमिनल्स जंगी एप के जरिए लगातार वारदात को अंजाम दे रहे थे. अब पुलिस ने इसका तोड़ निकाल लिया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 18, 2025, 7:30 PM IST

रांची:जंगी एप के जरिए अपराधी लगातार वारदात को अंजाम दे रहे हैं. एक ऐसा कॉलिंग एप जो आज के दौर में न सिर्फ बड़े क्रिमिनल्स बल्कि स्प्लिंटर ग्रुप और नशे के तस्करों के लिए भी वरदान सा बना हुआ है. लेकिन अब ऐसे ग्रुप जो जंगी का इस्तेमाल कर पुलिस के रडार से बचते आ रहे थे, उनके लिए खतरे की घंटी बज चुकी है. झारखंड एटीएस अब जंगी के तिलिस्म को भी तोड़ने के कगार पर पहुच चुका है. इस काम में केंद्रीय एजेंसी झारखंड पुलिस की मदद कर रही है.

गिरफ्तारी के बाद हो रहे हैं खुलासे

रांची पुलिस के द्वारा हाल के दिनों में आधा दर्जन से अधिक स्प्लिंटर ग्रुप के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. जब उनसे पूछताछ की गई और उनके रंगदारी मांगने के तरीके के बारे में तफ्तीश की गई. तो पता चला कि वे सभी धमकी भरे कॉल के लिए जंगी एप का इस्तेमाल करते हैं. यही नहीं जब कुछ ड्रग्स नेटवर्क से जुड़े कुछ बड़े तस्कर पकड़े गए तो उन्होंने ने भी यही खुलासा किया कि वे लोग भी जंगी एप के जरिए ही ड्रग्स डील को अंजाम दे रहे हैं.

जानकारी देते एसपी ऋषभ झा (ईटीवी भारत)

दरअसल पुलिस के सर्विलांस सिस्टम से बचने के लिए काफी दिनों से स्प्लिंटर ग्रुप और बड़े अपराधी मोबाइल का प्रयोग करना लगभग बंद कर चुके हैं. सभी इंटरनेट कॉल का इस्तेमाल कर रहे हैं. अब नशे के तस्कर भी जंगी एप के जरिये ही ड्रग्स डील कर रहे हैं. ड्रग्स पैडलर के मोबाइल और ग्राहक के मोबाइल में जंगी एप के जरिये ही सम्पर्क स्थापित किया जा रहा है.

यूनिक नम्बर उपलब्ध करवाता है जंगी

जंगी एप एक ऐसा ऐप है जो प्ले स्टोर पर उपलब्ध है. इसे कोई भी व्यक्ति फ्री में डाउनलोड सकता है. दरअसल यह एप आपके मोबाइल में 10 डिजिट का एक यूनिक नंबर उपलब्ध करवाता है. जिसके जरिए अपराधी अपने साथियों के साथ बात करते हैं. साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि जंगी एप एक मैसेंजर एप है, जिसका सर्वर ही नहीं होता है. यानी यह सर्वर लेस होता है. इसके द्वारा की गई बातचीत का डाटा सिर्फ यूजर के मोबाइल पर ही स्टोर होता है, इस फीचर की वजह से इसे पूरी तरह से प्राइवेट एप माना जाता है.

क्यों खतरनाक है जंगी एप (ईटीवी भारत)

बातचीत के बाद अगर मोबाइल से एक बार डेटा डिलीट कर दिया जाए तो फिर उसे रिकवर भी नहीं किया जा सकता है. जानकर बताते हैं कि एप डाउनलोड करने के बाद जब आप इसमें अपना नाम डालेंगे तो आपको एक 10 डिजिट का नंबर एप के द्वारा प्रोवाइड किया जाएगा. जब भी आप इस किसी को इस एप के जरिए कॉल करेंगे तो दूसरे के पास आपका अपना मोबाइल नंबर न जाकर एप का नंबर दूसरे के पास जाएगा. मसलन अगर आपका नंबर 93xxxxxx है और आप जंगी एप के जरिये किसी को कॉल करेंगे तो उसके मोबाइल में 10-4232-2134 जैसे नम्बर से कॉल जाएंगे, दूसरी तरफ के मोबाइल स्क्रीन पर 10-4232-2134 नंबर ही नजर आएगा, इसमे कॉलर का वास्तविक नंबर नहीं दिखेगा. इसी का फायदा शातिर उठा रहे हैं.

क्यों खतरनाक है जंगी

किसी भी अपराध की गुत्थी को सुलझाने के लिए पुलिस दो तरीके से काम करती है. पहले मैन्युअल और दूसरा टेक्निकल. अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए और उसके ठिकानों तक पहुंचाने के लिए अपराधी का मोबाइल नेटवर्क पुलिस का सबसे बड़ा मददगार साबित होता रहा है. लेकिन इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव ने अपराधियों तक कुछ ऐसे मोबाइल एप पहुंचा दिए हैं, जिसकी वजह से उन्हें ट्रेस करना काफी मुश्किल हो जाता है. जंगी (ZANGI)भी इसी श्रेणी में आता है. झारखंड के उग्रवादी संगठन, ड्रग्स डीलर और संगठित आपराधिक गिरोह के सदस्य आपस में बातचीत करने के लिए और रंगदारी के कॉल के लिए जंगी एप का प्रयोग कर रहे हैं.

क्यों खतरनाक है जंगी एप (ईटीवी भारत)
जंगी का तोड़ खोज चुकी है एटीएस

इसी बीच राहत की बात यह है कि झारखंड एटीएस की टीम ने केंद्रीय एजेंसियों की सहायता से जंगी जैसे अप का तोड़ खोज लिया है. झारखंड एटीएस के एसपी ऋषभ झा ने बताया कि जंगी जैसे एप का प्रयोग करने वाले चाहे नशे के तस्कर हो, उग्रवादी हो नक्सली या फिर आपराधिक संगठन सभी हमारे रडार पर हैं. एटीएस एसपी के अनुसार केंद्रीय एजेंसियों की मदद से ऐसे ऐप को ट्रेस करने में सहायता मिल रही है. हमारे पास कई ऐसे टेक्निकल उपकरण उपलब्ध हो चुके हैं, जिनकी सहायता से जंगी जैसे ऐप के कॉल डिटेल को भी ट्रेस किया जा रहा है. अगर कोई अपराधी या फिर उग्रवादी संगठन या सो रहा है कि जंगी एप उनके लिए सेफ है तो यह उनका वहम मात्र है.

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