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झारखंड का ग्रे हाउंड है जगुआर, इस फोर्स से नक्सली खाते हैं खौफ - SPECIAL FORCE JHARKHAND JAGUAR

झारखंड में नक्सलियों को खत्म करने के लिए एक स्पेशल फोर्स का गठन किया गया, जिसे झारखंड जगुआर के नाम से जाना जाता है.

special force Jharkhand Jaguar was formed to eliminate Naxalites in Jharkhand
झारखंड जगुआर के जवान (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 21, 2025, 8:08 PM IST

रांचीः झारखंड जगुआर यानी भरोसे का दूसरा नाम. अपने गठन के बाद से ही स्पेशल फोर्स झारखंड के नक्सलियो के लिए खौफ का दूसरा नाम है. 17 साल पहले जब झारखंड के लगभग सभी जिलों में नक्सलियो की धमक थी, तब इस फोर्स का गठन हुआ. उसके बाद से इस फोर्स ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इस फोर्स ने दर्जन भर नक्सलियों को एनकाउंटर में मार गिराया. वहीं सैकड़ों को सलाखों के पीछे भी पहुंचाया. 21 फरवरी 2008 यानी आज ही के दिन झारखंड जगुआर का गठन किया गया था.

अब जगुआर लेता है लोहा

झारखंड में नक्सलियों पर लगाम लगाने और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा देने के लिए अब केंद्रीय बलों की सहयोग की बहुत कम जरूरत पड़ती है. यह संभव इसलिए हो पाया क्योंकि स्पेशल टास्क फोर्स की झारखंड में गठित स्पेशल यूनिट अब नक्सलियों के साथ लोहा ले रही है, जिसे झारखंड जगुआर के नाम से जाना जाता है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों की रोकथाम और उनके आतंक को पूरी तरह से खत्म करने के लिए झारखंड के निर्माण के लगभग 8 साल बाद झारखंड जगुआर की स्थापना की गई थी.

झारखंड जगुआर को लेकर जानकारी देते डीजीपी अनुराग गुप्ता और जगुआर आईजी अनूप बिरथरे (ईटीवी भारत)
ग्रे हाउंड की तर्ज पर बना झारखंड जगुआर

साल 2000 से लेकर 2007 तक झारखंड में नक्सलवाद अपने चरम पर था. झारखंड पुलिस सीआरपीएफ की मदद से नक्सलवाद के खिलाफ एक तरह से एक बेहद खूनी लड़ाई लड़ रही थी, जिसमें जंगलों, पहाड़ों पर अक्सर नक्सली पुलिस पार्टी पर भारी पड़ते थे. उस समय झारखंड पुलिस पूरी तरह से अभियान के लिए केंद्रीय बलों पर आश्रित थी. जबकि आंध्र प्रदेश पुलिस की अपनी नक्सल एक्सपर्ट फोर्स ग्रे हाउंड नक्सलियों के खिलाफ बेहद मारक साबित हो रही थी.

इसी के बाद झारखंड पुलिस ने भी नक्सलियों के खिलाफ एक अपनी फोर्स तैयार की, जिसका नाम झारखंड जगुआर दिया गया. आंध्र प्रदेश के ग्रे हाउंड की तर्ज पर नक्सल अभियान में झारखंड जगुआर की भूमिका बेहद कारगर है. गठन के 17 सालों में जगुआर की वजह से माओवादी समेत तमाम उग्रवादी संगठनों पर नकेला कसा गया है.

special force Jharkhand Jaguar was formed to eliminate Naxalites in Jharkhand
ग्राफिक्स (ईटीवी भारत)
40 असॉल्ट ग्रुप और 12 बीडीएस टीम है जगुआर के पास

एक समय था जब अगर कहीं नक्सलियों के द्वारा बिछाया गया लैंडमाइंस या आईईडी मिल जाए तो उसे कैसे नष्ट किया जाए यह एक बड़ी समस्या होती थी. अक्सर इसके लिए सीआरपीएफ और सेना की मदद ली जाती थी, लेकिन यह बातें पुराने हो चुकी. झारखंड जगुआर के गठन के बाद सबसे पहले इसकी 12 बीडीएस टीम यानी बम निरोधक दस्ते की टीम तैयार की गई.

झारखंड जगुआर की बीडीएस टीम ने पूरे झारखंड से सैकड़ों की संख्या में आईईडी को जमीन से निकालकर उसे नष्ट किया. वर्तमान समय में जगुआर में 40 एसॉल्ट ग्रुप, 12 बम स्क्वायड टीम है. झारखंड जगुआर में शामिल अधिकारियों और जवानों को 50% अतिरिक्त भत्ता का लाभ भी मिलता है.

अत्याधुनिक हथियारों से लैस है जगुआर

झारखंड के डीजीपी का दावा है कि झारखंड से नक्सलवाद 95% खत्म हो चुका है. हालांकि हकीकत यह भी है कि जो नक्सली बचे हैं उनके पास भी अत्यधिक हथियार मौजूद हैं. लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी राहत यह है कि नक्सलियों से लोहा ले रहे झारखंड जगुआर के पास अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा है. जगुआर के पास रात में दिखाई देने वाला यंत्र भी मौजूद है. इसके अलावा एके-47 के साथ-साथ टेबेरो एक्स 95 हथियार भी हैं. झारखंड जगुआर के पास एक से एक निशानेबाज भी हैं, जो अपने स्नाइपर राइफल की बदौलत नक्सलियों के छक्के छुड़ा देते हैं.

हमारी बेहतरीन फोर्स है जगुआर - आईजी

झारखंड जगुआर के आईजी अनूप बिरथरे ने बताया कि राज्य पुलिस के विभिन्न इकाइयों से शारीरिक और मानसिक योग्यता के आधार पर योग्य पदाधिकारी और कर्मियों का चयन झारखंड जगुआर के लिए किया जाता है. वर्तमान समय में चाहे पारसनाथ की ऊंची पहाड़ी हो, सारंडा के घने जंगल हो, चाहे बूढ़ा पहाड़ का दुरूह इलाका, हर जगह झारखंड जगुआर की पहुंच में है.

पिछले 17 सालों में झारखंड जगुआर ने नक्सलियों के साथ 107 मुठभेड़ में 34 दुर्दांत उग्रवादियों को मार गिराया है. झारखंड जगुआर ने अब तक 423 हथियार और लगभग 2000 कारतूस के साथ-साथ नक्सलियों के 2157 आईईडी भी बरामद किए हैं. अपनी वीरता को लेकर झारखंड जगुआर ने कई पदक भी जीते हैं.

23 जगुआर हो चुके हैं वीरगति को प्राप्त

अपने बलिदान और शौर्य के बल पर झारखंड जगुआर ने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. साथ ही झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में केंद्रीय बलों के प्रति निर्भरता भी कम हुई है. 17 साल के इतिहास में झारखंड जगुआर के जवानों ने कई नक्सलियों को मार गिराया. वहीं कई को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया लेकिन इसमें झारखंड जगुआर के अधिकारियों और जवानों को भी अपनी जान की आहुति देनी पड़ी है. पिछले 17 सालों में 23 जगुआर वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं. झारखंड जगुआर की वीरता का बखान करते हुए डीजीपी फोर्स को अपने हीरे की संज्ञा देते हैं.

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अब जगुआर लेता है लोहा

झारखंड में नक्सलियों पर लगाम लगाने और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा देने के लिए अब केंद्रीय बलों की सहयोग की बहुत कम जरूरत पड़ती है. यह संभव इसलिए हो पाया क्योंकि स्पेशल टास्क फोर्स की झारखंड में गठित स्पेशल यूनिट अब नक्सलियों के साथ लोहा ले रही है, जिसे झारखंड जगुआर के नाम से जाना जाता है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों की रोकथाम और उनके आतंक को पूरी तरह से खत्म करने के लिए झारखंड के निर्माण के लगभग 8 साल बाद झारखंड जगुआर की स्थापना की गई थी.

झारखंड जगुआर को लेकर जानकारी देते डीजीपी अनुराग गुप्ता और जगुआर आईजी अनूप बिरथरे (ईटीवी भारत)
ग्रे हाउंड की तर्ज पर बना झारखंड जगुआर

साल 2000 से लेकर 2007 तक झारखंड में नक्सलवाद अपने चरम पर था. झारखंड पुलिस सीआरपीएफ की मदद से नक्सलवाद के खिलाफ एक तरह से एक बेहद खूनी लड़ाई लड़ रही थी, जिसमें जंगलों, पहाड़ों पर अक्सर नक्सली पुलिस पार्टी पर भारी पड़ते थे. उस समय झारखंड पुलिस पूरी तरह से अभियान के लिए केंद्रीय बलों पर आश्रित थी. जबकि आंध्र प्रदेश पुलिस की अपनी नक्सल एक्सपर्ट फोर्स ग्रे हाउंड नक्सलियों के खिलाफ बेहद मारक साबित हो रही थी.

इसी के बाद झारखंड पुलिस ने भी नक्सलियों के खिलाफ एक अपनी फोर्स तैयार की, जिसका नाम झारखंड जगुआर दिया गया. आंध्र प्रदेश के ग्रे हाउंड की तर्ज पर नक्सल अभियान में झारखंड जगुआर की भूमिका बेहद कारगर है. गठन के 17 सालों में जगुआर की वजह से माओवादी समेत तमाम उग्रवादी संगठनों पर नकेला कसा गया है.

special force Jharkhand Jaguar was formed to eliminate Naxalites in Jharkhand
ग्राफिक्स (ईटीवी भारत)
40 असॉल्ट ग्रुप और 12 बीडीएस टीम है जगुआर के पास

एक समय था जब अगर कहीं नक्सलियों के द्वारा बिछाया गया लैंडमाइंस या आईईडी मिल जाए तो उसे कैसे नष्ट किया जाए यह एक बड़ी समस्या होती थी. अक्सर इसके लिए सीआरपीएफ और सेना की मदद ली जाती थी, लेकिन यह बातें पुराने हो चुकी. झारखंड जगुआर के गठन के बाद सबसे पहले इसकी 12 बीडीएस टीम यानी बम निरोधक दस्ते की टीम तैयार की गई.

झारखंड जगुआर की बीडीएस टीम ने पूरे झारखंड से सैकड़ों की संख्या में आईईडी को जमीन से निकालकर उसे नष्ट किया. वर्तमान समय में जगुआर में 40 एसॉल्ट ग्रुप, 12 बम स्क्वायड टीम है. झारखंड जगुआर में शामिल अधिकारियों और जवानों को 50% अतिरिक्त भत्ता का लाभ भी मिलता है.

अत्याधुनिक हथियारों से लैस है जगुआर

झारखंड के डीजीपी का दावा है कि झारखंड से नक्सलवाद 95% खत्म हो चुका है. हालांकि हकीकत यह भी है कि जो नक्सली बचे हैं उनके पास भी अत्यधिक हथियार मौजूद हैं. लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी राहत यह है कि नक्सलियों से लोहा ले रहे झारखंड जगुआर के पास अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा है. जगुआर के पास रात में दिखाई देने वाला यंत्र भी मौजूद है. इसके अलावा एके-47 के साथ-साथ टेबेरो एक्स 95 हथियार भी हैं. झारखंड जगुआर के पास एक से एक निशानेबाज भी हैं, जो अपने स्नाइपर राइफल की बदौलत नक्सलियों के छक्के छुड़ा देते हैं.

हमारी बेहतरीन फोर्स है जगुआर - आईजी

झारखंड जगुआर के आईजी अनूप बिरथरे ने बताया कि राज्य पुलिस के विभिन्न इकाइयों से शारीरिक और मानसिक योग्यता के आधार पर योग्य पदाधिकारी और कर्मियों का चयन झारखंड जगुआर के लिए किया जाता है. वर्तमान समय में चाहे पारसनाथ की ऊंची पहाड़ी हो, सारंडा के घने जंगल हो, चाहे बूढ़ा पहाड़ का दुरूह इलाका, हर जगह झारखंड जगुआर की पहुंच में है.

पिछले 17 सालों में झारखंड जगुआर ने नक्सलियों के साथ 107 मुठभेड़ में 34 दुर्दांत उग्रवादियों को मार गिराया है. झारखंड जगुआर ने अब तक 423 हथियार और लगभग 2000 कारतूस के साथ-साथ नक्सलियों के 2157 आईईडी भी बरामद किए हैं. अपनी वीरता को लेकर झारखंड जगुआर ने कई पदक भी जीते हैं.

23 जगुआर हो चुके हैं वीरगति को प्राप्त

अपने बलिदान और शौर्य के बल पर झारखंड जगुआर ने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. साथ ही झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में केंद्रीय बलों के प्रति निर्भरता भी कम हुई है. 17 साल के इतिहास में झारखंड जगुआर के जवानों ने कई नक्सलियों को मार गिराया. वहीं कई को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया लेकिन इसमें झारखंड जगुआर के अधिकारियों और जवानों को भी अपनी जान की आहुति देनी पड़ी है. पिछले 17 सालों में 23 जगुआर वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं. झारखंड जगुआर की वीरता का बखान करते हुए डीजीपी फोर्स को अपने हीरे की संज्ञा देते हैं.

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