रांची: झारखंड के आधा दर्जन से अधिक कुख्यात अपराधियों की काली कमाई पर एटीएस की टीम ने नजर गड़ा दी है. अब एटीएस झारखंड के संगठित आपराधिक गिरोहों की कमाई से अमीर बने और अकूत संपत्ति बनाने वालों की कमाई का हिसाब लेगी. जो लोग अपनी कमाई का हिसाब नहीं दे पाएंगे, उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी.
अर्थतंत्र को तोड़ कर कमजोर बनाना मकसद
अमन साव, सुजीत सिन्हा, प्रिंस खान, डब्लू सिंह, मयंक सिंह और विकास तिवारी जैसे गैंगस्टरों की काली कमाई को कारोबार में लगाने वाले सफेदपोश लोग, करीबी सहयोगी और गैंगस्टरों के रिश्तेदार बड़ी मुसीबत में फंसने वाले हैं. झारखंड में सक्रिय संगठित आपराधिक गिरोहों पर लगाम लगाने के लिए झारखंड एटीएस के साथ-साथ कई एजेंसियां इनकी आर्थिक ताकत को तोड़ने में लगी हुई हैं. इसी सिलसिले में झारखंड एटीएस ने दो दर्जन से अधिक ऐसे लोगों की पहचान की है, जो झारखंड के संगठित आपराधिक गिरोहों की कमाई को अपने कारोबार में लगा रहे हैं और मुनाफा अपराधियों तक पहुंचा रहे हैं.
झारखंड के कुख्यात अमन साव, सुजीत सिन्हा, डब्लू सिंह और प्रिंस खान जैसे कई कुख्यात अपराधियों की करोड़ों रुपये की संपत्ति के बारे में एटीएस को पता चला है. अब धीरे-धीरे इन्हें जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके तहत जो संपत्ति अपराधियों के नाम पर है, उसे सीधे जब्त किया जाएगा, जबकि जो संपत्ति उनके रिश्तेदारों के नाम पर है, उन्हें नोटिस के जरिए बताना होगा कि संपत्ति वैध है या अवैध.
किसी और के नाम पर है संपत्ति
संगठित आपराधिक गिरोहों के बड़े अपराधियों की संपत्तियों की जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं. झारखंड के कई बड़े अपराधियों ने न सिर्फ भारत के कई बड़े राज्यों में बल्कि नेपाल जैसे देशों में भी निवेश किया है, जहां उन्होंने होटल व्यवसाय के साथ-साथ रियल एस्टेट में भी निवेश किया है.
एटीएस की जांच में यह भी पता चला है कि अपराधियों ने कई सफेदपोश लोगों और उनके रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीदी है. एटीएस की ओर से उन करीबियों की सूची तैयार की गई थी. अब उन्हें नोटिस भेजने का काम भी शुरू कर दिया गया है. नोटिस के जरिए सभी से यह जानकारी मांगी जा रही है कि उन्होंने जो संपत्ति खरीदी है, उसका पैसा कहां से लाया गया है. इसका ठोस सबूत भी मांगा जा रहा है. अगर नोटिस मिलने के बाद वह उसका जवाब नहीं देते हैं तो ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
झारखंड एटीएस एसपी ऋषभ झा ने बताया कि अपराधियों की काली कमाई को निवेश करने वाले लोगों की सूची बनाकर उन्हें नोटिस भेजा जा रहा है. नोटिस मिलने के बाद गैंगस्टर का परिवार हो या उसके करीबी या कारोबारी, सभी को खरीदी गई संपत्ति और किए गए निवेश के बारे में ठोस सबूत देने होंगे. अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो नए कानून के मुताबिक न सिर्फ तीन साल की सजा होगी बल्कि सारी संपत्ति भी जब्त कर ली जाएगी.
नए आपराधिक कानून से पुलिस को मिलेगी मदद
झारखंड एटीएस एसपी ऋषभ झा के मुताबिक नए आपराधिक कानून में बीएनएस की धारा 111 की उपधारा छह में प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति ने संगठित अपराध के जरिए किसी दूसरे के नाम पर संपत्ति अर्जित की है तो पुलिस उन्हें नोटिस देगी. यह नोटिस पाने वाले व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि किसी भी तरह के संगठित अपराध के जरिए अर्जित धन का इस्तेमाल उसकी संपत्ति में नहीं हुआ है. नोटिस पाने वाले व्यक्ति द्वारा यदि यह साबित नहीं किया जाता है, तो न केवल उसकी संपत्ति कुर्क की जाएगी, बल्कि 3 साल की सजा का भी प्रावधान है.
रिमांड पर लेकर जुटाई जा रही जानकारी
झारखंड में संगठित आपराधिक गिरोहों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए अब ऐसे सभी गिरोहों के मुखियाओं से लगातार पूछताछ की जा रही है. पूछताछ के दौरान एटीएस ने गिरोहों की विभिन्न प्रकार की संपत्तियों के बारे में जानकारी हासिल की है. हाल ही में कुख्यात अमन साव और सुजीत सिन्हा से पूछताछ कर कई जानकारियां हासिल की गई हैं. उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है.
यह भी पढ़ें:
पांडेय गिरोह का सरगना विकास तिवारी एटीएस की रिमांड पर, पटना स्टेशन मामले में होगी पूछताछ
झारखंड के जेलों में बंद सभी गैंगस्टर से होगा सवाल जवाब, एटीएस भी होगी शामिल
गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के हथियार नेटवर्क का खुलासा, नए-पुराने मददगारों की हुई पहचान!